IMF ने भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाकर 9.5 प्रतिशत किया
क्या है खबर?
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान को 12.5 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है।
IMF कोरोना महामारी की दूसरी लहर से रिकवरी की बेहद धीमी रफ्तार के चलते यह कदम उठाया है।
इसी तरह IMF वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ने भारत की आर्थिक विकास दर के 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। पूर्व में यह 6.9 प्रतिशत रखी गई थी।
बयान
रिकवरी की धीमी रफ्तार से आई विकास दर के अनुमान में गिरावट- गोपीनाथ
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, IMF में अनुसंधान विभाग की आर्थिक सलाहकार और निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा, "कोरोना महामारी की गंभीर दूसरी लहर और रिकवरी की धीमी रफ्तार के चलते भारत की विकास दर के अनुमान में गिरावट आई है।"
उन्होंने आगे कहा, "कई देशों में उम्मीद से अधिक तेजी से वैक्सीनेशन हुआ और आर्थिक गतिविधि तेजी से पटरी पर लौटी है, लेकिन भारत में वैक्सीन तक लोगों की कम पहुंच हो पाई है। यह भी बड़ा कारण रहा है।"
अनुमान
आम बजट से पहले लगाया गया था विकास दर के 11 प्रतिशत रहने का अनुमान
बता दें कि इस साल के बजट सत्र से पहले जनवरी में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण ने 2020-21 के वित्तीय वर्ष के दौरान भारत की विकास दर के 11 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान लगाया था।
हालांकि, 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.3% की गिरावट के बाद से विकास दर के बढ़ने की संभावना कम हो गई थी। ऐसे में ताजा अनुमानों में विकास दर के पूर्वानुमानों में को कम करके आंका गया है।
अन्य
अन्य एजेंसियों ने भी की कटौती
बता दें कि IMF से पहले दूसरी वैश्विक और घरेलू एजेंसियों ने भी वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की विकास दर के अनुमान में कटौती की थी।
पिछले महीने S&P ने भारत की विकास दर के अनुमान का आंकलन वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 9.5 प्रतिशत और 2022-23 के लिए 7.8 प्रतिशत किया था।
इसी तरह वर्ल्ड बैंक के आकलन के मुताबिक, अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच भारत की विकास दर 8.3 प्रतिशत रह सकती है।
GDP
GDP में आई थी 40 सालों की सबसे बड़ी गिरावट
बता दें कि 31 मई को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों में वित्त वर्ष 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। यह पिछले 40 सालों में सबसे बड़ी गिरावट थी।
साल 2019-20 में यह चार प्रतिशत पर थी। हालांकि, राहत की बात यह रही कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 1.6 प्रतिशत रही थी।