वित्त मंत्री ने कहा- ब्रिटेन और कनाडा के साथ जल्द हो सकता है मुक्त व्यापार समझौता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) अंतिम चरण में है और जल्द ही इस पर सहमति बन सकती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल के अंत तक समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। वित्त मंत्री ने ये बात B20 शिखर सम्मेलन के दौरान कही। ये G-20 समूह का ही एक व्यापारिक समूह है. जिसमें सदस्य देशों के कारोबारी व कंपनियां शामिल होती हैं।
FTA पर क्या बोलीं वित्त मंत्री?
सीतारमण ने कहा, "ब्रिटेन और कनाडा के साथ FTA को लेकर लगातार प्रयास हो रहे हैं। यूरोपियन मुक्त व्यापार संघ (EFTA) देशों के साथ FTA के लिए हम वाणिज्य मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। अब जिस गति से यह चल रहा है, हमें उम्मीद है कि इस साल समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।" बता दें कि EFTA में लिकटेंस्टीन, नॉर्वे, आइसलैंड और स्विट्जरलैंड शामिल हैं।
शानदार रह सकता है GDP का आंकड़ा- वित्त मंत्री
सीतारमण ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का आंकड़ा बेहतर रह सकता है। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार के 9 वर्ष के कार्यकाल में आर्थिक सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाया है। बजट में पूंजीगत व्यय पर खर्च बढ़ाने के कारण अब सकारात्मक संकेतों को महसूस किया जा सकता है। वित्त वर्ष की पहली तिमाही की विकास दर के नतीजे अच्छे आएंगे और अप्रैल-जून में विकास दर की रफ्तार काफी बेहतर होगी।"
महंगाई पर क्या बोलीं वित्त मंत्री?
वित्त मंत्री ने महंगाई पर भी बात की। उन्होंने कहा, "ब्याज दरों को बढ़ाकर महंगाई पर कुछ हद तक काबू तो पाया गया, लेकिन इससे विकास दर की रफ्तार भी सुस्त पड़ सकती है। लिहाजा हम ऐसा रास्ता बना रहे हैं, जिससे विकास की रफ्तार पर बिना असर डाले महंगाई पर काबू पाया जा सके।" उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को नसीहत देते हुए कहा कि महंगाई पर नियंत्रण के साथ विकास की प्राथमिकताओं पर ध्यान देना भी जरुरी है।
क्या होता है मुक्त व्यापार समझौता?
FTA 2 या 2 से ज्यादा देशों के बीच व्यापार को आसान बनाने के लिए किया जाता है। इसके तहत आयात और निर्यात शुल्क को कम कर या खत्म कर देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बहुत कम या बिना किसी टैरिफ बाधाओं के किया जा सकता है। इसके अंतर्गत सरकारी शुल्क, कोटा और सब्सिडी जैसे प्रावधान किये जाते हैं। भारत के कई देशों के साथ इस तरह के समझौते हैं।