फिल्म 'शर्माजी नमकीन' रिव्यू: जिंदगी का असली स्वाद चखा गए ऋषि कपूर
काफी समय से फिल्म 'शर्माजी नमकीन' सुर्खियों में थी। दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर की इस फिल्म की दर्शक बड़ी बेसब्री से राह देख रहे थे। आज यानी 31 मार्च को फिल्म अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो गई है। फिल्म का निर्देशन हितेश भाटिया ने किया है। इसमें ऋषि के अलावा परेश रावल, जूही चावला, सतीश कौशिक, सुहैल नय्यर, तारुक रैना और शीबा चड्ढा जैसे कलाकार भी नजर आए हैं। आइए जानते हैं कैसी है फिल्म 'शर्माजी नमकीन'।
शर्माजी के रिटायरमेंट से शुरू होती है कहानी
इस फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है ऋषि कपूर उर्फ शर्माजी के रिटायरमेंट से, जिसे मजबूरन रिटायर होेना पड़ा है। उसकी पत्नी का निधन हो गया है। लिहाजा शर्माजी पर मां और बाप दोनों की जिम्मेदारी है। शर्माजी को खाली बैठना गंवारा नहीं। लिहाजा कभी वह अपने लिए नौकरी तलाशने में दिन गुजारते हैं तो कभी व्यस्त रहने के लिए जुम्बा क्लास लेते हैं। शर्माजी की मानें तो रुटीन वाली नौकरी और काम ही जिंदगी को आगे बढ़ाता है।
नीरस हो रही जिंदगी को किया शर्माजी ने नमकीन
शर्माजी को जिंदगी में आगे कोई मकसद चाहिए। सादी दाल जैसी जिंदगी जीना उन्हें मंजूर नहीं। घरवाले भले ही उनकी ना सुने, लेकिन शर्माजी अपनी जिद के पक्के हैं। अपनी कुकिंग स्किल का फायदा उठाते हुए वह महिलाओं की किटी पार्टी के लिए खाना बनाना शुरू कर देते हैं। अब भले ही उनके बनाए खाने की पूरे मोहल्ले में तारीफ होती हो, लेकिन बच्चों को उनका यह काम खटकता है। इसके बाद कहानी मजेदार ढंग से आगे बढ़ती है।
ऋषि और परेश की एक्टिंग ने फिल्म को बनाया 'मस्ट वॉच'
ऋषि कपूर के अभिनय को समीक्षा के बंधन में नहीं बांधा जा सकता। मासूमियत से लेकर आंखों में शरारती चमक और कॉमेडी तक, अपने हर सीन से उन्होंने लुभाया है, वहीं परेश ने जिस अंदाज में शर्माजी के किरदार की नब्ज को पकड़ा है, उनका यह सिनेमाई अवतार शायद ही दर्शक भूल पाएं। वह भी कहानी में नमकीन टच देने में कामयाब रहे। इसके अलावा जूही चावला और सतीश कौशिक जैसे कलाकार भी फिल्म में नई उमंग लेकर आए।
निर्देशक हितेश भाटिया के हुनर का कैनवास है फिल्म
निर्देशक हितेश भाटिया ने एक ही किरदार के लिए दो अलग-अलग अभिनेताओं के बीच जो संतुलन बनाया है, वो काबिल-ए-तारीफ है। निर्देशक ने ऋषि का किरदार बड़ी सहजता से परेश से कराया। उन्होंने कहा था कि यह फिल्म हमेशा उनके दिल के करीब रहेगी और फिल्म देखने के बाद आप यही कहेंगे कि हितेश ने पूरे दिल से फिल्म बनाई है। बढ़ती उम्र और पुरुष-महिला को लेकर रूढ़िवादी सोच पर हल्के-फुल्के अंदाज में उन्होंने करारी चोट मारी है।
जानिए कहां रह गई कमी
फिल्म में ऋषि कपूर के साथ जूही चावला की केमिस्ट्री कमाल की थी, लेकिन परेश के साथ उनकी ट्यूनिंग उतनी दमदार नहीं लगी। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी कुछ खास नहीं है। बैकग्राउंड म्यूजिक पर भी सुधार की गुंजाइश थी। कहानी की शुरुआत आपको थोड़ी अखर सकती है, क्योंकि इसकी गति धीमी है। आधे घंटे बाद यह रफ्तार पकड़ती है। कहीं-कहीं फिल्म देखकर आपको यह भी लगेगा कि अगर ऋषि ने यह फिल्म पूरी की होती बात कुछ और ही होती।
देखें या ना देखें
'शर्माजी नमकीन' हंसाने के साथ रुलाती भी है। इस कहानी के सफर में आप बोर नहीं होंगे। फिल्म अगली पीढ़ी की जिम्मेदारियों पर बात करती है। जिंदगी वाकई जिंदादिली का नाम है, ऋषि जाते-जाते यही बताते गए हैं। जिंदगी को एक अलग नजरिया देने वाली यह फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए। फिल्म में ऋषि खुश जरूर करते हैं, लेकिन मन ही मन उनके ना होने का अहसास दुखी भी करता है। हमारी तरफ से 'शर्माजी नमकीन' को चार स्टार।
न्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)
ऋषि कपूर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। न्यूयॉर्क में इलाज कराने के बाद वह मुंबई लौट आए थे। अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां अगले दिन 30 अप्रैल, 2020 को उनका निधन हो गया।