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    ऑस्ट्रेलिया में अखबारों का पहला पन्ना काला क्यों छपा?

    ऑस्ट्रेलिया में अखबारों का पहला पन्ना काला क्यों छपा?

    लेखन प्रमोद कुमार
    Oct 21, 2019
    01:57 pm

    क्या है खबर?

    सोमवार को ऑस्ट्रेलिया में छपने वाले अधिकतर अखबारों ने अपना पहला पन्ना छापकर सरकार का विरोध जताया।

    अखबारों का कहना है कि सरकार निजता का सख्त कानून लाकर जानकारियां सामने लाने से रोक रही हैं। उन्होंने इसे मीडिया की आजादी पर हमला माना है।

    आजकल अधिकतर मीडिया घराने सरकारों के सामने झुककर अपने मूल्यों का त्याग कर रहे हैं, ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई अखबारों का यह फैसला एक मिसाल की तरह है।

    आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

    अभियान

    पहले पन्ने की खबरों को काली स्याही से पोता

    सोमवार को द ऑस्ट्रेलियन, द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड और द ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू जैसे अखबारों ने अपने पहले पन्ने पर लिखी सभी खबरों को काली स्याही से पोत दिया और उन पर लाल मुहर लगी दी। इस मुहर पर 'सीक्रेट' लिखा हुआ था।

    इन अख़बारों का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों की वजह से रिपोर्टिंग की आजादी पर लगाम कसी जा रही है और देश में एक "गोपनीयता की संस्कृति" बन गई है।

    जानकारी

    टेलीविजन चैनल भी अभियान में दे रहे हैं साथ

    अखबारों के अलावा टेलीविजन चैनलों पर विज्ञापर रोक दिए। चैनल अपने दर्शकों से एक सवाल पूछ रहे हैं। उनका सवाल है, 'जब सरकार आप से सच छिपा रही है तो वह किसे बचाने की कोशिश कर रही है।'

    अभियान

    कैसे शुरू हुआ यह अभियान

    जून में ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (ABC) के हेडक्वार्टर और एक पत्रकार के घर पर छापे मारे गए थे।

    इस घटना के विरोध जताने के लिए अखबारों ने सोमवार को 'राइट टू नो कोएलिशन' अभियान के तहत पन्ने काले रखकर विरोध जताया।

    बीबीसी के मुताबिक, ये छापे व्हिसलब्लोअर्स से लीक हुई जानकारियों के आधार पर प्रकाशित किए गए कुछ लेखों के बाद मारे गए थे।

    अख़बारों के इस अभियान का कई टीवी, रेडियो और ऑनलाइन समूह भी समर्थन कर रहे हैं।

    मांग

    ये हैं मीडिया संस्थानों की मुख्य मांगे

    राइट टू नो कोएलिशन के तहत अखबारों की मुख्य छह मांगे हैं। इसमें पत्रकारों को कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून से बाहर रखने और मानहानि के कानून की समीक्षा की मांग शामिल है।

    जानकारों का कहना है कि इस कानून की आड़ लेकर सरकार पत्रकारों को उनका काम करने से रोक रही है।

    मीडिया संस्थान सार्वजनिक क्षेत्रों के व्हिस्लब्लोअर्स की सुरक्षा की मांग भी कर रहे हैं। उन पर भी मीडिया को खबरें देने के लिए मामले चलाए जा रहे हैं।

    मामले

    तीन पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामलेे चलाने की तैयारी

    रिपोर्ट्स के मुताबिक जून में छापों के बाद तीन पत्रकारों पर आपराधिक मामले चलाए जा सकते हैं। ये तीनों पत्रकार ABC से संबंधित हैं।

    इनमें से एक एनिका स्मेथर्स्ट ने व्हिलब्लोअर्स से मिली जानकारी के आधार पर खबर की थी कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार अपने नागरिकों पर नजर रखने की योजना बना रही है।

    वहीं बाकी दो पत्रकार ऑस्ट्रेलिया के विशेष बलों द्वारा अफगानिस्तान में युद्ध अपराध की खबरें सामने लाए थे। इन पर पड़े छापों का जबरदस्त विरोध हुआ था।

    सरकार की प्रतिक्रिया

    सरकार ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी?

    ऑस्ट्रेलिया प्रधानमंत्री ने इस अभियान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी सरकार मीडिया की आजादी में भरोसा करती है, लेकिन पत्रकार समेत कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।

    उन्होंने कहा, "वो मुझ पर भी लागू होता है, या किसी पत्रकार पर भी, या किसी पर भी।"

    ऑस्ट्रेलिया में प्रेस की आज़ादी पर एक जांच रिपोर्ट अगले साल संसद में पेश की जाएगी।

    बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर कोई कानून नहीं है।

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