'आदिपुरुष' रिव्यू: आधुनिकता-पौराणिकता के बीच फंसी फिल्म, VFX ने और खराब किए किरदार
क्या है खबर?
लंबे इंतजार के बाद फिल्म 'आदिपुरुष' सिनेमाघरों में आ चुकी है। धर्म, राजनीति, कॉस्ट्यूम, VFX, किरदार, कलाकार, किसी न किसी वजह से फिल्म विवादों में रही।
करीब 600 करोड़ रुपये में बनी इस फिल्म के प्रमोशन के लिए निर्माताओं ने तरह-तरह के प्रयोग किए। हर स्क्रीन पर हनुमान जी के लिए एक सीट भी आरक्षित की।
फिल्म में प्रभास ने राघव और कृति सैनन ने जानकी का किरदार निभाया है।
आइए, जानते हैं कैसा है रामायण का यह आधुनिक संस्करण।
रामायण
रामायण के कितने करीब है फिल्म?
दावा था कि फिल्म के जरिए नई पीढ़ी को रामायण से नए तरीके से परिचित कराया जाएगा। इसके लिए किरदारों की वेशभूषा भी नए सिरे से बनाई गई है।
आधुनिकीकरण के चक्कर में फिल्म 'रामायण' का भाव ही खो देती है।
किरदारों के कॉस्ट्यूम में पौराणिकता कम, आधुनिकता ज्यादा है। VFX से बनाए गए किरदार भी फिल्म में भारतीयता को फीका करते हैं।
अगर आप रामायण की छोटी-छोटी कहानियों से परिचित हैं, तो फिल्म के गलत तथ्य जगह-जगह परेशान करेंगे।
प्रभास
सौम्य और सरल राम को बना दिया 'एक्शन हीरो'
सबसे पहले तो श्री राम का किरदार ही निराश करता है। रामायण के तमाम संस्करणों के अनुसार, राम सौम्य और दयालु हैं जबकि फिल्म में शुरू के 10 मिनट प्रभास को 'एक्शन हीरो' के रूप में स्थापित किया गया है।
एक्शन दृश्यों में प्रभास 'बाहुबली' रहे, लेकिन सरलता और प्रेम के दृश्यों में उनका अभिनय साथ नहीं देता। इस किरदार की हिंदी डबिंग भी परेशान करने वाली है।
उनके किरदार को मजबूत बनाने में लेखक और निर्देशक कमजोर रह गए।
अन्य कलाकार
ऐसे रहे कृति और सैफ
कृति अपने हावभाव से जानकी का दुख दिखाने में कामयाब रहीं। हालांकि, कॉस्ट्यूम और लेखन ने उनके किरदार को भी कमजोर किया। इसके अलावा राम-सीता के रूप में पर्दे पर प्रभास और कृति के बीच आपसी सहजता नजर नहीं आती।
सनी सिंह के पास अपनी छवि बदलने का मौका था, लेकिन वह लक्ष्मण का तेज पर्दे पर नहीं उतार सके।
सैफ अली खान रावण का अहंकार दिखाने में सफल हैं, लेकिन कॉस्ट्यूम और VFX ने यहां भी काम खराब किया।
VFX
बदलाव के बाद भी काम नहीं आया VFX
फिल्म का सबसे जरूरी तत्व VFX है। पिछले साल जब फिल्म का टीजर आया तो इसके VFX की इतनी आलोचना हुई कि इसपर दोबारा काम करने के लिए और वक्त लिया गया। इसके लिए फिल्म का बजट बढ़ाया गया।
VFX की अति ही इस फिल्म की कमजोर कड़ी है। VFX से बने पशु-पक्षियों के कारण यह फिल्म कई बार एनिमेटेड फिल्म लगने लगती है। इससे बेहतर होता कि इसे रामायण से प्रेरित साइंस फिक्शन के रूप में बनाया जाता।
निर्देशन
यहां मात खा गए निर्देशक
ऐसा लगता है कि ओम राउत पौराणिकता और आधुनिकता के बीच फंस गए। एक तरफ संस्कृत के शब्दों का इस्तेमाल हो रहा है, सैफ शिव तांडव गा रहे हैं, दूसरी तरफ रावण की सेना हॉलीवुड फिल्मों के विलेन वाला लुक रखती है।
निर्देशक ऐसी अपेक्षा रखते हैं कि दर्शक पहले से ही रामायण से परिचित हैं। जटायु, शबरी जैसे किरदार बिना किसी परिचय के आकर चले जाते हैं।
प्रभास और सैफ की भिड़ंत भी आधुनिक फिल्मों का एक्शन लगता है।
संगीत
संगीत के नाम पर सिर्फ 'जय श्री राम'
आप मन से रामायण हटाकर इसे एक अच्छी एक्शन थ्रिलर फिल्म की तरह देख सकते हैं, लेकिन घड़ी-घड़ी बैकग्राउंड में बजता 'जय श्री राम' ऐसे होने नहीं देता।
गानों के जरिए राघव-जानकी के प्रेम को दिखाने की भी कोशिश की जाती है, लेकिन इनके बोल से भी पौराणिकता गायब है। ऐसा लगता है आप नए जमाने की किसी फिल्म का रोमांटिक गाना सुन रहे हैं।
पशु-पक्षियों की आवाज भी बेहद नकली लगती है।
संवाद
लेखक से नहीं थी ऐसी उम्मीद
जब मुख्य पात्र श्री राम हैं, तो दर्शन भरे गहरे संवादों की अपेक्षा की जाती है। इससे उलट, राम कह रहे हैं- "आ रहा हूं, न्याय के दो पैरों से अन्याय के दस सर कुचलने।"
अंगद रावण से कहते हैं, "अपने 20 कान इधर घुमा और ध्यान से सुन।"
हनुमान को संजीवनी की पहचान बताई जाती है, "संजीवनी, संजीवनी है, यही उसकी पहचान है।"
ऐसे ही कई संवाद हैं, जो रह-रहकर सिर पकड़ने पर मजबूर करते हैं।
शर्मनाक
शर्मनाक हैं ऐसे संवाद
लंका जलाते वक्त हनुमान जी इंद्रजीत से कहते हैं, "कपड़ा तेरे बाप का, तेल तेरे बाप की और जलेगी भी तेरे बाप की।"
वह राम से कहते हैं, "जो हमारी बहनों को हाथ लगाएगा, उनकी लंका लगा देंगे।"
पौराणिक किरदारों से ऐसे संवाद बुलवाकर आप दावा कर रहे हैं कि नई पीढ़ी का, बच्चों का रामायण से परिचय करा रहे हैं? धर्म और संस्कृति से थोड़ा भी लगाव रखने वालों के लिए ऐसे संवाद शर्मनाक हैं।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- VFX से भरपूर 3D फिल्म देखना चाहते हैं, तो इस फिल्म पर पैसा लगा सकते हैं। सैफ और कृति के प्रशंसक भी इस फिल्म को समय दे सकते हैं।
क्यों न देखें?- अगर आपको रामायण, उसके किरदारों से लगाव है, तो यह फिल्म बार-बार निराश करेगी। अगर आपको रामायण में रुचि नहीं है, तो वैसे ही यह फिल्म आपके काम की नहीं है।
न्यूजबाइट्स स्टार- 2/5