आर्थिक सर्वेक्षण क्या है? जानें इसके बारे में महत्वपूर्ण बातें
संसद में आज से बजट सत्र शुरू हो गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पहली बार संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की। इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन के निर्देशन में तैयार किया गया है और वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे। आइये जानते हैं आर्थिक सर्वेक्षण क्या होता है और बजट में इसका क्या महत्व है।
क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण?
आर्थिक सर्वेक्षण में पिछले एक साल में देश की आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट और इससे संबंधित आंकड़े होते हैं। इस सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी मुख्य चुनौतियों और इनसे निपटने के उपायों के बारे में भी बताया जाता है। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय का आर्थिक प्रभाग ये सर्वे तैयार करता है। पिछले साल इसे तत्कालीन CEA डॉ कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम की टीम ने इसे तैयार किया था।
आर्थिक सर्वेक्षण का क्या है महत्व?
केंद्र सरकार द्वारा बजट पेश करने से एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण को संसद में पेश किया जाता है और यह वित्त मंत्रालय का अहम दस्तावेज है, जो चालू वित्त वर्ष की अर्थव्यवस्था की समीक्षा करने में विशेषज्ञों की सहायक करता है। इस सर्वे में आर्थिक संसाधनों, कृषि और औद्योगिक उत्पादन, बुनियादी ढांचे, आयात-निर्यात और विदेशी मुद्रा भंडार के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को प्रभावी बनाने के सभी पहलुओं पर आंकड़े होते हैं।
पहली बार कब पेश किया गया था आर्थिक सर्वेक्षण?
वित्त मंत्रालय ने साल 1950-51 में पहली आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की थी और उस समय इसे बजट के साथ ही पेश किया जाता था। साल 1964 में इसे बजट से अलग कर दिया गया। साल 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने विस्तृत आंकड़े पेश नहीं किये थे, जबकि साल 2020-21 में इसे दो हिस्सों में पेश किया गया। इस दौरान सरकार की इस रिपोर्ट को विपक्ष ने आंकड़ों में 'बाजीगरी' करार दिया था।
आर्थिक सर्वेक्षण और बजट से क्या हैं उम्मीदें?
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को लेकर भी लोगों की काफी उम्मीदें हैं और इसी के आधार पर बजट की रुपरेखा तय होगी। जानकारों की मानें तो सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजकोषीय घाटे को कम करने और GDP विकास दर बढ़ाने के साथ-साथ महंगाई और बेरोजगारी पर काबू पाना है। लिहाजा सरकार को जरूरत है कि वह कामकाजी वर्ग को टैक्स में थोड़ी राहत दे और गैर-टैक्स उपायों से अपने आर्थिक संसाधनों को मजबूत करे।
कैसी है भारत की आर्थिक स्थिति?
जानकारों की मानें तो साल 2017-18 की शुरुआत से भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति कुछ खास नहीं है। कोरोना वायरस महामारी के बाद विकास दर में तेजी देखी गई है, लेकिन इसे आंकड़ों का एक सांख्यिकीय भ्रम भी कहा जा रहा है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत की संभावित विकास दर आठ प्रतिशत से गिरकर छह प्रतिशत पर आ गई है। इसके अलावा महामारी के दौरान अमीर और गरीब के बीच असमानता, महंगाई और बेरोजगारी में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है।
कब तक चलेगा बजट सत्र?
संसद में सरकार की तरफ से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। बजट सत्र के दौरान लगभग 36 विधेयक संसद में पेश किये जाएंगे, जिनमें से चार बजटीय अभ्यास से संबंधित हैं। बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी तक चलेगा और दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान 27 दिन कार्यवाही होगी। वित्त मंत्री 1 फरवरी को संसद में 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी।