#NewsBytesExplainer: दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों को 3 और साल तक मिली सुरक्षा, जानें पूरा मामला
दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों से जुड़े एक विधेयक को संसद से मंजूरी मिल गई है, जिससे 40 लाख लोगों ने राहत की सांस ली है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) विधेयक, 2023 राज्यसभा और लोकसभा दोनों ही सदनों से पारित हो गया है। इस विधेयक के पारित होने से दिल्ली की 1,731 झुग्गी-झोपड़ी, क्लस्टर और अनधिकृत कॉलोनियों में अगले 3 साल तक तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं की जाएगी। आइए इस विधेयक के बारे में जानते हैं।
नए विधेयक में क्या है?
नया संशोधन विधेयक 2023 से 2026 तक 3 साल के लिए अनधिकृत कॉलोनियों को सुरक्षा प्रदान करेगा। इसमें 1 जून, 2014 तक के अनधिकृत निर्माण को सुरक्षा दी गई है। बाद में बने निर्माण को सुरक्षा नहीं मिलेगी। विधेयक में कहा गया है कि मलिन बस्तियों, झुग्गी-झोपड़ी, क्लस्टर और अनधिकृत कॉलोनियों के खिलाफ अगले 3 साल तक तोड़फोड़ की कोई कार्रवाई नहीं होगी। इन कॉलोनियों के निवासियों के पुनर्वास के लिए उचित प्रावधान करने की बात भी कही गई है।
क्या है इस विधेयक की पृष्ठभूमि?
दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों का पालन करते हुए दिल्ली नगर निगम ने 2006 में शहर में अनधिकृत कॉलोनियों के खिलाफ सीलिंग अभियान शुरू किया था। इस अभियान के तहत 1,731 अनधिकृत कॉलोनियों के लाखों लोगों को निशाना बनाया गया था। इसके बाद मनमोहन सिंह की UPA सरकार ने अनधिकृत कॉलोनियों को सुरक्षा देने के लिए एक साल के लिए दिल्ली कानून अधिनियम, 2006 लागू किया और यह लगातार हर साल बढ़ता रहा।
2011 से 3-3 साल करके बढ़ाई जा रही सुरक्षा
2011 में संसद में इससे जुड़ा एक संशोधन विधेयक पारित किया गया और इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा अधिनियम कहा गया। इसके तहत अनधिकृत कॉलोनियों को 31 दिसंबर, 2014 तक 3 साल की अवधि के लिए सुरक्षा दी गई। इसके बाद 2014 में भाजपा की सरकार बनी। इस सरकार ने भी इस अधिनियम के जरिए 3-3 साल करके 3 बार अनधिकृत कॉलोनियों को सुरक्षा दी।
कॉलोनियों में मालिकाना हक देने के लिए क्या किया जा रहा?
2019 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों के संपत्ति अधिकारों को मान्यता) अधिनियम पारित करके अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को स्वामित्व अधिकार देना शुरू किया गया। इसके अलावा इन कॉलोनियों के लिए विकास नियंत्रण मानदंड 8 मार्च, 2022 को अधिसूचित किए गए। ये अधिनियम कहता है, "अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को मालिकाना अधिकार प्रदान करने की प्रक्रिया और अनधिकृत कॉलोनियों के लिए विकास नियंत्रण मानदंडों के अनुसार कार्रवाई प्रगति पर है और इसमें समय लगेगा।"
अब आगे क्या?
भले ही अनधिकृत कॉलोनियों की सुरक्षा 3 साल के लिए बढ़ गई, लेकिन सवाल यह है कि यह यथास्थिति कब तक बनी रहेगी? शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी ने बताया, "अनधिकृत कॉलोनियों में करीब 40 लाख लोग रहते हैं, जिसका मतलब है कि 8-10 लाख परिवार मालिकाना हक के पात्र हो सकते हैं। अब तक केवल 4 लाख पंजीकरण हुए हैं और 20,881 मामलों में डीड जारी हुए हैं। स्पष्ट रूप से और अधिक काम करने की जरूरत है।"
क्या 'मास्टर प्लान 2041' से अधिक स्पष्ट होगी स्थिति?
दिल्ली विकास प्राधिकरण ने दिल्ली के लिए 'मास्टर प्लान 2041' तैयार किया है और इसे मंजूरी के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के पास भेजा गया है। पुरी ने बताया कि मास्टर प्लान 2041 का मसौदा आखिरी चरण में है और एक बार अधिसूचित होने के बाद इसमें अनधिकृत कॉलोनियों, मलिन बस्तियों आदि के लिए विकास मानदंडों का विवरण होगा। इसका मतलब मास्टर प्लान सामने आने के बाद अनिधिकृत कॉलोनियों पर स्थिति अधिक स्पष्ट हो सकती है।