उत्तर प्रदेश में कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के बच्चे नहीं होंगे फेल, आदेश जारी
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है।
सरकारी आदेश के अनुसार, उत्तर प्रदेश के स्कूलों में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों को फेल नहीं किया जा सकेगा।
अगर किसी छात्र ने किसी कारणवश परीक्षा में हिस्सा नहीं ले पाया तो भी उसे अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाएगा।
बेसिक शिक्षा परिषद ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं।
लाभ
किन्हें मिलेगा लाभ?
उत्तर प्रदेश स्कूली शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने बताया कि राज्य में 'नो रिटेंशन पॉलिसी' को लागू किया है। इस पॉलिसी में साफ तौर पर कहा गया है कि किसी भी बच्चे को फेल नहीं किया जा सकता।
आधिकारिक आदेश के अनुसार, वे छात्र जो उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के तहत संचालित होने वाले परिषदीय विद्यालयों और मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें नए नियम के तहत लाभ दिया जाएगा।
मकसद
इस फैसले से क्या लाभ होगा?
नो रिटेंशन पॉलिसी को लागू करने के पीछे सरकार का मकसद है कि छात्रों को बिना किसी बाधा के अच्छी गुणवत्ता युक्त शिक्षा दी जाए।
सरकार चाहती है कि छात्रों के मन में कभी पिछड़ने का भाव नहीं आना चाहिए।
इस नियम के लागू होने के बाद छात्र फेल होने के डर के बिना अच्छी तरह पढ़ाई कर सकेंगे।
स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या में भी ईजाफा होगा और वे पढ़ाई के अलावा को-करिकुलर एक्टिविटी में भाग ले सकेंगे।
अधिनियम
सरकारी अधिनियम में है इस बात का उल्लेख
शिक्षा के अधिकार अधिनियम में कहा गया है कि पहली से लेकर 8वीं तक के बच्चों को किसी भी हालत में फेल नहीं किया जा सकता।
कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के छात्रों को बिना फेल किए अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाएगा।
इस अधिनियम के तहत 6 से 14 साल के बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की जिम्मेदारी सरकार की है।
रिपोर्ट
रिपोर्ट कार्ड को लेकर भी आदेश जारी
बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से छात्रों के रिपोर्ट कार्ड को लेकर भी आदेश जारी किए गए हैं। छात्रों की वार्षिक परीक्षाओं के आधार पर रिपोर्ट कार्ड वितरित करने का आदेश दिया गया है।
शिक्षकों में रिपोर्ट कार्ड को लेकर असमंजस की स्थिति होने पर निर्देश दिए गए हैं कि पिछले वर्ष जारी किए गए आदेश के अनुसार ही परिणाम तैयार किया जाएगा।
स्कूलों को वार्षिक परीक्षा और मूल्यांकन के आधार पर छात्र-छात्रों के रिपोर्ट कार्ड वितरित करने होंगे।