गले में एक सिक्का फँसने की वजह से 12 साल तक गूँगी रही मैरी, जानें
आपको कैसा लगेगा जब आप एक दिन अचानक ही अपनी आवाज़ खो दें। आप लोगों से बात करना चाहें, लेकिन मुँह से आवाज़ ही न निकले। यक़ीनन आपको बुरा लगेगा। ऐसा ही एक भयानक हादसा मैरी मैकार्डी के साथ हुआ, जिसमें एक बार बीमार पड़ने के बाद उन्होंने अपनी आवाज़ ही खो दी। उसके बाद वह 12 साल तक गूँगी बनी रहीं और एक दिन अचानक से उनकी आवाज़ लौट आई। आइए यहाँ मैरी की कहानी विस्तार से जानें।
ऑस्ट्रेलिया में करने लगीं नए जीवन की शुरुआत
घटना 1970 की है, जब मैरी 12 साल की थीं। ब्रिटेन में जन्मी मैरी अपने परिवार के साथ ऑस्ट्रेलिया आ गईं। मैरी ऑस्ट्रेलिया में धीरे-धीरे वहाँ की भाषा सीखने लगीं और एक नई ज़िंदगी शुरू करने लगीं। लेकिन क़ुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था और एक महीने में ही उनकी पूरी दुनिया बदल गई। मैरी ने BBC को बताया, "एक दिन सुबह उठी तो मुझे सर्दी-जुकाम था। एक-दो दिन में जाँच के बाद पता चला कि मुझे ब्रोंकाइटिस है।"
छह सप्ताह बाद भी नहीं निकली गले से आवाज़
उन्होंने आगे कहा, "एक सप्ताह तक गले में काफ़ी ख़राश रही और तेज़ बुखार भी रहा। इसके बाद बुखार ठीक हुआ और फेफड़ों का इंफ़ेक्शन भी ख़त्म हुआ और तबियत सुधरने लगी। लेकिन लगभग छह सप्ताह बाद भी गले से आवाज़ नहीं निकली।" मैरी को लगा कि कभी भी वो पहले की तरह बोलने लगेंगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद धीरे-धीरे मैरी ने यह मान लिया कि अब वो कभी नहीं बोल पाएँगी।
किसी को भी बुला नहीं पाईं मदद के लिए
एक बार मैरी अपने दोस्त के साथ पहाड़ चढ़ते हुए बीच में ही फँस गई थीं, लेकिन आवाज़ न निकलने की वजह से वो किसी को मदद के लिए बुला भी नहीं पाईं। इसके बाद वो पहले से ज़्यादा सावधान रहने लगीं।
ईश्वर ने आवाज़ छीनकर दी है सज़ा
न बोलने की वजह से लोग उनका मकाज उड़ाने लगे थे। धीरे-धीरे मैरी अवसाद का शिकार हो गईं। वो न ही रो सकती थीं और न ही किसी बात पर अपना ग़ुस्सा ज़ाहिर कर सकती थीं। मैरी ने कहा, "मैं एक कैथलिक नन के पास भी गई। उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह स्वस्थ हूँ और ऐसा कुछ नहीं दिखता जो मुझे बात करने से रोके। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने मेरी आवाज़ छीनकर मुझे सज़ा दी है।"
लगने लगा कि ऊपर है शैतान का साया
इस वजह से मैरी को यह भी लगने लगा था कि उनके ऊपर शैतान का साया है। उन्हें यह भी लगने लगा था कि वो ईसाई ही नहीं हैं। मैरी के पड़ोसियों को भी यही लगता था कि उनके ऊपर शैतान का साया है।
14 साल की उम्र में की थी आत्महत्या की कोशिश
आवाज़ जाने की वजह से मैरी बिलकुल अकेली हो गईं और 14 साल की उम्र में उन्होंने आत्महत्या कि भी कोशिश की। उसके बाद उन्हें मानसिक रोगियों के अस्पताल भेज दिया गया। मैरी अपनी इस हालत के लिए माता-पिता को ज़िम्मेदार मानने लगी थीं। एक बार वो अस्पताल से भागकर अपने घर भी गईं, लेकिन माता-पिता से उनके रिश्ते बिगड़ चुके थे और वो किसी पर भरोसा नहीं कर पा रही थीं।
साइन लैंग्वेज सीखने के बाद सामान्य होने लगा जीवन
कुछ साल बाद उन्होंने साइन लैंग्वेज सीखा और उनका जीवन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा। फिर एक दिन अचानक से चमत्कार हुआ। जब मैरी 25 साल की थीं, तब उनकी तबियत अचानक से ख़राब हो गई। उन्हें खाँसी आने लगी और मुँह से ख़ून भी निकलने लगा। तब उन्हें पता चला कि उनके गले में कुछ फँसा है। एक सहयोगी ने उन्हें अस्पताल पहुँचाया, जहाँ डॉक्टर ने देखा कि मैरी के गले में एक बलगम का टुकड़ा जैसा कुछ फँसा है।
गले में फँसा था तीन पेन्स का एक सिक्का
जब डॉक्टरों ने उसे बाहर निकाला, तो देखा कि वो बलगम नहीं बल्कि तीन पेन्स का सिक्का था। मैरी के गले में यह सिक्का 1960 से फँसा हुआ था, लेकिन उन्हें बिलकुल भी पता नहीं कि ये सिक्का उनके गले में कैसे फँसा था। हालाँकि, जो भी हो गले से सिक्का निकलते ही मैरी की आवाज़ वापस आ गई। जो सिक्का मैरी के गले में फँसा था, उसे वो अपने साथ रखती हैं। सिक्के को उन्होंने ब्रेसलेट में लगाया है।