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    इस वजह से लोगों को नहीं पसंद आ रही पुराने वाहनों को स्क्रैप करने की पॉलिसी

    इस वजह से लोगों को नहीं पसंद आ रही पुराने वाहनों को स्क्रैप करने की पॉलिसी
    लेखन देवजीत सिंह
    Jun 10, 2022, 12:25 pm 1 मिनट में पढ़ें
    इस वजह से लोगों को नहीं पसंद आ रही पुराने वाहनों को स्क्रैप करने की पॉलिसी
    इस वजह से लोगों को नहीं पसंद आ रही स्क्रैप पॉलिसी

    भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर हैं। शहरों के इस प्रदूषण का एक बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं है। सरकार ने इस दिशा में कदम उठाते हुए पुराने वाहनों के लिए स्क्रैपेज पॉलिसी का ऐलान किया था। इसका मकसद प्रदूषण फैलाने वाले ज्यादा पुराने वाहनों को सड़क से हटाना था। हालांकि, यह पॉलिसी लोगों को लुभा नहीं रही है। आइये जानते हैं कि लोग इस पॉलिसी की तरफ क्यों आकर्षित नहीं हो रहे।

    क्या है स्क्रैपेज पॉलिसी?

    भारत में नई स्क्रैपेज नीति पिछले साल फरवरी में लागू हुई थी। इसके नियमों के तहत सभी वाहन मालिकों को अपनी पुरानी हो चुकी गाड़ी को स्क्रैप (नष्ट) कराना होता है। जिसके बाद स्क्रैप कराये गये वाहन के सर्टिफिकेट से नई कार खरीदने पर 5 प्रतिशत की छूट मिलती है। अपने वाहनों को हमेशा रजिस्टर्ड स्क्रैपर से ही स्क्रैप करवाना चाहिए। इसके लिए आप संबंधित राज्य सरकार की वेबसाइट पर रजिस्टर्ड वाहन स्क्रैपर्स की लिस्ट मिल जायेगी।

    क्या आया सर्वे में सामने?

    लोकल सर्किल ने हाल ही में 10,000 से ज्यादा लोगों पर एक सर्वे किया, जिसमें नई स्क्रैप पॉलिसी के समक्ष आ रहीं चुनौतियों को उजागर किया गया है। सर्वे में 57 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वाहन को चलन से बाहर किया जाना चाहिये या नहीं, इसका फैसला उसकी उम्र (खरीद की तारीख से) के आधार पर नहीं बल्कि उसके द्वारा तय किये गये किलोमीटर के आधार पर होना चाहिये।

    क्यों है फेल योजना?

    पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने की भारत सरकार की योजना लोगों को न लुभा पाने के कारण चुनौतियों का सामना कर रही है। इससे भारत के 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को झटका लग सकता है। भारत सरकार पुराने वाहनों की जगह बाजार में नये इलेक्ट्रिक वाहन (EV) लाना चाहती है। हालांकि देश में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का न होना EVs की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है।

    पुराने वाहनों का फिटनेस टेस्ट

    पिछले साल नई स्क्रैप पॉलिसी के तहत सरकार ने प्राइवेट वाहनों के लिये 20 साल और कमर्शियल वाहनों के लिये 15 साल की सीमा तय कर दी थी। इसके तहत 20 साल पुराने पेट्रोल पैसेंजर वाहन और 15 साल पुराने कमर्शियल वाहन को सड़क पर चलाने के लिये फिटनेस टेस्ट कराना होता है। फिटनेस टेस्ट करने वाले प्राधिकरण ने इस अप्रैल से 15 साल पुराने सभी वाहनों के लिये इस टेस्ट की फीस को 8 गुना कर दिया है।

    कम वाहन क्यों रखना चाहते हैं लोग, सर्वे में आया सामने

    सर्वे में आधे से ज्यादा लोगों ने कहा कि वे अपने पास मौजूद कारों की संख्या कम करने का प्लान कर रहे हैं, क्योंकि सरकार के नियमों के कारण पुराने वाहन रखना महंगा होता जा रहा है।

    क्या है ऑटोमेकर्स का मत?

    मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष आर सी भार्गव ने एक साक्षात्कार में कहा, "किसी वाहन को स्क्रैप करने के लिए उम्र एक अच्छा मानदंड नहीं है।" किसी कार को चलन से बाहर करने का सही तर्क है कि वाहन से सड़क पर किसी को खतरा है या नहीं। एक वाहन को तब रद्द कर दिया जा सकता है जब उपयोगकर्ता को लगे कि फिटनेस प्रमाण पत्र प्राप्त करना और वाहन की रिपेयरिंग करना किफायती नहीं है।

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