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    #NewsBytesExplainer: कैसे लगाया जाता है इलेक्ट्रिक गाड़ियों की रेंज का पता? जानिए इससे जुड़ी जरूरी बातें 
    जानिए कैसे पता करते हैं इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज (तस्वीर: टोयोटा)

    #NewsBytesExplainer: कैसे लगाया जाता है इलेक्ट्रिक गाड़ियों की रेंज का पता? जानिए इससे जुड़ी जरूरी बातें 

    लेखन अविनाश
    Jul 25, 2023
    08:03 am

    क्या है खबर?

    भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का बाजार तेजी से बढ़ता जा रहा है। पेट्रोल और डीजल की तुलना में इनसे वायु प्रदूषण का खतरा भी कम रहता है।

    इलेक्ट्रिक गाड़ियों की रेंज को लेकर कंपनियां बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन ग्राहकों की मानें तो उन्हें दावा की गई रेंज नहीं मिल पाती है।

    आइये जानते हैं कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की रेंज की गणना कैसे की जाती है और ये वास्तविक रेंज से अलग क्यों होती है ।

    रेंज

    सिमुलेशन लैब में मापी जाती है गाड़ियों की रेंज 

    भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज की टेस्टिंग ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) करती है। यह सरकार से मान्यता प्राप्त एक टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन एजेंसी है।

    बता दें, ARAI इन गाड़ियों को रोड पर नहीं टेस्ट करती। इसके लिए खास सिमुलेशन लैब बने हैं, जो भारतीय सड़कों के अनुसार डिजाइन किए गए हैं।

    गौरतलब है कि 250W या उससे अधिक पावरफुल मोटर वाले सभी इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़क पर चलने के लिए ARAI से सर्टिफिकेशन की आवश्यकता होती है।

    माप

    ARAI रेंज कैसे मापी जाती है?

    ARAI रेंज टेस्ट सिमुलेशन ट्रैक पर आदर्श स्थिति पर दी जाती है, जिसमें गाड़ी चलाते समय कोई एयर टरबूलेंस नहीं होता है और न ही जाम की स्थिति होती है।

    टेस्ट में इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रिक कारों को 10 किलोमीटर और 19 मिनट तक चलाया जाता है और इस दौरान गाड़ी की स्पीड औसतन 31 से 90 किलोमीटर प्रति घंटे होती है।

    टेस्टिंग के दौरान प्रत्येक वाहन 195 सेकंड के 22 अगल-अलग टेस्ट से गुजरते हैं।

    कारण

    इन कारणों से वास्तविक रेंज हो जाती है कम

    कंपनियों द्वारा बताई गई रेंज से इनकी वास्तविक रेंज से कम होती है, जिसका सबसे बड़ा कारण EVs इस्तेमाल का तरीका है।

    जानकारों की मानें तो जब कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज तय करती है, तब इनमें कम लोड होता है, लेकिन जब लोग इनका इस्तेमाल करते है, तब इनमें लोगों का लोड, AC और लाइट का इस्तेमाल, जाम या सिग्नल पर गाड़ी का स्टार्ट रहना जैसे कारण आ जाते हैं, जो पूर्ण रूप से बैटरी पर निर्भर करते हैं।

    टिप्स

    इन तरीकों से बढ़ाई जा सकती है गाड़ियों की रेंज 

    रेंज बढ़ाने में टायर प्रेशर का बहुत बड़ा रोल है। टायर जितना कम फुलाया जाएगा, उतना अधिक प्रतिरोध उत्पन्न होगा। परिणामस्वरूप, बैटरी को ज्यादा पावर की जरूरत होगी। इसलिए टायर प्रेशर को अधिकतम तक बढ़ाने पर विचार करें।

    अगर बैटरी पुरानी हो चुकी है तो इसे बदल लें। कोशिश करें कि ज्यादा पावर की बैटरी का इस्तेमाल किया जाए। टाइट ब्रेक्स को भी बदलें क्योंकि ब्रेक से अतिरिक्त प्रतिरोध दूर करने के लिए बैटरी को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।

    बदलाव

    बिना किसी बदलाव के कैसे बढ़ाएं रेंज?

    इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बिना किसी पार्ट के बदलाव के भी रेंज को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए जब भी गाड़ी स्टॉप की स्थिति में आए इसे टर्न ऑफ कर दें क्योंकि वाहन के नहीं चलने पर भी इसके इलेक्ट्रिक फीचर्स बैटरी से पावर लेते रहते हैं।

    कोशिश करें कि बहुत अधिक या अचानक से एक्सीलेरेट न करें। इसके अलावा टॉप स्पीड पर न चलकर औसत गति से चलें क्योंकि तेज राइडिंग करने पर अधिक बिजली की खपत होती है।

    चुनौतियां

    कौन-सी बातें इलेक्ट्रिक गाड़ियों के विकास में बाधा बन रही?

    इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर लोगों को जागरूक करना वाहन निर्माताओ के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती रहेगी क्योंकि भारत में अभी एक बड़ी जनसंख्या ऐसी है, जिसे EV के फायदों के बारे में नहीं पता।

    इलेक्ट्रिक वाहन के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा है, इनके लिए बैटरियों का निर्माण करना। बैटरी बनाना एक मुश्किल काम है और अच्छी बैटरी न बन पाने की वजह से इलेक्ट्रिक गाड़ियों के प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ रहा है।

    भविष्य

    भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का क्या है भविष्य?

    भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की सफलता को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बाजार अभी केवल शुरू हुआ है और इसके बाजार की सही जानकारी के लिए 8 से 10 सालों तक का इंतजार करना होगा।

    इसके अलावा कई लोग EV की बजाय हाईड्रोजन से चलने वाली गाड़ियों को भविष्य की गाड़ियों के रूप में ज्यादा सफल मान रहे हैं। कई ऐसी कंपनियां हैं, जो इस पर काम करना भी शुरू कर चुकी हैं।

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