
कार के गियर फिसलने के पीछे क्या हैं कारण? मिलते हैं ये संकेत
क्या है खबर?
कई बार आपने देखा होगा कि गाड़ी में गियर बदलने में दिक्कत आने लगती है। यह आपकी गाड़ी के गियर के फिसलने के कारण हो सकता है।
इससे कई बार गियर अटकने से गाड़ी चलाते समय दुर्घटना की स्थिति भी पैदा होने की संभावना रहती है। ऐसे में गियर शिफ्टिंग निर्बाध और परेशानी रहित होनी चाहिए।
आइये जानते हैं कि आपके गियरबॉक्स में किन-किन कारणों से समस्या आ सकती है और इन्हें कैसे ठीक किया जा सकता है।
संकेत
गियर फिसलने के मिलते हैं ये संकेत
गति नहीं बढ़ाने के बावजूद गाड़ी का टैकोमीटर 3,500rpm प्रदर्शित करता है और एक्सलरेटर दबाने पर लाल निशान पर पहुंच जाए तो यह गियर फिसलने का संकेत है।
साथ ही गाड़ी को रिवर्स लेने में दिक्कत आना भी इसी समस्या की तरफ इशारा करती है।
गियर शिफ्ट करते समय गति का धीरे-धीरे बढ़ना या बीच में झटके लगना, चेक इंजन लाइट का जलना, जलने की मीठी गंध आना या खड़खड़ाहट की आवाज आना भी गियर फिसलने का संकेत देते हैं।
ट्रांसमिशन फ्लुइड
ट्रांसमिशन फ्लूइड से हो सकता है ऐसा
ट्रांसमिशन फ्लूइड की कमी गियर शिफ्ट में परेशानी का कारण बन सकती है। ऐसे में इसका लेवल चेक करने के बाद निर्धारित स्तर पर बनाए रखना सुनिश्चित करें।
ट्रांसमिशन फ्लूइड को हर 1.6 लाख किलोमीटर के बाद बदल देना चाहिए। अगर, यह गहरे भूरे या काले रंग हो गया है तो भी इसकी जगह नया ताजा फ्लूइड डालने में देरी न करें।
ट्रांसमिशन बैंड के घिसने या क्षतिग्रस्त होने पर भी गियर के फिसलने की समस्या आ सकती है।
क्लच
क्लच में खराबी से भी फिसल सकता है गियर
ट्रांसमिशन सिस्टम के अंदर फ्लूइड के प्रवाह की निगरानी और कंट्रोल के लिए एक इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक कंपोनेंट सोलनॉइड होता है।
इसके खराब होने पर ट्रांसमिशन फ्लुइड का प्रवाह अधिक या अवरुद्ध हो सकता है। यह गियर फिसलने का कारण बन सकता है।
गियर में भी खराबी से समस्या पैदा हो सकती है। क्लच या ऑटोमैटिक कारों के टॉर्क कन्वर्टर में खराबी से भी गियर शिफ्ट में दिक्कत आती है। इन्हें मैकेनिक से चेक कराकर आवश्यक होने पर बदलवा दें।