सबसे ज्यादा औसत वेतन देती है यह कंपनी, मेटा और अल्फाबेट को भी छोड़ा पीछे
क्या है खबर?
बड़ी टेक और IT कंपनियों की नौकरियां इंजीनियरिंग क्षेत्र के लोगों को काफी आकर्षित करती हैं। दरअसल, यहां कई अन्य सुविधाओं के साथ ही वेतन भी काफी बढ़िया मिलता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट और मेटा वर्ष 2022 में शीर्ष भुगतान करने वाली सार्वजनिक कंपनियों में शामिल रहीं।
हालांकि, औसत वेतन देने के मामले में वर्ष 2022 में सबसे शीर्ष पर एक रियल एस्टेट निवेश कंपनी रही।
मेटा
टॉप पर रही विकी प्रॉपर्टीज
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में सबसे अधिक औसत वेतन देने के मामले में मेटा दूसरे स्थान पर रही। इसने कर्मचारियों को लगभग 2.45 करोड़ रुपये औसत वेतन दिया।
2.30 करोड़ रुपये औसत वेतन देने के साथ इस मामले में अल्फाबेट तीसरे नंबर पर रही।
वहीं 22 कर्मचारियों वाला एक रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट विकी प्रॉपर्टीज लगभग 3.40 करोड़ औसत वेतन के साथ टॉप पर रहा। बता दें कि यह कंपनी पूरे अमेरिका में कई कैसीनो की मालिक भी है।
वेतन
गूगल का औसत वेतन पैकेज गिरकर तीसरे नंबर पर पहुंचा
रिपोर्ट के अनुसार, गूगल का औसत वेतन पैकेज वर्ष 2021 के मुकाबले वर्ष 2022 में टॉप से खिसक कर तीसरे नंबर पर पहुंच गया। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 के मुकाबले वर्ष 2022 में औसत वेतन में कोई बड़ी गिरावट देखने को नहीं मिली है।
रिपोर्ट में S&P 500 में 278 कंपनियों के औसत वेतन के बारे में सार्वजनिक कंपनियों की एनालिस्ट मायलॉगIQ द्वारा जुटाए गए डाटा का विश्लेषण किया गया।
कंपनी
CEOs को औसत वेतन से 800 गुना ज्यादा तक वेतन मिला
टॉप 500 कंपनियों के अधिकारियों में अल्फाबेट के CEO सुंदर पिचई ने लगभग 1,800 करोड़ रुपये वार्षिक वेतन लिया। CEO को कंपनी के कर्मचारियों के औसत वेतन से 808 गुना ज्यादा वेतन दिया गया।
इसी तरह मेटा प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने लगभग 230 करोड़ रुपये लिए। यह उनकी कंपनी के औसत वेतन से 91 गुना अधिक है। विकी प्रॉपर्टीज के CEO एडवर्ड पिटोनियाक का वेतन वर्ष 2021 के मुकाबले कम था।
स्टडी
वेतन में बड़े पैमाने पर अंतर पर उठते रहे हैं सवाल
कंपनियों के CEO के वेतन और कंपनी के औसत वेतन में बड़े पैमाने पर होने वाले अंतर पर सवाल उठते रहते हैं। दरअसल, CEO का वेतन आम कर्मचारियों के मुकाबले कई गुना तेजी से बढ़ता है।
ऑक्सफैम की एक स्टडी के अनुसार, 1960 के दशक में CEO के वेतन और एक वर्कर के वेतन का अनुपात लगभग 20:1 था। 1970 के दशक में यह बढ़कर 200:1 हो गया और हाल के वर्षों में यह अनुपात 300:1 से भी अधिक है।