राजस्थान: बोर्ड की पाठ्य पुस्तकों में हुआ बदलाव, अब ये पढ़ेंगे 10वीं और 12वीं के छात्र
कार्यभार संभालने के महज छह महीने के भीतर ही राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राज्य बोर्ड से पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए स्कूल पाठ्य पुस्तकों में कई बदलाव किए हैं। पाठ्य पुस्तकों में मॉडिफिकेशन ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तित्वों और NDA सरकार द्वारा अपने पहले कार्यकाल में लिए गए निर्णयों से संबंधित हैं। छात्रों को अब अपनी पाठ्य पुस्तकों में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। आइए जानें क्या-क्या बदलाव किए गए।
13 फरवरी को गठित कमेटी की सिफारिशओं पर हुए बदलाव
राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (RBSE) के लिए राज्य पाठ्यपुस्तक बोर्ड (RSTB) द्वारा नई छपी पुस्तकें राजस्थान बाजार में वितरित की गई हैं। यह परिवर्तन 13 फरवरी, 2019 को गठित पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति द्वारा की गई सिफारिशों के बाद किया गया था। इस समिति का गठन ये देखने के लिए किया गया था कि पहले स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव राजनीतिक हितों की पूर्ति और इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने के लिए तो नहीं किए गए थे।
12वीं इतिहास की पुस्तक में हुआ सावरकर की भूमिका का विवरण
पुरानी पुस्तक में स्वतंत्रता आंदोलन के अध्याय में सावरकर के साथ 'वीर' पहले से जुड़ा था। इसमें भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सावरकर के योगदान पर विस्तृत चर्चा की गई थी। नई पुस्तक में सावरकर को 'विनायक दामोदर सावरकर' के रूप में संबोधित किया गया है और 'वीर' हटा दिया गया है। इसमें बताया गया है कि अंग्रेजों द्वारा उन पर किए गए अत्याचार से परेशान सावरकर ने अपनी दूसरी दया याचिका में खुद को 'पुर्तगाल का बेटा' कहा था।
10वीं सोशल साइंस की पुस्तक में हुआ ये बदलाव
इसके साथ ही 10वीं सोशल साइंस की पुस्तक में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हल्दीघाटी युद्ध के बारे में बताया गया है। पुरानी पुस्तक के अनुसार मुगल सम्राट अकबर, प्रताप को पकड़ने या मारने और उसके पूरे राज्य को जीतने के अपने उद्देश्यों में असफल रहा था। वहीं नई पुस्तक में हल्दीघाटी के युद्ध का हिस्सा प्रताप के साथ युद्ध के मैदान छोड़ने और उनके घोड़े चेतक के मरने के बाद समाप्त होता है।