लॉकडाउन और खराब फसल ने बढ़ाई आलू और टमाटर के कीमतें, जनता हो रही त्रस्त
कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन और फसल खराबा का असर रसोइयों पर नजर आने लगा है। गत वर्ष प्याज की बढ़ी कीमतों ने लोगों को रुला दिया था, वहीं अब आलू और प्याज की कीमतों में आए भारी उछाल ने लोगों की जेब पर असर डालना शुरू कर दिया है। वर्तमान में आलू 30 रुपये प्रति किलो और टमाटर 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। इससे आज जनता त्रस्त है।
पिछले कुछ महीनों से कम हो रही है प्याज की कीमतें
आलू और टमाटर की बढ़ती कीमतों के विपरीत प्याज की कीमतें इस सीजन में गिरकर औसतन 30 से 20 रुपये प्रति किलो पर आ गई है। एक ऑनलाइन किराने दुकान संचालक ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से प्याज की औसत बिक्री मूल्य (ASP) लगातार गिरता जा रहा है। गत जनवरी में दिल्ली-NCR में प्याज का ASP 78 रुपये प्रति किलो था जो मार्च में गिरकर 36 रुपये प्रति किलो पर आ गया है। इससे दाम घट रहे हैं।
टमाटर की कीमतों ने नहीं आ रही स्थिरता
मई के महीने में टमाटर का ASP मूल्य 22.5 रुपये प्रति किलो था, जो गिरकर 20 रुपये प्रति किलो पर आ गया। दूसरी ओर आलू का ASP मूल्य फरवरी की तुलना में दोगुना बढ़ते हुए वर्तमान में 31 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है। ऐसे में टमाटर का ASP ज्यादा अस्थिर रहा है। जनवरी में इसका ASP 30 रुपये, मार्च में 22, मई में 14 और जुलाई में बढ़कर 57 रुपये प्रति किलो हो गया है।
कम उपज के चलते किसानों ने नहीं किया आलू का स्टॉक
उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में किसानों ने कोल्ड स्टोरों में आलू की 36 करोड़ बोरी (प्रत्येक बोरी में 50 किलोग्राम) का स्टॉक किया था। इसका उपयोग अक्टूबर-नवंबर तक किया जाना था। पिछले साल उन्होंने 48 करोड़ बोरी और दो साल पहले क्रमश: 46 करोड़ और 57 करोड़ बोरी का स्टॉक किया था। ऐसे में चालू वर्ष के कोल्ड स्टोरेज के आंकड़े आंकड़े आलू की फसल के कम उत्पादन का संकेत देते हैं।
कोरोना वायरस और उसके बाद लॉकडाउन ने भी किया कीमतों को प्रभावित
आगरा निवासी एक किसान और कोल्ड स्टोर के मालिक डूंगर सिंह चौधरी ने कहा कि कोरोनो वायरस प्रेरित लॉकडाउन के दौरान मांग में गिरावट आई थीं। उन्होंने कहा, "अगर लॉकडाउन में मांग कमजोर नहीं पड़ती तो दरें 23-24 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच जातीं। मई के महीने में कीमतें घटकर 15-16 रुपये तक रह गई थीं।" उन्होंने कहा कि किसानों ने कोल्ड स्टोरेज के लिए केवल 25 प्रतिशत ही फसल बेची है।
प्रमुख रूप से जून में हुई टमाटर की कीमतों में वृद्धि
टमाटर की बात करें तो प्रमुख थोक मंडी कोलार (कर्नाटक), मदनपल्ले (आंध्र प्रदेश), नारायणगांव, और संगमनेर (महाराष्ट्र) में मई के महीने में कीमतें 3-5 रुपये प्रति किलो थी। जून में गर्मियों के कारण टमाटर की कम आवक के चलते कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई। हालांकि, इस बात की आशंका है कि जब खरीफ की फसल बुवाई के समय कीमतें फिर से सामान्य स्तर पर आ जाएगी। अगस्त के मध्य तक राहत की उम्मीद है।
CPI मुद्रास्फीति पिछले महीने RBI की विंडो से आगे निकली
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वार्षिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति की विंडो 4-6% पर निर्धारित की है, लेकिन पिछले महीने यह बढ़कर 6.09% पर पहुंच गई। आवश्यक सब्जियों की कीमतों में वृद्धि से RBI के लिए अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की उम्मीद में ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो जाएगा। बता दें कि देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही लॉकडाउन के कारण धराशाही हो गई थीं।