
क्या है सागाइंग फॉल्ट, जो बना म्यांमार में भीषण भूकंप का कारण?
क्या है खबर?
दक्षिण-पूर्व एशिया में शुक्रवार को आए भूकंप के तेज झटकों ने म्यांमार सहित थाईलैंड की राजधानी बैंकाक को बुरी तरह झंकझोर दिया।
भकंप के इन झटकों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7 से अधिक थी। इससे कई निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारतें ध्वस्त हो गई तो कई मकान धराशाही हो गए।
इन भूकंप के झटकों के कारण अब तक 107 लोगों की मौत हो चुकी है। आइए जानते हैं कि ये भूकंप कैसे आए और भविष्य में क्या सावधानी की जरूरत है।
भूकंप
दोपहर 12:50 बजे आया था पहला झटका
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, दोपहर 12:50 बजे मध्य म्यांमार में 7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था। भूकंप का केंद्र म्यांमार के मांडले शहर से लगभग 16 किलोमीटर दूर 9.47 किलोमीटर की गहराई में था।
इसके 12 मिनट बाद 6.4 तीव्रता का दूसरा शक्तिशाली भूकंप आया। इन झटकों से बैंकॉक में इमारतें और अन्य प्रमुख बुनियादी ढांचे गिर गए। इससे म्यांमार के साथ बैंकॉक के लोगों में दहशत फैल गई और लोग घरों से बाहर आ गए।
नुकसान
क्या-क्या हुआ नुकसान?
भूकंप से बैंकॉक में जहां कई ऊंची इमारते और मकान घ्वस्त हो गए, वहीं म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले में भी व्यापक नुकसान हुआ।
पूर्व शाही महल और अन्य इमारतों के हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए। अवा और सागाइंग क्षेत्रों को जोड़ने वाला एक पुल गिरकर इरावदी नदी में समा गया और कई सड़कें उखड़ गईं।
भूकंप जनित हादसों में दोनों देशों में 107 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि सैकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं।
सहायता
म्यांमार की सेना ने की अंतरराष्ट्रीय सहायता की अपील
भूकंप आने के कुछ ही देर बाद म्यांमार की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति ने सागाइंग, मांडले, मैगवे, उत्तरपूर्वी शान, नेपीताव परिषद क्षेत्र और बागो क्षेत्र में आपातकाल घोषित कर दिया।
म्यांमार की सेना ने अंतरराष्ट्रीय सहायता और मदद के लिए अनुरोध भी जारी किया है।
सेना के प्रवक्ता जॉ मिन टुन ने AFP से कहा, "हम चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय जल्द से जल्द मानवीय सहायता दें। इससे देश को इस आपदा से उबरने में मदद मिलेगी।"
भरोसा
प्रधानमंत्री मोदी ने दिया हरसंभव मदद का आश्वासन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, "सभी की सुरक्षा और भलाई के लिए प्रार्थना करता हूं। भारत हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। इस संबंध में, हमने अपने अधिकारियों को तैयार रहने को कहा है।"
थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनवात्रा ने भी बैंकॉक में आपातकाल की घोषणा की है।
विश्लेषकों का मानना है कि म्यांमार में आए भूकंप का असर देश के लिए काफी विनाशकारी होगा। आने वाले दिनों में स्थिति बद से बदतर हो सकती है।
कारण
क्या है म्यांमार में आए भूकंप का कारण?
सिंगापुर की अर्थ ऑब्जर्वेटरी के प्रमुख अन्वेषक शेंगजी वेई ने CNN को बताया कि म्यांमार के लोगों के लिए भूकंप अप्रत्याशित नहीं हैं।
कारण भूकंप के सागाइंग फॉल्ट के हिस्से में आना था, जो एक प्रमुख भूगर्भीय फॉल्ट लाइन है, जिसने ऐतिहासिक रूप से पहले भी कई बड़े भूकंप देखे हैं।
यह फॉल्ट देश में लगभग 1,200 किलोमीटर तक फैला हुआ है और इसका महत्वपूर्ण भूकंपीय गतिविधि का इतिहास रहा है। यह देश के लिए चिंता की बात है।
फॉल्ट
सागाइंग फॉल्ट क्या है?
सागाइंग फॉल्ट म्यांमार में भूकंप की अधिक आशंका वाला क्षेत्र है। यह मध्य म्यांमार से उत्तरी म्यांमार तक फैला हुआ है।
यह बर्मा माइक्रोप्लेट और भारतीय प्लेट के बीच एक प्रमुख टेक्टोनिक सीमा है। यह फॉल्ट भारतीय और यूरेशियन प्लेटों की गति के कारण होता है और इसके साथ-साथ स्थित म्यांमार के शहर भूकंप के प्रति सबसे अधिक संवेदनशीन होते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, भविष्य में लोगों को बचाने के लिए सागाइंग फॉल्ट में भूकंपरोधी इमारतों का निर्माण महत्वर्पूण है।
इतिहास
म्यांमार में भूकंप का इतिहास
म्यांमार में पिछले 100 सालों में 6 या उससे अधिक तीव्रता वाले 14 भूकंप आ चुके हैं।
आज से पहले 21 नवंबर, 2021 को म्यांमार में एक शक्तिशाली भूकंप आया था जिसका केंद्र हक्का में था।
देश में सबसे घातक और शक्तिशाली भूकंप 23 मई, 1912 को आया था। इसे मायम्यो भूकंप के नाम से जाना जाता है।
इसका केंद्र शान राज्य में ताउंगगी और प्यिन ऊ ल्विन के पास था। इसमें मरने वालों की संख्या अभी तक अज्ञात है।