वाहन डिफेक्ट होने पर नहीं लगाने होंगे डीलरशिप के चक्कर, शुरू हुई वाहन रिकॉल पोर्टल सुविधा
क्या है खबर?
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने परिवहन वेबसाइट पर एक समर्पित वाहन रिकॉल पोर्टल जोड़ा है।
इसके तहत वाहन मालिक अपने वाहन की मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी गड़बड़ी की शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आपको इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा।
शिकायत दर्ज होने के बाद मंत्रालय मामले की जांच करेगा और गड़बड़ी के आधार पर कंपनी को वाहन रिकॉल करने के लिए कह सकता है।
जानकारी
किसे मिलेगी यह सुविधा?
इस सुविधा का लाभ केवल वही उपयोगकर्ता ले सकते हैं जिनका वाहन सात साल से कम पुराना हो।
व्हीकल रिकॉल पोर्टल का उपयोग कर उपयोगकर्ता अपने वाहनों में मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी गड़बड़ियों के बारे में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। ये सड़क सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करने वाले वाहन के किसी पार्ट या एक सॉफ्टवेयर समस्या भी हो सकती है।
सरकार का मानना है इससे वाहन रिकॉल से जुड़ी शिकायतों का समाधान जल्द किया जा सकेगा।
रिकॉल प्रक्रिया
कैसे मिलेगा समाधान?
इस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराने के लिए पहले आपको रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके बाद लॉगिन आईडी द्वारा पोर्टल पर जाकर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
शिकायत दर्ज होने के बाद मंत्रालय के अलावा आवश्यक समझे जाने पर राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात सुरक्षा प्रशासन (NHTSA) जैसी सेंट्रलाइज्ड एजेंसी गड़बड़ियों की जांच, निगरानी और रिकॉल करेगी।
NHTSA के निर्णय के 60 दिनों के भीतर डीलर को याचिककर्ता को मेल करके रिकॉल की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
जानकारी
इससे पहले क्या थे नियम?
इस नियम से पहले भारत में जितनी भी ऑटोमोबाइल कंपनियां हैं वो खुद ही इस बात का फैसला करती थी कि किसी वाहन में खराबी है या नहीं और गड़बड़ी पाए जाने पर गाड़ियों को रिकॉल करती थी और उन्हें ठीक कर ग्राहक को वापस करती थी।
हालांकि, ग्राहकों द्वारा अक्सर शिकायत रहती थी कि रिकॉल के बाद भी उनकी गाड़ियां ठीक नहीं हुईं। ऐसे में ग्राहक को आए दिन खराब वाहन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
जानकारी
अप्रैल में रिकॉल पॉलिसी को किया गया था अनिवार्य
बता दें कि इसी साल परिवहन मंत्रालय ने मोटर वाहन एक्ट (1988) में संशोधन कर वाहन कंपनियों के लिए रिकॉल पॉलिसी को अनिवार्य बना दिया था, जिसे 1 अप्रैल से लागू कर दिया गया है।
इसके अनुसार वाहन में गड़बड़ी पाए जाने पर निर्माताओं को अनिवार्य रूप से वाहन रिकॉल जारी करना होगा।
अगर कोई कंपनी रिकॉल करने से मना करती है तो उस पर 10 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लग सकता है।