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कौन हैं श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके और भारत के प्रति कैसा है रुख?
दिसानायके श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति बन सकते हैं (तस्वीर-एक्स/@anuradisanayake)

कौन हैं श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके और भारत के प्रति कैसा है रुख?

लेखन आबिद खान
Sep 22, 2024
08:16 pm

क्या है खबर?

श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ गए हैं। वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने दूसरे चरण की मतगणना में जीत दर्ज की है। श्रीलंका के चुनावी इतिहास में ये पहली बार हुआ है, जब मतगणना दूसरे चरण तक पहुंची है। जब पहले चरण में किसी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट नहीं मिलते तो दूसरे चरण की मतगणना होती है। आइए जानते हैं अगले राष्ट्रपति दिसानायके कौन हैं।

दिसानायके

कौन हैं दिसानायके?

दिसानायके कोलंबो से सांसद हैं और जनता विमुक्ति पेरमुना (JVP) पार्टी का नेतृत्व करते हैं। AKD के नाम से मशहूर दिसानायके मार्क्सवादी-लेनिनवादी नेता हैं। उनका जन्म 24 नवंबर, 1968 को अनुराधापुरा जिले के थंबूथेगामा गांव में हुआ था। वे अपने गांव के पहले ऐसे छात्र थे, जिसने किसी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था। छात्र जीवन से ही वे राजनीति में सक्रिय रहे और 1987 में JVP के पूर्णकालिक सदस्य बन गए।

विधायक

साल 2000 में पहली बार बने विधायक 

1998 में दिसानायके JVP के पोलित ब्यूरो में शामिल हो गए। इसके 2 साल बाद उन्होंने पहली बार विधायक का चुनाव जीता। 2004 के चुनावों के बाद उनकी पार्टी ने श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (SFP) के साथ गठबंधन किया था। इस सरकार में दिसानायके को कृषि, पशुधन, भूमि और सिंचाई मंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला। हालांकि, मतभेदों के चलते ये गठबंधन सरकार ज्यादा चल न सकी और दिसानायके ने 2005 में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

नरसंहार

नरसंहार के समर्थन के लगे आरोप

दिसानायके पर नरसंहार के आरोप लगते रहे हैं। दरअसल, 1987 से 1989 के बीच JVP ने तत्कालीन सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया था। इसे श्रीलंका के इतिहास का सबसे खूनी दौर कहा जाता है। साल 2002 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) और श्रीलंकाई सरकार के बीच युद्ध विराम समझौते का भी दिसानायके ने विरोध किया था। 2014 में दिसानायके ने पार्टी के पिछले अपराधों के लिए माफी भी मांगी थी।

पार्टी अध्यक्ष

2014 में बने पार्टी अध्यक्ष

2014 में दिसानायके JVP के अध्यक्ष बने। उन्होंने पार्टी की पुरानी हिंसक छवि को बदलने की कोशिश की और गरीबी, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। दिसानायके ने पहली बार 2019 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें केवल 3 प्रतिशत वोट मिले थे। 2022 में उथल-पुथल के बाद गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़ भागना पड़ा। यहां से JVP को अपने लिए एक मौका दिखा और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर चुनावी मैदान में उतर गए।

भारत

भारत को लेकर क्या है दिसानायके का रुख?

दिसानायके को भारत विरोधी माना जाता है। चुनाव से पहले उन्होंने अडाणी समूह के लिए कहा था कि इसकी परियोजना श्रीलंका की ऊर्जा संप्रभुता के लिए खतरा है। श्रीलंकाई राजनीति के जानकार हरिंद्र बी दासनायके ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा, "NPP के उदय ने दिल्ली को चिंतित कर दिया है। भारत NPP के संभावित नेतृत्व को लेकर सतर्क रहने के लिए बाध्य होगा, जबकि चीन इसे क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के अवसर के रूप में देखेगा।"