ओला इलेक्ट्रिक बना रही है हेलमेट डिटेक्शन सिस्टम, जानिए यह कैसे काम करेगा
वर्तमान में भारत दोपहिया वाहनों के लिए सबसे बड़ा बाजार है। हालांकि, राइडर के सुरक्षा के मामले में हमारा देश सबसे आगे नहीं है। हर साल यहां हजारों राइडर बिना हेलमेट के बाइक चलाने के कारण सड़क हादसों के शिकार होते हैं। इससे निपटने के लिए ओला इलेक्ट्रिक हेलमेट डिटेक्शन सिस्टम पर काम कर रही है, जिसे जल्द ही कंपनी अपने इलेक्ट्रिक स्कूटरों में शामिल करने की योजना भी बना रही है। आइये इसके बारे में जानते हैं।
कैसे काम करेगा हेलमेट डिटेक्शन सिस्टम?
ओला का हेलमेट डिटेक्शन सिस्टम एक कैमरा और सेंसर पर आधारित है। ओला स्कूटर इस कैमरे का इस्तेमाल करके पता लगा सकेगा कि राइडर ने हेलमेट पहना है या नहीं। सेंसर की मदद से इस जानकारी को व्हीकल कंट्रोल यूनिट (VCU) को भेजा जाएगा। इस जानकारी से मोटर कंट्रोल यूनिट (MCU) निर्धारित करेगा कि वाहन को राइडिंग मोड में स्विच करना है या नहीं। अगर राइडर ने हेलमेट नहीं पहना होगा तो स्कूटर राइडिंग मोड में स्विच नहीं होगा।
इंस्ट्रूमेंट कंसोल में मिलेगी हेलमेट लगाने की सूचना
अगर स्कूटर राइड मोड में है और सिस्टम को पता चलता है कि राइडर ने हेलमेट नहीं पहना है तो ऐसी स्थिति में स्कूटर अपने आप पार्क मोड में चला जाएगा। इसके बाद यह इंस्ट्रूमेंट कंसोल पर राइडर को हेलमेट पहनने की सूचना देगा। जैसे ही सिस्टम यह पता लगेगा कि राइडर ने हेलमेट पहना हुआ है तो ही इलेक्ट्रिक स्कूटर या बाइक राइड मोड में स्विच होगा। उसके बाद यह राइडर की निगरानी करना जारी रखेगा।
TVS भी बना रही है हेलमेट रिमाइंडर तकनीक
TVS मोटर ने भी हाल ही में यह जानकारी दी थी थी कि वह कैमरा-आधारित हेलमेट रिमाइंडर सिस्टम पर काम कर रही है। इसे कंपनी की आने वाली बाइक्स और स्कूटर्स में लगाया जाएगा, जो यह पता लगाएगा कि राइडर ने हेलमेट पहना है या नहीं। इसके बाद यह राइडर को एक चेतावनी संदेश प्रदर्शित करेगा। हालांकि, इस सिस्टम को कब तक वाहनों में शामिल किया जाएगा, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।
ओला इलेक्ट्रिक बना रही देश की सबसे बड़ी सेल गिगाफैक्ट्री
ओला इलेक्ट्रिक ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने हाल ही में अपने सेल गिगाफैक्ट्री का निर्माण शुरू कर दिया है। इसकी जानकारी कंपनी के CEO भाविश अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर दी थी। इस साल के अंत तक 5 गीगावाट-घंटे (GWh) प्रति वर्ष की प्रारंभिक क्षमता के साथ सेल फैक्ट्री चालू होने की उम्मीद है। यह उच्च गुणवत्ता वाले बैटरी सेल निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।