
अंतिम चरण में वैक्सीन की तलाश, विकास और रख-रखाव पर नजर रख रही दो समितियां
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के बढ़ते संकट के बीच कई कंपनियां इंसानी ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण में प्रवेश कर गई है।
अब इनके सफल होने पर वितरण को लेकर योजना बनाई जा रही है। भारत सरकार भी इससे जुड़े तीन तरीकों पर काम कर रही है।
वैज्ञानिक, सरकारी शोध संस्थानों से विशेषज्ञ और स्वास्थ्य, वाणिज्य, वित्त और विदेश मंत्रालय के सचिव संभावित वैक्सीन के रख-रखाव और वितरण से जुड़ी प्रक्रियाओं पर मंथन कर रहे हैं।
समिति
के विजयराघवन और वीके पॉल के नेतृत्व में बनी समितियां
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मौजूदा स्थितियों को देखते हुए दो अधिकार प्राप्त समितियां वैक्सीन के विकास और वितरण से जुड़े मुद्दों पर विचार कर रही हैं।
पहली समिति जहां घरेलू वैक्सीन के विकास, विदेशी वैक्सीन के उत्पादन आदि को देख रही है वहीं दूसरी समिति वैक्सीन के प्रबंधन आदि से जुड़े काम देख रही है।
पहली का नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार डॉक्टर के विजयराघवन और दूसरी का नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल कर रहे हैं।
काम
वैक्सीन के विकास और उत्पादन पर ध्यान दे रही पहली समिति
विजयराघवन की समिति को घरेलू वैक्सीन के विकास और विदेशी वैक्सीन के भारत में उत्पादन को फास्ट-ट्रैक करने को कहा गया है।
सूत्रों ने बताया कि यह समिति भारत बायोटेक और जाइडस कैडिला की तरफ से तैयार की जा रही संभावित वैक्सीन्स के विकास के साथ-साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रेजेनेका की संभावित वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण में पर करीबी नजर रख रही है।
भारत में भी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन के इंसानी ट्रायल किए जाएंगे।
काम
दूसरी समिति संभाल रही यह काम
डॉक्टर वीके पॉल के नेतृत्व वाली दूसरी समिति वैक्सीन के प्रबंधन और इसके प्रशासन से जुड़े काम को देख रही है।
इस समिति में स्वास्थ्य, वाणिज्य, वित्त और विदेश मंत्रालय के सचिवों के अलावा कई शीर्ष वैज्ञानिक और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं।
यह समिति वैक्सीन उपलब्ध होने पर उसका स्टॉक कैसे किया जाए, कितनी मात्रा में किया जाए और उसके लिए कोल्ड चेन का इंतजाम क्या होगा, यह सब देखेगी।
जानकारी
अलग-अलग वैक्सीन के लिए अलग-अलग तापमान की जरूरत
सूत्रों ने बताया कि यह समिति वैक्सीन रखने के लिए जरूरी कोल्ड चेन की जरूरतों का ध्यान रख रही है। दरअसल, अलग-अलग वैक्सीन के लिए अलग-अलग कोल्ड स्टोरेज की जरूरत होगी।
कोरोना वायरस
वैक्सीन के लिए भारत ने नहीं किया किसी विदेशी कंपनी से संपर्क
सूत्रों के मुताबिक, अभी तक सरकार ने किसी भी विदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनी से प्रत्यक्ष तौर पर संपर्क नहीं किया है।
इसकी जगह सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), वैक्सीन एलायंस समूह गावी (GAVI) और कोएलिशन फॉर एपिडेमिक प्रीपेयर्डनेस इनोवेशव (CEPI) के बीच समझौते में अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल है।
इस त्रिपक्षीय समझौते को कोवैक्स (COVAX) के नाम से भी जाना जाता है। वैक्सीन को लेकर भारत कोवैक्स के जरिये भी काम कर रहा है।
गठबंधन
गरीब देशों में वैक्सीन की आपूर्ति करेगा कोवैक्स
कोवैक्स के तहत WHO, गावी और CEPI एक साथ आए हैं। ये सभी देशों की वैक्सीन की जरूरत और संभावित वैक्सीन्स की आपूर्ति पर नजर रख रहे हैं।
इनकी कोशिश होगी कि मांग के हिसाब से वैक्सीन की आपूर्ति हो सके। इनका मकसद है कि कम और मध्यम आय वाले देशों में उनकी जरूरत की 20 प्रतिशत वैक्सीन कोवैक्स के जरिये भेजी जा सके ताकि उन्हें इस खतरनाक वायरस के इलाज के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े।
कोरोना वायरस
2 करोड़ की तरफ बढ़ रही संक्रमितों की संख्या
वैक्सीन के लंबे होते इंतजार के बीच दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है।
पूरे विश्व में कोरोना वायरस के मामले 1.93 करोड़ से पार हो गए हैं और 7.21 लाख लोगों की मौत हो गई है।
49.41 लाख संक्रमितों और 1.61 लाख मौतों के साथ अमेरिका दुनिया का सबसे बुरी तरह प्रभावित देश बना हुआ है।
वहीं भारत में भी लगभग 21 लाख लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है।