
जेब पर भारी पड़ रहा लॉकडाउन, फल-सब्जियों सहित राशन सामग्री की कीमतों में हुई बढोत्तरी
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के तेजी से होते प्रसार को रोकने के लिए लागू किया गया 21 दिन का लॉकडाउन अब लोगों की जेब पर भारी पड़ने लगा है।
25 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद परिवहन सुविधाओं के बंद होने से खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति बाधित हो गई। इसके कारण फल-सब्जी, दाल, चीनी सहित अन्य राशन सामग्रियों के दामों में बढ़ोत्तरी हो गई।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मार्च के पहले पखवाड़े में कीमतों में गिरावट आई थी।
लॉकडाउन
लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए किया गया था लॉकडाउन
कोरोना के प्रसार को रोकने तथा लोगों को बचाने के लिए गत 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन किया था।
उन्होंने रात 12 बजे से पूरे देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की थी।
उसके बाद गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया था कि लॉकडाउन में कार्यरत रहने वाली सेवाओं की जानकारी दी थीं।
हालांकि, उसके बाद भी खाद्य पदार्थों की आपूर्ति सुचारू नहीं हुई।
कारण
परिवहन के कारण होती है मूल्य वृद्धि और उत्पादन से होती है कम
आमतौर पर, जब आपूर्ति सिस्टम प्रभावित होता है तो खुदरा कीमतों में उछाल आता है और थोक दरें घटती हैं। हालांकि, उत्पादन में वृद्धि नहीं होने से थोक दरें भी बढ़ी हैं।
स्टॉक माल को लोड करने के मजदूरों की कमी और परिवहन की सुविधा कम होने से कीमतें बढ़ी हैं।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इसका उत्पादन से कोई लेना-देना नहीं है। मजदूरों की कमी के कारण खाद्य तेल का उत्पादन जरूर प्रभावित हुआ है।
मूल्य वृद्धि
आलू, टमाटर और प्याज के थोक दामों में हुई बढ़ोत्तरी
उपभोक्ता मामलों के विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार मार्च के पहले और दूसरे पखवाड़े के बीच प्याज की कीमतों में 9 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
इसी तरह 15 मार्च से 3 अप्रैल के बीच टमाटर की कीमतों में 37% की वृद्धि दर्ज की गई है।शुक्रवार को टमाटर की कीमत 1,751 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गई थी।
इसके अलावा 1 से 31 मार्च के बीच आलू के थोक दामों में 46.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थीं।
विवरण
असंगत रूप से हुई कीमतों में बढ़ोत्तरी
लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर थोक मूल्यों पर पड़ा है। उदाहरण के लिए 27 मार्च को टमाटर के थोक मूल्य में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थीं। अगले दिन भाव में 1 प्रतिशत की गिरावट आ गई।
इसी तरह 29 मार्च को कीमतों में 4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। 15 मार्च से 3 अप्रैल के बीच दालों में 5 से 8 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई और चीनी के दामों में 2 प्रतिशत की की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
कारण
विशेषज्ञों के अनुसार माल की आपूर्ति पर निर्भर करते हैं थोक भाव
अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने बताया कि माल की आपूर्ति बाधित या सीमित होती है तो थोक भाव में बढ़ोत्तरी कर दी जाती है। वर्तमान में माल आपूर्ति की बहुत ही खराब स्थिति है। थोक कीमतें इस बात पर निर्भर करती हैं कि माल आगे पहुंच रहा है या नहीं।
उन्होंने बताया कि लोगों के स्टॉक करने के कारण दालों के मूल्य में वृद्धि हुई है। इसके अलावा उन्होंने माल की आपूर्ति की कमी को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।
शहर
कोलकाता और मुंबई में ऊंचे दामों पर बेची जा रही हैं सब्जियां
सब्जियां भी कीमतों में बढ़ोत्तरी से नहीं बची हैं। कोलकाता में गत शनिवार को भिंडी 40 रुपये किलो के हिसाब से बेची गई थीं। एक सप्ताह पहले यही भिंडी 30 रुपये प्रति किलो बेची जा रही थीं।
उसी दौरान गोभी और फूलगोभी को भी 80 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा गया।
मुंबई में गोभी 60-80 की जगह 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेची गई हैं। वहां टमाटरों की कीमत में 70% की बढ़ोतरी देखी गई।
वैश्विक कीमतें
महामारी के कारण दुनिया भर में खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आई
मार्च में मांग और आपूर्ति में कमी आने के कारण दुनिया भर में खाद्य पदार्थों की कीमतें गिर गईं थीं। इसी तरह वैश्विक तेल की कीमतें भी नीचे आ गई थीं।
अनाज, तिलहन, डेयरी उत्पाद, मांस, और चीनी के लिए मासिक परिवर्तनों का मापन करने वाले खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार मार्च में खाद्य मूल्य सूचकांक फरवरी की तुलना में 4.3 प्रतिशत नीचे गिरकर 172.2 अंक पर आ गया था। इससे कीमतों में गिरावट देखी गई थीं।