जायडस कैडिला की दो खुराक वाली कोरोना वैक्सीन को मिली तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी
कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जारी देश की जंग में गुजरात स्थित फार्मा कंपनी जायडस-कैडिला हेल्थकेयर को बड़ी सफलता मिली है। कंपनी ने कोरोना महामारी के खिलाफ अपनी दो खुराक वाली वैक्सीन तैयार की है और उसे अब तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी भी मिल गई है। ऐसे में कंपनी जल्द ही इसका ट्रायल शुरू करेगी। यदि वैक्सीन को इसमें सफलता मिलती है तो भारत को महामारी के खिलाफ एक और स्वदेशी वैक्सीन मिल जाएगी।
कंपनी ने पिछले महीने किया था ट्रायल की मंजूरी के लिए आवेदन
बता दें कि कंपनी ने पिछले महीने ही अपनी दो खुराक वाली DNA आधारित वैक्सीन जायकोव-डी (ZyCoV-D) के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) के समक्ष आवेदन किया था। इसके बाद DGCI ने कंपनी द्वारा 12 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए तैयान की गई तीन खुराक वाली वैक्सीन के परिणामों पर गौर करते हुए दो खुराक वाली वैक्सीन को भी ट्रायल की मंजूरी दे दी।
"दो खुराक वाली वैक्सीन को मिली ट्रायल की मंजूरी"
तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी मिलने के बाद कंपनी ने मंगलवार को कहा, "कंपनी को दो खुराक वाली कोरोना वैक्सीन को तीसरे चरण का ट्रायल शुरू करने की अनुमति मिली है।" इस मंजूरी के बाद अब दवा कंपनी इस वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल शुरू करेगी। अगले दो से तीन माह में तीसरे चरण के ट्रायल के परिणाम आने के बाद दो खुराक वाली DNA वैक्सीन के मरीजों के लिए उपलब्ध होने की संभावना है।
कंपनी ने पहले तैयार की थी तीन खुराक वाली वैक्सीन
कंपनी ने पहले भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के साथ मिलकर तीन खुराक वाली वैक्सीन को ZyCoV-D नाम से ही तैयार किया था। यह दुनिया की पहली DNA आधारित वैक्सीन है। वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों की समीक्षा के बाद DCGI ने 21 अगस्त को वैक्सीन 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों और व्यस्कों पर आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी। यह 18 साल से कम उम्र वालों के लिए मंजूरी हासिल करने वाली पहली वैक्सीन है।
तीसरे चरण के ट्रायल में 66.66 प्रतिशत प्रभावी मिली थी वैक्सीन
ZyCoV-D प्लास्मिड DNA प्लेटफॉर्म पर बनी दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन है, जिसे आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। इस वैक्सीन को कंपनी ने भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के साथ मिलकर तैयार किया है और यह तीसरे चरण के ट्रायल में 66.66 प्रतिशत प्रभावी पाई गई थी। भले ही इस वैक्सीन को 12-18 साल के उम्र वर्ग पर इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई, लेकिन वैक्सीनेशन की शुरुआत का निर्णय सरकार पर होगा।
ये हैं ZyCoV-D की खूबियां
शरीर के अंदर जाने पर ZyCoV-D कोरोना जैसी स्पाइक प्रोटीन बनाएगी, जिन्हें पहचान कर इम्युन सिस्टम एंटीबॉडीज बनाना शुरू कर देगा। इन्हें वेरिएंट्स के हिसाब से बदला जा सकता है। DNA प्लेटफॉर्म पर आधारित होने के कारण इस वैक्सीन को स्टोरेज के लिए बहुत ठंडे तापमान की जरूरत नहीं होती और इसकी लागत भी कम है। इसके अलावा इसके उत्पादन के लिए कोवैक्सिन और दूसरी वैक्सीनों की तरह अति उच्च जैव सुरक्षा वाले संयंत्र की जरूरत नहीं होती।
इसलिए पड़ी थी दो खुराक वाली वैक्सीन तैयार करने की जरूरत
CDSCO के अधीन विशेषज्ञ समिति (SEC) के एक सदस्य ने बताया कि अभी वैक्सीनेशन में शामिल सभी वैक्सीन की दो खुराक दी जा रही हैं। ऐसे में तीन खुराक वाली वैक्सीन लेने में लोगों में हिचकिचाहट हो सकती है। इसी कारण कंपनी ने वैक्सीन की एक खुराक कम करने पर काम शुरू कर दिया था। तीसरे चरण के ट्रायल के बाद सामने आएगा कि दो खुराक देने के बाद क्या 60 प्रतिशत से अधिक एंटीबॉडी बन रही हैं या नहीं?
वैक्सीनेशन अभियान में जल्द शामिल हो सकती है तीन खुराक वाली वैक्सीन
बता दें कि तीन खुराक वाली ZyCoV-D के इसी महीने वैक्सीनेशन अभियान में शामिल किए जाने की संभावना है। हालांकि, वैक्सीन की कीमत एक मुद्दा बनी हुई है। रिपोर्ट है कि कंपनी ने अपनी तीन-खुराक वाली वैक्सीन के लिए 1,900 की कीमत का प्रस्ताव दिया था, लेकिन केंद्र सरकार कीमत में कमी के लिए बातचीत कर रही है। इस पर इस सप्ताह के अंत तक निर्णय की संभावना है। कीमत निर्धारित होने के बाद इसका उपयोग शुरू हो जाएगा।