जोहो के CEO श्रीधर वेंबु ने पत्नी के आरोपों पर दी सफाई, कही ये बातें
क्या है खबर?
सॉफ्टवेयर प्रदाता कंपनी जोहो के CEO श्रीधर वेंबु पर बीते कुछ समय से उनकी पत्नी प्रमिला श्रीनिवास ने कई आरोप लगाए हैं।
प्रमिला ने उन पर तलाक देने, जोहो के शेयर बेचने, बेटे को उसका हिस्सा न देने और कंपनी के स्वामित्व से जुड़े कई आरोप लगाए हैं।
इन आरोपों को अपने चरित्र पर शातिर और व्यक्तिगत हमला बताते हुए श्रीधर वेंबु ने कहा कि अब समय आ गया है कि वो इस पर अपनी प्रतिक्रिया दें।
ट्विटर
ऑटिज्म ने नष्ट किया हमारा जीवन- श्रीधर वेंबु
श्रीधर ने ट्विटर पर एक लंबे थ्रेड के जरिए इस पूरे मामले पर अपनी बात कही।
उन्होंने लिखा, 'मेरा निजी जीवन, मेरे व्यावसायिक जीवन के विपरीत काफी संघर्ष भरा रहा है। ऑटिज्म ने हमारे जीवन को नष्ट कर दिया और मुझे सुसाइडल डिप्रेशन तक पहुंचा दिया।'
उन्होंने लिखा, 'मैं और मेरी पत्नी प्रमिला 15 सालों से ऑटिज्म से लड़ रहे हैं। वह एक सुपर मॉम हैं और वो ऑटिज्म से पीड़ित हमारे बेटे की देखरेख कर रही हैं।'
उपचार
बेटे को उपचार से नहीं मिल रहा था फायदा- वेंबु
श्रीधर ने लिखा, 'जैसै-जैसे हमारा बेटा बड़ा होता गया (आज 24 वर्ष) मुझे लगा कि लंबे समय से चल रहे उपचार से उसे बहुत फायदा नहीं मिल रहा था। बेहतर होगा कि वह ग्रामीण भारत में प्यार करने वाले लोगों के करीब रहे और लोगों को आगे बढ़ाने में मदद करे।'
वेंबु ने लिखा, 'मेरी पत्नी को लगा कि मैं हार मान रहा हूं और इस तनाव में हमारी शादी टूट गई।'
मुसीबत
पत्नी के आरोप निराधार- श्रीधर
श्रीधर ने लिखा, 'दुर्भाग्य से हमारी शादी का अंत नई मुसीबत लेकर आया। मेरी पत्नी जोहो कॉर्प में मेरे स्वामित्व के बारे में अदालत में निराधार आरोप लगा रही है और इस बात को प्रेस के सामने भी ले जाने का उसने फैसला लिया है। मामला अमेरिका की अदालत में है और मेरी फाइलिंग सार्वजनिक है।'
श्रीधर ने कहा, 'मैं स्पष्ट रूप से कहूंगा कि मैंने कभी भी कंपनी में अपने शेयर किसी और को हस्तांतरित नहीं किए।'
अमेरिका
"पत्नी और बेटा जी रहे हैं समृद्ध जीवन"
श्रीधर ने कहा, 'मैं अपने 27 साल के इतिहास में पहले 24 सालों तक अमेरिका में रहा और कंपनी का अधिकांश हिस्सा भारत में बनाया गया था। ये बात ऑनरशिप में भी पता चलती है।'
श्रीधर ने कहा, 'यह कहानी पूरी तरह से बनावटी है कि मैंने प्रमिला और अपने बेटे को आर्थिक रूप से त्याग दिया। वे मुझसे कहीं अधिक समृद्ध जीवन जी रहे हैं और मैंने उनकी पूरी मदद की है।'
जानकारी
3 साल से मेरा अमेरिका का वेतन प्रमिला के पास- श्रीधर
जोहो के CEO श्रीधर वेंबु ने आगे लिखा, 'पिछले 3 साल से अमेरिका का मेरा वेतन प्रमिला के पास है और मैंने उन्हें अपना घर दे दिया है। उनके फाउंडेशन को भी जोहो मदद कर रही है।'
चाचा
श्रीधर ने चाचा को बताया पूरे मामले की वजह
श्रीधर ने लिखा, 'इस पूरे घटनाक्रम की वजह अमेरिका में रहने वाले मेरे चाचा राम (मेरे पिता के छोटे भाई) थे, जिन्हें मैंने उनके कैंसर के चलते रहने की जगह दी थी।'
वेंबु ने लिखा कि उनके पिता के प्रति उनके चाचा के मन में कुंठा थी और ये उन्हीं कुंठाओं को निकाल रहे हैं और उनके और उनके भाई-बहनों के बारे में दुर्भावनापूर्ण अफवाह फैला रहे हैं।
कैलिफोर्निया
प्रमिला का चाचा पर भरोसा करना दुख की बात - श्रीधर
श्रीधर ने लिखा, 'अलास्का के मेरे चाचा दशकों से मेरे पिता और हमसे दूर थे। कुछ साल पहले ही हमने उन्हें कैलिफोर्निया में हमारे साथ रहने के लिए बुलाया था क्योंकि उनको टर्मिनल कैंसर था और वहां उनकी देखरेख वाला कोई नहीं था। कैलिफोर्निया आने से पहले तक हमारी उनसे बातचीत नहीं होती थी। दुख की बात है कि प्रमिला ने चाचा पर भरोसा किया, जो अभी भी अपनी हताशा के कारण हमारे घर पर किराए पर रहते हैं।'
जोहो
तमिलनाडु में जन्मे श्रीधर
बता दें कि 1968 में जन्मे श्रीधर तमिलनाडु के तंजावुर में पले-बढ़े और IIT मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। अमेरिका में PhD करने के बाद उन्होंने यहीं क्वॉलकॉम के लिए वायरलेस इंजीनियर काम किया था।
फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीधर वेंबु 2021 में भारत के 55वें सबसे अमीर शख्स बन गए थे।
1996 में श्रीधर ने अपने भाई के साथ सॉाफ्टवेयर डेवलपमेंट फर्म एडवेंटनेट शुरू की। 2009 में इसका नाम बदलकर जोहो कॉर्पोरेशन किया गया।
गांव
पद्मश्री से सम्मानित किए जा चुके हैं श्रीधर
श्रीधर को हमेशा से गांवों से लगाव रहा और वे अमेरिका से भारत आ गए। यहां उन्होंने चेन्नई के अलावा एक ऑफिस तमिलनाडु के तेनकासी जिले के माथलमपराई गांव में भी बनवाया।
श्रीधर ने बताया, "जब कंपनी में चेन्नई से बाहर के कर्मियों की बहाली हुई, तब आइडिया आया कि हमें गांव से शहर की ओर होने वाले माइग्रेशन के ट्रेंड को बदलना चाहिए।"
श्रीधर को उनके कार्यों के लिए पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।