इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली और बिहार सरकार ने बनाई नई नीति
क्या है खबर?
इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के विकास में सबसे बड़ी बाधा इनकी कीमत और चार्जिंग स्टेशन का न होना है। जिसके चलते भारतीय बाजार में पेट्रोल और डीजल की कारों का दबदबा रहता है।
हालांकि, यह स्वच्छ और ग्रीन मोबिलिटी के लिए बेहतर विकल्प बनते जा रहे हैं।
राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग EV नियम बना रही है।
आइये जानते हैं दिल्ली और बिहार सरकार के नए EV नियम क्या हैं।
जानकारी
इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रमुख बिक्री केंद्र है दिल्ली
प्रदूषण संबंधी चिंताओं के कारण राजधानी में EV का उपयोग तेजी से बढ़ा है। दिल्ली के परिवहन मंत्री ने घोषणा की है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की इस सफलता के लिए दिल्ली सरकार की प्रगतिशील नीतियां जिम्मेदार हैं।
नियम- दिल्ली
पेट्रोल और डीजल इंजन वाहनों पर अधिक टैक्स
दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों का विस्तार करने के लिए पहला कदम आंतरिक दहन इंजन यानी पेट्रोल और डीजल इंजन वाले वाहनों की बिक्री को रोकना है।
पेट्रोल और डीजल इंजन वाले वाहन वायु प्रदूषण के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। इसलिए नई नीति के तहत मौजूदा और नए वाहनों पर एक 'पर्यावरण मुआवजा शुल्क' और 'वायु गुणवत्ता पार्किंग सरचार्ज' लगेगा।
इस नीति में स्क्रैपेज या पंजीकरण रद्द कराने पर कुछ प्रोत्साहन राशि देने का भी प्रावधान है।
जानकारी
दिल्ली सरकार का लक्ष्य
इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के पीछे दिल्ली सरकार का एकमात्र लक्ष्य जितना हो सके प्रदूषण को कम करना है। इसी तरह सरकार अब पर्यावरण के अनुकूल चार्जिंग सिस्टम विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
नियम-दिल्ली
दिल्ली के सार्वजनिक परिवहन में EV
दिल्ली सरकार ने 2023 तक सार्वजनिक परिवहन में 50 प्रतिशत E-बसों को जोड़कर परिवहन सुविधा में बदलाव लाने की योजना बनाई है।
सार्वजनिक परिवहन में टैक्सी, दो-पहिया और तीन-पहिया वाहन भी प्राथमिकता हैं, जिसके तहत सभी कैब एग्रीगेटर्स को 25 प्रतिशत EV का इस्तेमाल करना होगा।
इसके लिए सरकार डीलरों को दीर्घकालिक निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगी। इस प्रकार यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में चार्जिंग के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में मदद करेगा।
नियम-बिहार
बिहार की EV नीति में ई-रिक्शा के उपयोग को बढ़वा
बिहार में पैडल-रिक्शा का भारी उपयोग होता है। सरकार ने 2022 तक इन रिक्शा के उपयोग पर अंकुश लगाने और उन्हें ई-रिक्शा से बदलने का फैसला किया है।
राज्य सरकार ने लिथियम आयन बैटरी ई-रिक्शा के लिए 12,000 रुपये की सब्सिडी और 10,000 रुपये की अतिरिक्त विशेष प्रोत्साहन राशि की भी घोषणा की है।
बिहार सरकार का लक्ष्य राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर 50 किलोमीटर के अंतराल पर फास्ट चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना भी है।