#NewsBytesExplainer: क्रूज कंट्रोल क्या है और यह कैसे काम करता है? जानिए इसके फायदे और नुकसान
आजकल ऑटोमोबाइल कंपनियां अपनी कारों को बेहतर और आरामदायक बनाने के लिए उनमें कई शानदार फीचर्स दे रही हैं। लेटेस्ट तकनीक से लैस कारों में ड्राइविंग को आसान बनाने के लिए कई फाचर्स जोड़े जा रहे हैं, जिसमें क्रूज कंट्रोल भी शामिल है। पहले ज्यादातर महंगी और लग्जरी गाड़ियों में यह फीचर मिलता था, लेकिन अब 10-20 लाख रुपये वाली गाड़ियां भी इससे लैस होती हैं। आइये विस्तार से जानते हैं कि क्रूज कंट्रोल क्या है।
क्या होता है क्रूज कंट्रोल?
क्रूज कंट्रोल गाड़ियों में मिलने वाला एक बेहतरीन फीचर है। यह हाइवे पर ड्राइविंग को आसान बनाता है। यह फीचर कार को एक तय स्पीड से चलाने के लिए इंजन को कंट्रोल करता है। इसकी मदद से कार अपने-आप ड्राइवर द्वारा तय की गई स्पीड पर चलती रहती है। ड्राइवर को केवल इसे ऑन करना होता है। उसके बाद उसे कार की स्पीड कम या बढ़ाने के लिए बार-बार एक्सीलेरेटर का उपयोग नहीं करना पड़ता।
क्रूज कंट्रोल ऑन करने के लिए इतनी स्पीड है जरूरी
क्रूज कंट्रोल का सही इस्तेमाल 50 किलोमीटर प्रति घंटा से ऊपर की स्पीड पर होता है। इसका मतलब है कि क्रूज कंट्रोल एक्टिवेट करने के बाद कार की स्पीड 50 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होनी चाहिए।
सिर्फ एक बटन से ऑन हो जाता है क्रूज कंट्रोल
क्रूज कंट्रोल का उपयोग करना बहुत आसान है। इसे ऑन करने के लिए कार के स्टीयरिंग व्हील पर एक बटन मिलता है। उसे दबाते ही यह एक्टिवेट हो जाता है। इसके बाद ड्राइवर को स्पीड सेट करनी होती है, जिस पर वह कार को चलाना चाहता है। अब कार अपने आप तय की गई स्पीड पर चलती रहेगी। इस फीचर का उपयोग हाइवे पर लंबी यात्रा के दौरान किया जाता है।
कैसे काम करता है क्रूज कंट्रोल?
गाड़ियों में मिलने वाला क्रूज कंट्रोल एक्सीलेरेटर से जुड़ा होता है। इसे ऑन करने से एक्सीलेरेटर में लगा एक्टुएटर इसके थ्रोटल को लॉक कर देता है। इस वजह से गाड़ी बिना एक्सीलेरेटर के दबाए भी समान स्पीड से चलती रहती है। जब तक आप दोबारा ब्रेक नहीं लगाते, तब तक यह एक्टिवेट रहता है और ब्रेक पर पैर रखते ही डिएक्टिवेट हो जाता है। क्रूज कंट्रोल को मैन्युअल रूप से बटन दबाकर भी बंद किया जा सकता है।
क्या हैं इसके फायदे?
लंबी यात्रा के दौरान ड्राइवर थक जाता है। ऐसे में क्रूज कंट्रोल का उपयोग कर वह एक्सीलेरेटर से पैर हटाकर कुछ समय के लिए स्पीड की चिंता किए बिना ड्राइव कर सकता है और इससे उसे आराम मिलता है। क्रूज कंट्रोल से ईंधन की खपत कम होती है। एक स्पीड में कार चलने से इंजन एक समान रिवोल्यूशन प्रति मिनट (RPM) पर काम करता है और उस पर अधिक दबाव नहीं पड़ता। यह इंजन के लिए भी बेहतर है।
बड़े काम का है क्रूज कंट्रोल
ऐसा देखा गया है कि हाईवे पर ड्राइविंग करते समय लोगों का ध्यान स्पीड पर नहीं जाता है और वे अधिक स्पीड में गाड़ी चलाने लगते हैं। इससे दुर्घटना का खतरा रहता है और चालान भी कट सकता है। इस वजह से क्रूज कंट्रोल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे कार की स्पीड पर कंट्रोल रहता है। इससे कार तय स्पीड में चलती है और इस कारण यात्री सुरक्षित भी रहते हैं।
ब्रेक लगाने में होती है दिक्कत
कई लोगों का मानना है कि क्रूज कंट्रोल ऑन होने पर ब्रेक लगाने में दिक्कत होती है। दरअसल, जब पैर एक्सीलेरेटर पैडल पर होता है तो उसे ब्रेक पर ले जाना आसान होता है। वहीं क्रूज कंट्रोल के समय पैर एक्सीलेरेटर पर नहीं होता। इसके अलावा क्रूज कंट्रोल खाली और अच्छी सड़कों पर ठीक तरह से काम करता है। शहरी इलाकों में ट्रैफिक आदि होने से बार-बार ब्रेक लगाने पड़ते हैं। इसलिए ऐसी सड़कों के लिए यह ठीक नहीं है।
ड्राइवर का नहीं रहता गाड़ी पर कंट्रोल
क्रूज कंट्रोल के कारण ड्राइवर का गाड़ी पर पूरा कंट्रोल नहीं रहता और अगर थोड़ी-सी भी लापरवाही हुई तो ड्राइवर गाड़ी से नियंत्रण खो सकता है। वहीं रात में अंधेरे के कारण सड़क पर साफ नहीं दिखाई देता है और इसलिए यह रात के सफर के लिए भी सही नहीं है। इसके अलावा ज्यादा देर तक इसका उपयोग करने से ड्राइवर बोर हो सकता है, जिस कारण उसे नींद आने लगती है।
देश में उपलब्ध है क्रूज कंट्रोल वाली ये सस्ती गाड़ियां
अगर आप भी क्रूज कंट्रोल वाली कार लेने की योजना बना रहे हैं तो आपको बता दें कि भारतीय बाजार में टाटा अल्ट्रोज XT, हुंडई औरा SX, होंडा अमेज VX और मारुति सुजुकी डिजायर कुछ ऐसी ही किफायती गाड़ियां है, जो क्रूज कंट्रोल के साथ आती हैं। वहीं SUV सेगमेंट में उपलब्ध महिंद्रा थार, महिंद्रा स्कॉर्पियो, स्कोडा कुशाक और टाटा सफारी जैसी गाड़ियां भी इस फीचर से लैस हैं। लग्जरी सेगमेंट की सभी गाड़ियों में यह फीचर मिलता है।