UPSC: तमिलनाडु के जयगणेश ने असफलताओं से नहीं मानी हार, सातवीं बार में बने IAS अधिकारी
"लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।" हौसला बढ़ाने वाली इन लाइनों को सार्थक बनाया है तमिलनाडु निवासी के जयगणेश ने। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा (CSE) में छह बार असफल होने के बाद भी कभी हार नहीं मानी और लगातार मेहतन में जुटे रहे। इसी का नतीजा रहा है कि सातवें प्रयास में सफलता हासिल करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी बन गए।
आर्थिक बदहाली में गुजरा था बचपन
मूलरूप से तमिलनाडु राज्य में विल्लोर जिले के एक छोटे से गांव विनावमंगलम के रहने वाले जयगणेश का जन्म आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में हुआ था। उनके पिता पास की ही एक प्राइवेट फैक्टरी में नौकरी करते थे। जयगणेश ने बचपन में गरीबी को बेहद ही नजदीक से देखा है। वह अक्सर गांव वालों की दयनीय स्थिति को देखकर उनकी मदद करना चाहते थे, लेकिन उस वक्त वह ऐसा कर पाने में समर्थ नहीं थे।
गांव के स्कूलों से पूरी की प्रारंभिक शिक्षा
UPSC की परीक्षा में असफल हो जाने के बाद कई बार लोग स्कूल, कॉलेज और संसाधनों को दोषी ठहराते दिखाई देते हैं, लेकिन जयगणेश ने ऐसे तर्कों पर पूर्ण विराम लगा दिया। उन्होंने आठवीं और 10वीं की प्रारंभिक पढ़ाई गांव के स्कूलों से ही पूरी की है। 10वीं करने के बाद पॉलिटेक्निक में दाखिला ले लिया और उसमें 91% अंक हासिल किए थे। इसके बाद वह तांठी पेरियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (TPGIT) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
गांव में रहकर तीन बार दे चुके थे परीक्षा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जयगणेश अपने चार-भाई बहनों में सबसे बड़े थे। ऐसे में उनके कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी का बोझ भी था। वह बताते हैं, "गांव में रहते हुए मैंने तीन बार सिविल सेवा परीक्षा (IAS) में हिस्सा लिया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लग पाई। तब मुझे एहसास हुआ कि इसके लिए और अधिक मेहनत की आवश्यकता है। मैं चेन्नई चला गया। जहां सरकार द्वारा संचालित अखिल भारतीय संस्थान, अन्ना नगर में दाखिला ले लिया"।
मेस का बिल चुकाने के लिए बने वेटर
जयगणेश ने लाख चुनौतियों के बाद भी अपना मार्ग नहीं बदला। घर से निकलने के बावजूद मुसीबतों ने पीछा नहीं छोड़ा था। सरकारी संस्थान से तैयारी का जुगाड़ तो गया था, लेकिन खाने और आने-जाने के लिए यात्रा किराया अभी भी चिंता का विषय बना हुआ था। ऐसे में उन्होंने काम करते हुए अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने का निर्णय किया। उन्होंने खर्चे का जुगाड़ करने के लिए कई जगह काम किया। कई बार तो वेटर तक बनना पड़ा।
IB की नौकरी छोड़कर बने IAS अधिकारी
जयगणेश के लिए IAS अधिकारी बनने तक का सफर इतना आसान नहीं था।उन्हें इस पूरे सफर में कुल छह बार असफल होना पड़ा था। हालांकि, इस दौरान उनका चयन इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में हो गया था, लेकिन IAS बनने का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने फिर से तैयारी की और आखिरकार सातवीं बार में 156वीं रैंक हासिल कर IAS बनने का सपना पूरा कर लिया।