कौन है पुष्पा प्रिया, जिन्होंने 16 साल में दूसरों के लिए लिखी 1,000 से ज्यादा परीक्षाएं?
क्या आपको परीक्षा हॉल में जाना याद है? जब आपको घबराहट होती है, माथे पर पसीने की बूंदे आ जाती हैं और इस प्रार्थना में हाथ जुड़ जाते हैं कि सरल सवाल आएं। कई बार कुछ परीक्षार्थी मजबूरी में परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन इस लेख में हम बात कर रहे हैं पुष्पा प्रिया की, जिन्होंने मजबूरी में नहीं, बल्कि दूसरों की मदद के लिए 16 सालों में 1,000 से ज्यादा परीक्षा पेपर लिखे हैं।
बेंगलुरू की रहने वाली हैं पुष्पा
बेंगलुरू निवासी पुष्पा दिव्यांगों की मदद करने के लिए उनके लेखक के रूप में परीक्षा में शामिल होती हैं। साल 2007 से उन्होंने ये काम शुरू किया था। उस दौरान एक नेत्रहीन मित्र ने विकलांग व्यक्ति के लिए परीक्षा लिखने को कहा था। पुष्पा ने जब पहली बार परीक्षा लिखी तो खूब तनाव हुआ। उन्होंने बताया "वो तीन घंटे का तनाव था, उम्मीदवार बहुत धीरे-धीरे जवाब लिखवा रहा था और मुझे बार-बार सवाल पढ़ने को कह रहा था।"
परीक्षा हॉल मेरे दूसरे घर जैसा- पुष्पा
पुष्पा ने कहा, "पहली बार जब मैंने परीक्षा लिखी तो तनाव हुआ, लेकिन अब परीक्षा हॉल मेरे दूसरे घर जैसा है। ये मेरे लिए नियमित काम है। मुझे कोई तनाव महसूस नहीं होता। हालांकि, कुछ छात्रों के साथ थोड़ी कठिनाई आती है।" उन्होंने आगे कहा, "सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित छात्रों के शब्दों को बहुत ध्यान केंद्रित कर सुनना होता है। कई बार मैं शब्दों को समझने के लिए उनके होठों की हरकतों पर गौर करती हूं।"
पुष्पा ने गरीबी के कारण छोड़ा था स्कूल
पुष्पा गरीब परिवार से आती हैं। एक दुर्घटना में उनके पिता के घायल होने के बाद मां ने उनका पालन-पोषण किया था। पुष्पा बताती है कि फीस न भर पाने के चलते उन्हें और उनके भाई को स्कूल छोड़ना पड़ा। साल 2018 में पुष्पा के पिता और 2020 में भाई का निधन हो गया। 1 साल बाद उनकी मां की मौत हो गई। भावनात्मक तौर पर टूटने के बाद भी पुष्पा ने लेखक के रूप में काम जारी रखा।
राष्ट्रपति कर चुके हैं सम्मानित
पुष्पा 2007 से विकलांगों के लेखक के रूप में निशुल्क परीक्षाएं लिखती हैं, उनके इस काम को 11 साल बाद साल 2018 में राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली। 8 मार्च, 2018 को तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पुष्पा को सम्मानित किया। पुष्पा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर चुकी हैं। पुष्पा ने अब तक कई नेत्रहीन छात्रों, सेरेब्रल पाल्सी, डाउन सिंड्रोम, ऑटिज्म और दुर्घटना के शिकार छात्रों की मदद की है।
पुष्पा हैं 5 भाषाओं की जानकार
पुष्पा 5 भारतीय भाषाओं तमिल, कन्नड़, अंग्रेजी, तेलुगु और हिंदी में बोल और लिख सकती हैं। ऐसे में उनकी सेवाओं की मांग बहुत है। पुष्पा ने अब तक 1,000 से ज्यादा परीक्षाओं को निशुल्क लिखा है। स्कूल और विश्वविद्यालय की परीक्षा के अलावा पुष्पा ने सरकारी नौकरी के लिए प्रवेश परीक्षा और चयन परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों की भी मदद की है। पुष्पा बताती हैं "मैंने कई छात्रों के लिए परीक्षाएं लिखी हैं और सबकी अनूठी कहानी है।"
लेखक को लेकर क्या है सरकारी नियम?
शारीरिक रूप से असक्षम छात्र अपनी ओर से परीक्षा लिखने के लिए लेखक का उपयोग करते हैं। सरकारी नियमों के अनुसार, लेखक अगर विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ा हो तो उसे लिखने की अनुमति नहीं है। लेखकों को एक निर्धारित शुल्क भी मिलता है।