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    जैसलमेर में फंसे छात्र से पश्चिम बंगाल जाने के लिए मांगा 60,000 रुपये टैक्सी किराया

    जैसलमेर में फंसे छात्र से पश्चिम बंगाल जाने के लिए मांगा 60,000 रुपये टैक्सी किराया

    लेखन भारत शर्मा
    Apr 25, 2020
    09:00 pm

    क्या है खबर?

    कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए ईरान से एयर लिफ्ट कर जैसलमेर लाए गए 457 लोगों में दो छात्रों को क्वारंटाइन अवधि पूरी करने के बाद सरकार की बेरूखी का सामना करना पड़ रहा है।

    सेना अधिकारियों ने उन्हें स्वयं के स्तर पर घर जाने को कहा है। एक छात्र ने पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर जाने के लिए टैक्सी की बात की तो उससे 60,000 रुपये किराया मांगा गया। ऐसे में छात्र घर नहीं जा पा रहे हैं।

    प्रकरण

    ईरान से आए लोगों को जैसलमेर में किया था क्वारंटाइन

    कोरोना वायरस की शुरुआत के दौरान भारत सरकार 15 मार्च को 457 लोगों को ईरान से एयर लिफ्ट कर भारत लाई थी।

    इन सभी को जैसलमेर में सेना के सेंटर पर क्वारंटाइन किया था। इनमें अधिकतर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के थे और एक छात्र दिनाजपुर और दूसरा बिहार का था।

    सेना ने क्वारंटाइन अवधि पूरी करने पर अन्य लोगों को तो जम्मू-कश्मीर भिवजा दिया, लेकिन इन दो छात्रों को स्वयं के स्तर पर व्यवस्था करने को कहा गया है।

    आरोप

    छात्र ने सरकार पर लगाया भेदभाव का अरोप

    पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले निवासी छात्र मिनहाज आलम ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह तेहरान की यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की पढ़ाई कर रहा है।

    उसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के साथ लाया गया था। उसका घर जैसलमेर से 2,000 किलोमीटर दूर है।

    उसने आरोप लगाया कि सरकार ने अन्य लोगों को ता क्वारंटाइन अवधि पूरी करने के बाद उनके घर पहुंचा दिया, लेकिन उसे स्वयं के स्तर पर जाने की कहकर भेदभाव बरता जा रहा है।

    जानकारी

    40 दिन में चार बार नेगेटिव आई रिपोर्ट

    मिनहाज ने बताया कि उसने सेंटर में करीब 40 दिन गुजारे हैं। इस दौरान उसका करीब चार बार टेस्ट कराया गया था। चोरों बार की जांच में उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। अधिकारी अब उसे स्वयं के स्तर पर घर जाने की बोल रहे हैं।

    आर्थिक स्थिति

    छात्र ने कमजारे बताई है परिवार की आर्थिक स्थिति

    मिनहाज ने बताया कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है। यही कारण है कि वह स्कॉलरशिप प्रोग्राम के तहत ईरान में पढ़ाई करने गया था।

    अधिकारियों के कहने के बाद उसने टैक्सी चालकों से घर पहुंचने के बारे में बात की तो वह 2,000 किलोमीटर की दूरी का 300 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से 60,000 रुपये किराया मांग रहे हैं।

    ऐसे में वह राशि का भुगतान नहीं कर सकता। उसने सरकार से सहायता की मांग की है।

    जानकारी

    बिहार के छात्र को भी स्वयं के स्तर पर घर जाने को कहा

    मिनहाज ने बताया कि उसके साथ बिहार का भी छात्र है। अधिकारियों ने उसके घर भी फोन कर स्वयं के स्तर पर उसे घर ले जाने की व्यवस्था करने के लिए कहा है। उसके परिवार ने भी लॉकडाउन में व्यवस्था करने में असमर्थता जताई है।

    बयान

    अतिरिक्त मुख्य सचिव ने छात्रों के परिजनों को दी सूचना

    राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित सिंह ने बताया कि ईरान से आए सभी लोगों को तीन बैचों में रवाना कर दिया गया है। दोनों छात्रा पश्चिम बंगाल और बिहार के हैं, ऐसे में उनके परिजनों को अपने स्तर पर उन्हें ले जाने के लिए कहा है।

    रक्षा प्रवक्ता सोमबीत घोष ने बताया कि सेना क्वारंटाइन सेंटरों का संचालन और देखरेख करती है। सेंटर से लोगों के आवागमन की व्यवस्था की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय संभालता है।

    जानकारी

    अधिकारियों ने मिनहाज के भाई से कही यह बात

    मिनहाज के भाई मेराज ने बताया कि अधिकारियों ने उससे अपने भाई को वापस लाने की व्यवस्था करने के लिए कहा है। अधिकारियों ने कहा कि वह उसे वापस ईरान या श्रीनगर आसानी से भेज सकते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल भेजना आसान नहीं है।

    अनभिज्ञता

    गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ने जताई अनभिज्ञता

    गृह मंत्रालय की ओर से बाहरी देशों में फंसे नागरिकों वापस लाने तथा देश में फंसे विदेशियों को वापस भेजने का काम किया जा रहा है।

    इसी तरह विदेश से आने वाले भारतीय नागरिकों को क्वारंटाइन में रखने का प्रबंध भी गृह मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।

    इसके बाद भी गृह मंत्रालय की प्रवक्ता वसुधा गुप्ता ने क्वारंटाइन अवधि पूरी करने वालों को घर भिजवाने के संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी होने से इनकार किया है।

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