इलेक्ट्रिक गाड़ियों से जुड़े इन मिथकों को सच मानते हैं कई लोग, पढ़िए इनके बारे में
हालिया दिनों में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का चलन बढ़ता जा रहा है और छोटे शहरों और कस्बों में भी इनकी बिक्री बढ़ रही है। सरकार भी इनको बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठा रही है। हालांकि, इसके बावजूद हर कोई इलेक्ट्रिक कारों की ओर रुख नहीं कर पा रहा है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि इनको लेकर कई मिथक आज भी माने जाते हैं। आइये ऐसे ही पांच मिथकों के बारे में जानते हैं।
मिथक 1- इलेक्ट्रिक गाड़ियां देती हैं कम रेंज
कई लोगों में इलेक्ट्रिक कार की रेंज को लेकर एक भ्रम है। कई ग्राहकों को लगता है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां कम रेंज देती हैं और इन्हे बार-बार चार्ज करना पड़ता है, जबकि ऐसा नहीं है। वर्तमान में आने वाली इलेक्ट्रिक कारों में पावरफुल बैटरी दी जाती है, जो एक बार फुल चार्ज होने पर 500 से 600 किलोमीटर तक की रेंज देती हैं। भारतीय बाजार में उपलब्ध किआ EV6 लगभग 700 किलोमीटर की रेंज देती है।
मिथक 2- इनकी स्पीड होती है कम
इलेक्ट्रिक कारों को लेकर सबसे बड़ा भ्रम यह है कि इनकी स्पीड कम होती है। हालांकि, यह बात सच है कि पहले आने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की स्पीड काफी कम होती थी, लेकिन अब नई टेक्नोलॉजी से लैस इलेक्ट्रिक कारों की स्पीड काफी अच्छी होती है। अब बाजार में 160 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की स्पीड वाली इलेक्ट्रिक कारें मौजूद हैं। हुंडई कोना इलेक्ट्रिक की टॉप स्पीड 167 किलोमीटर प्रति घंटा है।
मिथक 3- चार्ज करने में लगता है अधिक समय
ग्राहकों के बीच इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी को लेकर एक और मिथक है। कुछ लोग मानते हैं कि इनकी बैटरी को चार्ज करने में घंटो का समय लगता है। हालांकि, यह सच नहीं है। आजकल भारतीय बाजार में आ रही इलेक्ट्रिक कारों में फास्ट चार्जिंग तकनीक दी जा रही है, जो कुछ मिनटों में गाड़ी को चार्ज कर देती हैं। देश में ऐसी कई इलेक्ट्रिक गाड़ियां उपलब्ध हैं, जिन्हे 30-40 मिनट में 70 प्रतिशत तक चार्ज किया जा सकता है।
मिथक 4- बैटरी पर होता है अधिक खर्च
इसके अलावा इलेक्ट्रिक कारों को लेकर एक यह भी मिथक है कि इनकी बैटरी बहुत महंगी होती है। हालांकि, भारत में उपलब्ध इलेक्ट्रिक कारों जैसे हुंडई कोना, महिंद्रा XUV400 और टाटा नेक्सन EV में दी गई बैटरी के साथ कंपनी 8 साल की वारंटी देती है, जिससे इस पर होने वाला खर्च भी कम हो जाता है। आम कारों की बैटरी की वांरटी पांच साल की होती है। इसलिए इलेक्ट्रिक कार की बैटरी पर अधिक खर्च नहीं होता।
मिथक 5- किफायती नहीं होती हैं इलेक्ट्रिक कारें
कई लोगों को लगता है कि पेट्रोल या डीजल गाड़ियों की तुलना में इलेक्ट्रिक कारें महंगी होती है। यह सच है, लेकिन लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि उन्हें चलाने के लिए कितने मंहगे पेट्रोल और डीजल ईंधन का उपयोग करना पडता है। वहीं इलेक्ट्रिक कारें बिजली से चलती हैं। अगर इस पर ध्यान दिया जाए तो पेट्रोल और डीजल की अपेक्षा इलेक्ट्रिक कारें काफी अधिक किफायती होती हैं।