गो फर्स्ट ने स्वैच्छिक दिवालिया समाधान प्रक्रिया के लिए किया आवेदन; आखिर किया हुआ?
क्या है खबर?
गो फर्स्ट एयरलाइन ने मंगलवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (NCLT) के समक्ष स्वैच्छिक दिवालिया समाधान प्रक्रिया के लिए आवेदन किया है।
आर्थिक तंगी से जूझ रही एयरलाइन ने 3 और 4 मई की सभी उड़ानों को भी अस्थायी तौर पर रद्द कर दिया है।
गो फर्स्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) कौशिक खोना ने कहा कि प्रैट एंड व्हीटनी (P&W) कंपनी द्वारा इंजन की आपूर्ति नहीं करने के कारण 25 विमानों की सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है।
कदम
गो फर्स्ट ने क्यों अपने विमानों के परिचालन पर लगाई रोक?
गो फर्स्ट ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका की प्रैट एंड व्हिटनी इंटरनेशनल एयरो इंजन कंपनी द्वारा असफल इंजनों की आपूर्ति की बढ़ती संख्या के कारण उसे अचानक यह कदम उठाना पड़ा है।
कंपनी ने कहा कि खराब इंजनों के परिणामस्वरूप एयरलाइन को 25 विमानों का परिचालन रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जो 1 मई तक उसके एयरबस A320 नियो विमान बेड़े का करीब 50 प्रतिशत है।
फैसला
गो फर्स्ट को हुआ 10,800 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान
एयरलाइन ने कहा कि उसे अपने एयरबस A320 नियो विमान बेड़े के करीब 50 प्रतिशत ग्राउंडिंग के कारण 10,800 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।
कंपनी ने कहा कि उसने पिछले दो वर्षों में लीजकर्ताओं को को 5,657 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
इस धनराशि में 1,600 करोड़ रुपये का भुगतान गैर-परिचालन वाले विमानों के लीज किराए के तौर पर किया गया, जिसे प्रमोटर्स और केंद्र सरकार की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना से लिया गया था।
मांग
अब आगे इस मामले में क्या होगा?
गो फर्स्ट ने प्रैट और व्हिटनी द्वारा आपूर्ति किए गए इंजनों में लगातार आ रही समस्याओं के कारण हुए नुकसान के कारण NCLT में आवेदन किया है। गो फर्स्ट ने सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में 8,000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए याचिका भी दाखिल की है।
गौरतलब है कि यदि मध्यस्थता सफल होती है तो एयरलाइन कंपनी अपने छोटे और बड़े लेनदारों की देनदारियों को चुकाने में सक्षम हो पाएगी।
प्रक्रिया
क्या होता है स्वैच्छिक दिवालिया समाधान प्रक्रिया?
स्वैच्छिक दिवालिया समाधान प्रक्रिया में कंपनी खुद स्वीकार करती है कि वह दिवालिया हो चुकी है।
इस प्रक्रिया के तहत कंपनी कहती है कि वह कर्ज का भुगतान नहीं कर सकती है और इसे सुलझाने के लिए किसी की मदद की जरूरत है।
जब कंपनी दिवालिया हो जाती है तो यह स्वैच्छिक परिसमापन के लिए आगे बढ़ सकती है। यह प्रक्रिया कंपनी के शेयरधारकों और लेनदारों से अनुमोदन के साथ कंपनी के विघटन को संदर्भित करती है।