
टेस्ला ने भारत में मॉडल-Y और मॉडल-3 के लिए किया होमोलोगेशन आवेदन, क्यों है जरूरी?
क्या है खबर?
दिग्गज अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी टेस्ला ने भारत में अपनी कारों की बिक्री के लिए पहला शोरूम तय कर दिया है।
यह मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में खोला जाएगा। इसके लिए कर्मचारियों की नियुक्ति चल रही है।
अब एलन मस्क की कंपनी ने कार लॉन्च की दिशा में अंतिम कदम बढ़ा दिया है। उसने मॉडल-Y और मॉडल-3 के लिए होमोलोगेशन आवेदन दाखिल किए हैं।
आइये जानते हैं होमोलोगेशन क्या है और कार लॉन्च से पहले क्यों जरूरी है।
होमोलोगेशन
क्यो जरूरी है हाेमोलोगेशन?
होमोलोगेशन सभी कारों पर लागू होता है, चाहे वे भारत में निर्मित हों, असेंबल की गई हों या कंपलीट बिल्ट यूनिट (CBU) के रूप में आयात की गई हों।
ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) वाहनों के होमोलोगेशन के लिए केंद्रीकृत एजेंसी है।
यह सुनिश्चित करती है कि कार भारतीय कानूनों के अनुसार गुणवत्ता, सुरक्षा, प्रदर्शन, उत्सर्जन और विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करती है।
कई परीक्षण पास करने के बाद एक टाइप अप्रूवल सर्टिफिकेट (TAC) जारी किया जाता है।
शुरुआत
इन मॉडल्स के साथ कर सकती है शुरुआत
होमोलोगेशन आवेदन से यह भी संकेत मिलता है कि टेस्ला की मॉडल-Y और मॉडल-3 से शुरुआत कर सकती है। भारत में कारों के निर्माण से पहले कारें CBU मार्ग से लाएगी।
इससे उसे यहां ग्राहकों की भावना और अपनी कारों की मांग को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
बाद में निर्माण प्लांट लगाने के बारे में सोच सकती है। अभी उसके अमेरिका, चीन और जर्मनी में प्लांट हैं और मैक्सिको में एक नया कारखाना बना रही है।
फायदा
टेस्ला सरकार की नीति का उठाना चाहेगी फायदा
टेस्ला जैसी कंपनियों को भारत में आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने नई EV नीति पेश की है।
इसमें सरकार ने चुनिंदा इलेक्ट्रिक कारों पर आयात शुल्क घटाकर 15 फीसदी कर दिया है, जो पहले 70-110 फीसदी था। इसका लाभ उठाने के लिए सरकार ने कुछ नियम और शर्तें भी रखी हैं।
इसका फायदा वो ही कंपनी उठा सकेंगी, जो भारत में 50 करोड़ डॉलर (लगभग 4,340 करोड़ रुपये) का निवेश कर कारखाना लगाती हैं।