पेट्रोल में इथेनॉल के नए ब्लेंडिंग रेट के लिए जारी हुआ ड्राफ्ट नोटिफिकेशन
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें मोटर वाहन ईंधन के रूप में गैसोलीन में 12 प्रतिशत और 15 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेन्ड का उपयोग करने के लिए कहा गया है। इसके लिए स्टेकहोल्डरों से 30 दिनों के भीतर नए नोटिफिकेशन प्रतिक्रिया मांगी गई है। साथ ही इस नए इथेनॉल ब्लेन्ड के तहत चलने वाली गाड़ियों को अप्रूव करने की बात भी इस ड्राफ्ट में कही गई है।
फ्लैक्स-फ्यूल इंजन पर भी हो रहा है विचार
केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम की वजह से ऑटो सेक्टर में फ्लैक्स-फ्यूल इंजन वाली गाड़ियों को अनिवार्य करने पर भी विचार कर रही है। पिछले महीने ही केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि अगले आठ से 10 दिनों में इसका निर्णय ले लिया जाएगा और फ्लैक्स-फ्यूल इंजन को ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए अनिवार्य बनाया जाएगा।
वाहन निर्माताओं के लिए आने वाली है गाइडलाइन
खबर है कि अब ऑटो कंपनियों को जल्द ही नई गाइडलाइन के तहत ऐसे पैसेंजर और कमर्शियल वाहनों का निर्माण करना अनिवार्य हो सकता है, जो पेट्रोल-डीजल की जगह फ्लैक्स-फ्यूल का उपयोग करते हों। इस साल अक्टूबर तक नई गाइडलाइंस आएंगी, जिनमें फ्लैक्स-फ्यूल वाहनों के इंजन की कॉन्फिगरेशन से जुड़े नियमों और दूसरी चीजों को तय किया जा सकता है। इससे वाहन कॉन्फिगरेशन में किए जाने वाले बदलाव से अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता होगी, जिससे कीमतें बढ़ेंगी।
20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का रखा गया है लक्ष्य
हाल ही में सरकार ने कहा था कि प्रदूषण में कटौती और आयात निर्भरता को कम करने के लिए पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेन्ड प्राप्त करने का लक्ष्य पांच साल पहले यानी 2030 की जगह 2025 में हासिल किया जाएगा। बता दें कि पिछले साल सरकार ने 2022 तक 10 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग और 2030 तक 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा था, जिसे बदलकर 2025 तक का लक्ष्य किया गया है।
मौजूदा समय में कितना मिलाया जा सकता है इथेनॉल?
मौजूदा नियमों के अनुसार, पेट्रोल में 10 फीसदी तक इथेनॉल मिलाया जा सकता है। हालांकि, कम आपूर्ति और परिवहन चुनौतियों की वजह से 10 प्रतिशत इथेनॉल मिला पेट्रोल केवल 15 राज्यों में उपलब्ध है, जबकि अन्य राज्यों में फ्लैक्स फ्यूल शून्य से पांच प्रतिशत के बीच है। देश में मक्का, चीनी और गेहूं बहुतायत की वजह से सरकार ने खाद्यान्न और गन्ने के रस का उपयोग करके इथेनॉल का बनाने का सुझाव भी दिया है।