#NewsBytesExplainer: क्या होता है प्रतिबंधित सफेद फॉस्फोरस बम, जिसके इस्तेमाल का आरोप इजरायल पर लगा?
हमास के हमले के बाद से इजरायली बलों की जवाबी कार्रवाई लगातार जारी है। इजरायली सेना के लड़ाकू विमानों ने गाजा के कई इलाकों में भारी बमबारी की है। इस बीच इन हवाई हमलों के कुछ वीडियो के जरिए इजरायली सेना पर गाजा पट्टी की घनी आबादी पर प्रतिबंधित सफेद फॉस्फोरस बम गिराने के आरोप लगाए जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि ये सफेद फॉस्फोरस बम होता क्या है और कितना खतरनाक है।
क्या होता है सफेद फॉस्फोरस बम और कैसे काम करता है?
फॉस्फोरस एक मोम जैसा रासयानिक पदार्थ होता है, जो हल्का पीला या रंगहीन होता है। इसकी गंध लहसुन की तरह तेज होती है। इस रासायनिक पदार्थ की खासियत ये है कि हवा (ऑक्सीजन) के संपर्क में आते ही ये जलने लगता है। इस रसायन का बम में इस्तेमाल करने पर धमाका होते ही ये एक सफेद पाउडर-सा नजर आता है और हवा के संपर्क में आते ही आग पकड़ लेता है। इसी वजह से इसे सफेद फॉस्फोरस बम कहते हैं।
फॉस्फोरस बम जलने पर सोख लेता है आसपास की ऑक्सीजन
सफेद फॉस्फोरस बम के फटने पर तापमान 800 डिग्री सेल्सियस के भी पार निकल जाता है। इसकी ऑक्सीजन के साथ रासयनिक प्रतिक्रिया के दौरान तेज रोशनी और गाढ़ा सफेद धुआं निकलता है। ये बम जलते वक्त अपने आसपास की पूरी ऑक्सीजन को सोखने लगता है और इससे उठते धुएं के कारण लोगों का दम भी घुट जाता है। फॉस्फोरस के एक बार आग पकड़ने के बाद इसे पानी से भी नहीं बुझाया जा सकता है।
इंसानों के लिए खतरनाक है फॉस्फोरस?
फॉस्फोरस बम इंसान के लिए बेहद घातक होता है। अगर कोई इंसान इसकी आग से नहीं मरता तो ऑक्सीजन की कमी के कारण दम घुटने से मर जाता है। ये तक कहा जाता है कि अधिक तापमान के कारण ये बम हड्डियों को गला देता है। इसके अलावा इस बम के कण दूर-दूर तक जाकर लक्ष्य के अलावा अन्य लोगों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये कण त्वचा के अंदर घुसकर दिल जैसे जरूरी अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं।
सैन्य लड़ाई में पहली बार कब इस्तेमाल हुआ था फॉस्फोरस बम?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सैन्य लड़ाई में सफेद फॉस्फोरस का सबसे पहला इस्तेमाल 1800 के दशक में हुआ था। जब आयरिश राष्ट्रवादियों ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया। इसके बाद प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1916 के अंत में ब्रिटिश सेना द्वारा पहला कारखाना-निर्मित सफेद फास्फोरस ग्रेनेड पेश और इस्तेमाल किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी इसका घातक बम का जमकर इस्तेमाल किया गया था।
फॉस्फोरस बम को लेकर क्या हैं UN के नियम?
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 1980 में जिनेवा कन्वेंशन में सफेद फॉस्फोरस बम को प्रतिबंधित रसायनिक हथियारों की श्रेणी में डाल दिया था। इसका इस्तेमाल कन्वेंशन ऑन सर्टेन कन्वेंशनल वेपन (CCW) के प्रोटोकॉल के तहत कुछ खास जगहों पर ही किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि इसका इस्तेमाल आबादी वाले इलाके में नहीं किया जा सकता है और कोई देश अगर इस बम का इस्तेमाल आबादी पर करता है तो उसे युद्ध अपराध के तहत दोषी ठहराया जाएगा।
किन-किन देशों पर लगे हैं इस प्रतिबंधित बम के इस्तेमाल के आरोप?
इजरायल ने स्वीकार किया था कि 2006 के लेबनान युद्ध के दौरान हिजबुल्लाह के खिलाफ लड़ाई के दौरान सफेद फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल किया था। उस पर 2008-09 के गाजा युद्ध के दौरान आम नागरिकों पर इसके इस्तेमाल के आरोप भी लगे। 2012 में सीरिया पर और रूसी सेना पर यूक्रेन युद्ध में इसके इस्तेमाल का आरोप लग चुका है। अमेरिका पर द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर इराक युद्ध तक में इसके इस्तेमाल का आरोप लगता है।