#NewsBytesExplainer: भारत में कैसे हुई रैप की शुरुआत, कौन है पहला भारतीय रैपर?
हनी सिंह, बादशाह, रफ्तार जैसे नाम आज के समय में म्यूजिक इंडस्ट्री के सबसे लोकप्रिय नामों में शुमार हैं। बॉलीवुड फिल्मों के प्रमोशनल गानों में रैप का जमकर इस्तेमाल होता है। हर गली-मोहल्ले और स्कूल-कॉलेजों में युवा रैप गाते हुए सुनाई देते हैं। रैप गानों का अलग ही प्रशंसक वर्ग है। सोशल मीडिया के दौर में इनकी लोकप्रियता और बढ़ गई है। आइए, जानते हैं भारत में रैप की शुरुआत किसने की और यह इतना लोकप्रिय कैसे हुआ।
दुनिया में कैसे शुरू हुआ रैप?
माना जाता है कि रैप की शुरुआत सैकड़ों साल पहले हुई थी, जब अफ्रीकी लोगों को बंधुआ मजदूरी के लिए अमेरिका लाया जाता था। अपनी तकलीफ और गुस्से का इजहार करने के लिए ये लोग गाते थे। रैप की शुरुआत यहीं से हुई। आगे चलकर यह अमेरिकी-अफ्रीकी समुदाय के बीच एक लोकप्रिय आर्ट फॉर्म बन गया और धीमे-धीमे इसने म्यूजिक इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई। रैप मनोरंजन से ज्यादा सामाजिक समस्याओं के खिलाफ गुस्सा जाहिर करने का जरिया था।
बाबा सहगल ने खोला भारत में रैप का रास्ता
भारत में रैप की शुरुआत करने का श्रेय बाबा सहगल को जाता है। उन्हें भारत का पहला रैपर कहा जा सकता है। 90 के दशक में उन्होंने अपना पहला रैप एल्बम जारी किया था, जिसे MTV इंडिया पर अच्छी खासी जगह मिली थी। उनका गाना 'ठंडा-ठंडा पानी' मशहूर हुआ था। 90 के दशक में वह एक लोकप्रिय गायक थे। उनके अंदाज के लिए अकसर उनका मजाक भी उड़ाया जाता था, लेकिन भारत में रैप का रास्ता खोलने वाले वही हैं।
बोहेमिया के रैप ने डाला प्रभाव
बोहेमिया पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी रैपर हैं। बोहेमिया ने अपने कजन शा वन के साथ मिलकर 'द आउटफिट एंटरटेनमेंट' नाम का लेबल शुरू किया था। 2002 में उन्होंने अपना पहला एल्बम 'विच परदेसां दे' लॉन्च किया था। यह एल्बम उनकी जिंदगी से ही प्रेरित था, जिसमें उन्होंने एक देसी बच्चे के अमेरिका में बसने के सफर को बयां किया था। बोहेमिया के रैप का प्रभाव भारत के युवाओं पर भी पड़ा। खासकर, पंजाबी युवा उनके रैप से काफी प्रेरित थे।
'माफिया मुंडीर' ने रैप को दी नई पहचान
भारत में मॉडर्न रैप की बात हो तो 'माफिया मुंडीर' का नाम न लेना बेइमानी है। 2000 के दशक में पंजाबी रैपर्स ने एक ग्रुप बनाया था, 'माफिया मुंडीर'। उस वक्त बादशाह का गाना 'सोडा विस्की' लोकप्रिय हुआ था। हनी सिंह ने उनके साथ काम करने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद इनसे रफ्तार भी जुड़े। रफ्तार इस ग्रुप में लिटिल गोलू और इक्का को लेकर आए। ये सभी नाम सोशल नेटवर्किंग साइट ऑरकुट पर खूब लोकप्रिय हुए।
हनी सिंह के गानों से बच्चा-बच्चा हुआ रैप से परिचित
2012 में आपसी विवाद के कारण यह ग्रुप टूट गया और सभी कलाकार स्वतंत्र रूप से रैप करने लगे। उस दौर में इनमें से सबसे ज्यादा सफलता हनी सिंह को मिली। हनी के गाने 'ब्लू आइज', 'गबरू', 'अंग्रेजी बीट', 'लक 28 कुड़ी दा' जैसे गाने लोकप्रिय हुए। हनी सिंह के गाने बॉलीवुड फिल्मों में इस्तेमाल होने लगे, जिसके बाद भारत में बच्चा-बच्चा रैप से परिचित हुआ। वक्त के साथ 'माफिया मुंडीर' के अन्य सदस्यों का करियर भी परवान चढ़ता गया।
साथ में चल रहा था गली रैप
एक तरफ जहां रैप फिल्मी चकाचौंध में शामिल हो चुका था, दूसरी ओर गली रैप भी तेजी से उभर रहा था। बड़े शहरों के स्लम में युवा रैप के माध्यम से अपनी तकलीफों और गुस्से को बयान कर रहे थे। इन रैपर्स की अपनी ही दुनिया थी। गली रैपर्स के कई क्लब बने और बिना किसी ग्लैमर के ये कलाकार अपने हुनर को मांजते रहे। यूट्यूब की लोकप्रियता के बाद इन गली रैपर्स को भी दुनिया ने जानना शुरू किया।
'गली बॉय' ने दिखाई अंडरग्राउंड रैपर्स की दुनिया
डिवाइन और नेजी जैसे गली रैपर के रैप को पसंद किया जाने लगा। 2019 में इन्हीं कलाकारों से प्रेरित एक फिल्म बनी 'गली बॉय'। इस फिल्म में रणवीर सिंह का किरदार रैपर नेजी से प्रेरित था। आलिया भट्ट और रणवीर सिंह की इस फिल्म ने लोगों को स्लम में बने रैपर्स के क्लब और उनकी दुनिया से परिचित कराया। जोया अख्तर द्वारा निर्देशित यह फिल्म भारत की ओर से ऑस्कर में दावेदारी के लिए भेजी गई थी।
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