कितने प्रकार के होते हैं बजट? जानिए इनके फायदे और नुकसान
बजट पेश होने में अब थोड़ा ही समय बचा है। गृहिणी से लेकर बड़े-बड़े बिजनेस चलाने वाले लोगों की नजरें इस पर टिकी होती हैं। सबको इंतजार रहता है कि बजट के दौरान क्या ऐलान किये जाते हैं। इस मौके पर हम आपको बजट के बारे में कुछ अहम बातें बताने जा रहे हैं जो बजट को समझने में आपकी मदद करेंगी। आज हम आपको बैलैंस्ड बजट, सरप्लस बजट और डेफिसिट बजट और उनके फायदे-नुकसान बताने जा रहे हैं।
आमदनी के बराबर खर्च यानी बैलेंस्ड बजट
अगर एक वित्त वर्ष में सरकार की आमदनी और खर्च के आंकड़े समान हो तो उसे बैलेंस्ड बजट यानी संतुलित बजट कहा जाता है। कई अर्थशास्त्री सरकार से इस तरह के बजट की उम्मीद करते हैं। इसके फायदे ये होते हैं कि आर्थिक स्थिरता बनी रहती है और सरकार बेवजह के खर्च से बचती है। हालांकि, खर्च पर नियंत्रण रखने से जनकल्याणकारी काम रुक जाते हैं। ऐसा बजट विकासशील अर्थव्यस्थाओं की विकास दर पर असर डालता है।
खर्च से आमदनी ज्यादा तो सरप्लस बजट
जैसा नाम से ही जाहिर है कि अगर सरकार की आमदनी उसके खर्च से ज्यादा हो तो उसे सरप्लस बजट कहा जाता है। इसका मतलब किसी वित्त वर्ष में सरकार जितनी रकम खर्च करेगी, उसकी कमाई उससे ज्यादा रह सकती है। अगर सरकार कल्याणकारी योजनाओं के लिए जेब खोलती है तो टैक्स और दूसरे स्त्रोतों से उसकी जेब भरती रहेगी। इस तरह का बजट महंगाई को नियंत्रण करने के लिए बनाया जाता है। इससे मांग घटाने में मदद मिलती है।
आमदनी से खर्च ज्यादा तो डेफिसिट बजट
यह सरप्लस से उलट है। जिस बजट में सरकार के खर्च उसकी आमदनी से ज्यादा दिखाए जाएं तो इसे डेफिसिट बजट कहा जाता है। इसका मतलब यह भी है कि सरकार जितना टैक्स लेगी, उससे ज्यादा वह लोगों पर खर्च करेगी। इसमें सरकार बाहर से उधार लेकर संतुलन बनाने की कोशिश करती है। ऐसे बजट से रोजगार और मांग बढ़ने और आर्थिक सुस्ती से बाहर आने में मदद मिलती है। हालांकि, इससे सरकार पर कर्ज भी बढ़ता रहता है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
आपने बजट के प्रकार तो समझ लिए लेकिन क्या आपको पता है कि भारत का पहला बजट किसने पेश किया था? भारत का पहला बजट पेश करने का रिकॉर्ड जेम्स विल्सन के नाम है। उन्होंने 1860 में बजट पेश किया था। जेम्स स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और द इकोनॉमिस्ट पत्रिका के संस्थापक थे। आर्थिक मामलों में गहरी रूचि रखने वाले जेम्स अविभाजित भारत में वायसरॉय लॉर्ड कैनिंग की काउंसिल में फाइनेंस मेंबर ब्रिटिश संसद के मेंबर भी थे।
इस साल विकास दर 8-8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
सोमवार को बजट सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया था। इसमें 2022-23 में 8-8.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। यह दर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुमान से कम है। NSO ने अनुमान लगाया था कि आर्थिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रह सकती है। सर्वेक्षण में अलग-अलग क्षेत्रों की स्थिति के साथ ही वृद्धि दर में तेजी लाने के लिए जरूरी सुधारों का ब्योरा दिया गया है।