
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी कराना चाहते हैं पोर्ट, जानिए क्या कहते हैं नियम
क्या है खबर?
कुछ लोग मौजूदा स्वास्थ्य बीमा कंपनी की सेवाओं से संतुष्ट नहीं होने पर बदलने का विचार करने लगते हैं। ऐसे में उन्हें नए सिरे से शुरुआत करने या सालों से आर्जित लाभ को खोने का डर सताता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) पोर्टेबिलिटी विकल्प प्रदान करता है। इसकी बदौलत आप वेटिंग पीरियड और नो-क्लेम बोनस जैसे लाभ खोए बिना इसे दूसरी बीमा कंपनी में ट्रांसफर कर सकते हैं।
स्वीकृति
नई बीमा कंपनी को है स्वीकृति का अधिकार
नए पॉलिसीधारक के पोर्टिंग अनुरोध को स्वीकार या अस्वीकार करना नई बीमा कंपनी पर निर्भर करता है। वे पॉलिसीधारक की स्वास्थ्य स्थिति, आयु और क्लेम हिस्ट्री सहित अन्य मानदंडों के आधार पर आवेदन की समीक्षा करने का अधिकार रखती हैं। अगर, बार-बार क्लेम किया गया या अज्ञात बीमारियों की हिस्ट्री मिलती है तो बीमा कंपनी अनुरोध को अस्वीकार कर सकती है। नई बीमा कंपनी को आपका जोखिम प्रोफाइल अधिक लगता है तो वह पोर्ट की अनुमति नहीं देगी।
आवेदन
कब करना चाहिए पोर्ट के लिए आवेदन?
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों को पोर्ट करना केवल रिन्यू कराते समय ही संभव है। इसलिए, आपको अपनी मौजूदा पॉलिसी समाप्त होने से कम से कम 30-45 दिन पहले पोर्टिंग के लिए आवेदन करना होगा। नई कंपनी आपके आवेदन को स्वीकार करने से पहले आपके मेडिकल इतिहास और पिछले दावों की जांच करेगी। लगातार 4 साल या उससे ज्यादा समय तक एक ही पॉलिसी के तहत कवर होने वाले पॉलिसीधारकों को दूसरों की तुलना में पॉलिसी पोर्टिंग में आसानी होती है।
शुल्क
पोर्ट कराने का नहीं लगता कोई शुल्क
IRDAI ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि पॉलिसीधारकों को अपनी पॉलिसी को पोर्ट-इन या पोर्ट-आउट करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा। आपको नई पॉलिसी के हिस्से के रूप में नए मेडिकल टेस्ट या करों का भुगतान करना पड़ सकता है। बीमा कंपनी बदलने पर बीमित राशि, नो-क्लेम बोनस और वेटिंग पीरियड क्रेडिट जैसे लाभ ऑटोमैटिक ट्रांसफर हो जाते हैं, लेकिन पिछली पॉलिसी से छूट और विशिष्ट ऐड-ऑन स्थानांतरित नहीं होती हैं।