कोरोना संक्रमण के कारण टीबी के मरीजों में इजाफा होने के पर्याप्त सुबूत नहीं- सरकार
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हुए मरीजों के टीबी (तपेदिक) की चपेट में आने की खबरों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बड़ा बयान दिया है।
मंत्रालय ने इन खबरों का खंडन करते हुए कहा कोरोना संक्रमण से ठीक हुए अधिकतर मरीजों के टीबी की चपेट में आने को लेकर अभी कोई पर्याप्त वैज्ञानिक आधार नहीं है और न ही इस तरह के कोई सुबूत मिले हैं। ऐसे में दोनों को आपस में जोड़ना सही नहीं है।
प्रकरण
मध्य प्रदेश के डॉक्टरों ने किया था कोरोना के कारण टीबी होने का दावा
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, देश में पिछले कई दिनों से टीबी के मरीजों की संख्या में उछाल देखने को मिला है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में काफी संख्या में लोगों में टीबी की पुष्टि हुई है।
इसके बाद मध्य प्रदेश के डॉक्टरों ने जांच के आधार पर दावा किया था कि टीबी के मरीजों की संख्या में इजाफे के पीछे कोरोना संक्रमण प्रमुख कारण रहा है। इसके बाद इस बात को लेकर विशेषज्ञों में बहस छिड़ गई थी।
स्पष्ट
स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया स्थिति को स्पष्ट
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण टीबी के मामले बढ़ने को सही साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। ऐसे में इन्हें आपस में नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
मंत्रालय ने कहा कि 2020 में लॉकडाउन के कारण भारत में टीबी के मामलों में 25 प्रतिशत की कमी आई थी। इसके बाद भी राज्यों द्वारा OPD सेटिंग्स में गहन केस फाइंडिंग के साथ-साथ एक्टिव केस फाइंडिंग अभियानों से इसका प्रभाव करने के प्रयास जारी हैं।
संभावना
टीबी की चपेट में आ सकते हैं कोरोना से ठीक होने वाले कुछ लोग
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोरोना संक्रमण से ठीक के बाद लोग अन्य बीमारियों की तरह कुछ मामलों में टीबी की भी चपेट में आ सकते हैं। इसका कारण है कि कोरोना के कारण इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है।
मंत्रालय ने कहा कि टीबी वायरस निष्क्रिय अवस्था में लोगों के शरीर में मौजूद रह सकता है और जब इम्यूनिटी कमजोर होती है तो यह सक्रिय हो सकता है, लेकिन टीबी के सभी मामलों के लिए कोरोना जिम्मेदार नहीं हो सकता।
सिफारिश
मंत्रालय ने की थी कोरोना मरीजों की टीबी की भी जांच करने की सिफारिश
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अगस्त 2020 की शुरुआत में उसने राज्यों को कोरोना संक्रमित मरीजों की टीबी की भी जांच कराने को कहा था।
इसका कारण यह था कि दोनों ही बीमारियों में फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर होता है। इसी तरह खांसी, बुखार और सांस लेने में परेशानी भी समान लक्षण है।
हालांकि, टीबी की ऊष्मायन अवधि लंबी होती है और रोग की शुरुआत धीमी होती है, जबकि कोरोना में तेजी से लक्षण नजर आते हैं।