'भोला' रिव्यू: 'भोले' अजय देवगन और 'रौबदार' तब्बू ने फिल्म को बनाया शानदार
क्या है खबर?
अजय देवगन और तब्बू की फिल्म 'भोला' 30 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। यह तमिल फिल्म 'कैथी' का रीमेक है।
जब फिल्म का टीजर जारी हुआ था, तभी से अजय के प्रशंसक इसका इंतजार कर रहे थे। इसके बाद ट्रेलर ने उनकी उत्सुकता और बढ़ाई थी।
ट्रेलर से यह एक रोमांचक क्राइम थ्रिलर फिल्म लगी थी, जिसमें अजय और तब्बू का दमदार अंदाज नजर आता है।
जानिए, क्या ट्रेलर से जगी उम्मीदों पर 'भोला' खरी उतरती है।
कहानी
एक रात और कई किरदार की दिलचस्प कहानी
फिल्म में भोला (अजय) 10 साल बाद जेल से निकला है। घर जाने के रास्ते में उसका सामना SP डायना (तब्बू) से होता है, जिसे अकेले कई बेहोश पुलिसवालों को बचाना है। उसे जल्द से लालगंज थाने पहुंचना है, जहां उसने जब्त किए हुए 1,000 करोड़ के ड्रग्स छिपाए हैं। उधर, जिस गैंग का ड्रग है, वो थाने पर हमला बोल देता है।
इस थाने में हवलदार समेत पांच छात्र मौजूद हैं।
इस रात की दिलचस्प कहानी है 'भोला'।
अभिनय
'भोले' अजय और रौबदार तब्बू ने फिल्म को बनाया खास
इस फिल्म को तब्बू की फिल्म कहना गलत नहीं होगा। फिल्म में उनका शानदार एक्शन देखने को मिलता है। पिछली कुछ फिल्मों में वह ऐसे ही किरदार में नजर आई हैं, ऐसे में इस रौबदार रवैये को वह सहजता से निभाती हैं।
पर्दे पर अजय का अनुभव बोलता है। 'भोला' के किरदार में अजय भोलेपन और गुस्से को एक साथ सरलता से प्रदर्शित करते हैं।
अश्वत्थामा के किरदार में दीपक डोबरियाल फिल्म में चार चांद लगाते हैं।
सहायक कलाकार
सहायक कलाकार बढ़ाते हैं फिल्म का वजन
'भोला' के सहायक किरदार फिल्म का वजन बढ़ाते हैं।
संजय मिश्रा अपने अभिनय से किरदार की सादगी, सरलता और लाचारी को बखूबी पेश करते हैं।
गजराज राव का नया अंदाज देखने को मिलता है।
अमाला पॉल कुछ देर के लिए ही रोमांस के लिए नजर आती हैं, लेकिन अपनी जगह बखूबी बनाकर जाती हैं।
विनीत कुमार एक खूंखार गैंग्सटर की भूमिका में हैं। वह दर्शकों को डराने में कामयाब हुए।
मकरंद देशपांडे और किरण कुमार की मौजूदगी भी प्रभावी है।
निर्देशन
कई तत्व होने के बाद भी पटरी से नहीं उतरती फिल्म
इस फिल्म का निर्देशन खुद अजय ने किया है। मूल फिल्म 'कैथी' का निर्देशन लोकेश कनगराज ने किया था।
फिल्म में खूब सारा एक्शन है। एक्शन के बीच में कहीं-कहीं कॉमेडी है। अजय के हिस्से प्रेरक संवाद भी हैं।
गैंग्स्टर और पुलिस की भिड़ंत के बीच रोमांस भी आता है और एक बाप की लाचारी भी दिखती है।
इन सबका अनुपात इतना संतुलित है कि कुछ भी बेतरतीब या बेवजह नहीं लगता और फिल्म अपना थ्रिल पकड़कर चलती है।
कमी
बॉलीवुड का यह पुराना मसाला बिगाड़ता है स्वाद
यह एक तमिल फिल्म की रीमेक है। उसका प्रभाव एक्शन दृश्यों पर दिखता है।
कुछ एक्शन मनोरंजक होने के बावजूद, लंबे होने के कारण कमजोर लगते हैं।
फिल्म का प्लॉट एक रात पर आधारित है। ऐसे में बहुत सारी घटनाओं का होना अखरता है और दर्शक क्लाइमैक्स के लिए बेसब्र हो जाते हैं।
सारे एक्शन के बीच "हीरो को कुछ नहीं हो सकता" वाली बॉलीवुड की घिसी-पिटी धारणा भी फिल्म को कमजोर करती है।
फिल्म का VFX भी औसत है।
सीक्वल
अधूरे रह गए किरदार, सीक्वल के लिए बनी भूमिका
फिल्म एक खुशनुमा मोड़ पर खत्म होती है, लेकिन यह अधूरी लगती है।
फिल्म में बहुत सारे किरदार हैं, जिनकी कहानी पूरी होना बाकी है। ऐसे में यह फिल्म सीक्वल की महज भूमिका लगती है।
फिल्म के क्लाइमैक्स में अभिषेक बच्चन सरप्राइज की तरह आते हैं और अपने नकारात्मक किरदार में सीक्वल की भूमिका बना जाते हैं। ऐसे में साफ है कि फिल्म का सीक्वल आएगा, जिसमें अभिषेक और अजय की भिड़ंत दिखेगी।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
फिल्म रिलीज होने से पहले एक इंटरव्यू में अजय ने कहा था कि इसके साथ नए फिल्म यूनिवर्स की शुरुआत होगी, जिसमें कई नए किरदार शामिल होंगे। 'भोला' इस यूनिवर्स की एक दमदार शुरुआत लगती है।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- एक्शन फिल्में, दक्षिण भारतीय फिल्में या अजय देवगन की फिल्में, इनमें से कुछ भी पसंद है तो इस फिल्म को देख डालिए। फिल्म को तब्बू और दीपक के शानदार प्रदर्शन के लिए भी देखा जा सकता है।
क्यों न देखें?- यह फिल्म धीमे बढ़ती है। फिल्म में कई हिंसक दृश्य हैं। इस तरह के दृश्यों से परहेज है तो इससे बच सकते हैं।
न्यूजबाइट्स स्टार- 3.5/5