
जम्मू-कश्मीर को कब मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 8 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। इस दौरान कोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले का भी जिक्र किया। सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि फैसला लेने की प्रक्रिया में कई बातों पर विचार किया जाता है।
पहलगाम
पीठ ने कहा- पहलगाम हमले को नजरअंदाज नहीं कर सकते
मामले पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनवाई की। पीठ ने कहा, "जम्मू-कश्मीर की जमीनी स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।" याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन की ओर से जल्द सुनवाई की मांग पर CJI ने कहा, "पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ, उसे आप नजरअंदाज नहीं कर सकते। ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। फैसला संसद और कार्यपालिका को लेना है।"
सरकार की दलील
सरकार ने कहा- देश के इस हिस्से की अजीब स्थिति
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा, "हमने चुनावों के बाद राज्य का दर्जा देने का आश्वासन दिया था। हमारे देश के इस हिस्से की एक अजीब स्थिति है। मुझे नहीं पता कि यह मुद्दा अब क्यों उठाया जा रहा है। यह विशेष राज्य मुद्दे को जटिल बनाने के लिए सही जगह नहीं है। मैं फिर भी निर्देश मांगूंगा। 8 सप्ताह का समय दिया जा सकता है।"
याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ताओं ने क्या दलील दी?
याचिकाकर्ताओं के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि कोर्ट ने 2023 के अपने फैसले में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखते हुए केंद्र सरकार की इस बात पर भरोसा किया था कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाएगा। शंकरनारायणन ने कहा, "फैसले में सरकार को राज्य का दर्जा देने का अधिकार दिया गया था। राज्य का दर्जा बहाल करना जम्मू-कश्मीर में चुनावों के बाद किया जाना था। उस फैसले को 21 महीने हो चुके हैं।"
याचिका
कौन हैं याचिकाकर्ता, क्या है तर्क?
ये याचिका शिक्षाविद जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद मलिक ने दायर की है। उनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल न किए जाने से नागरिकों के अधिकार प्रभावित हो रहे हैं। यह याचिका जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों से पहले दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने से पहले विधानसभा चुनाव कराना संघवाद के सिद्धांत को कमजोर करेगा, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।
अनुच्छेद
2019 में हटाया गया था अनुच्छेद 370
2019 में सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए थे। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जिसे 42 सीटें मिली थीं। NC की सहयोगी कांग्रेस को 6 और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी CPI(M) ने एक सीट जीती थी। 29 सीटें जीतकर भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।