म्यांमार: सेना की गोलीबारी में मारे गए तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 114 लोग
म्यांमार में सेना की ज्यादतियां बढ़ती जा रही हैं और शनिवार को सैनिकों की गोलीबारी में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 100 से अधिक लोग मारे गए। मारे गए लोगों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं और प्रत्यक्षदर्शियों ने सैनिकों के लोगों को सीधे गोली मारने की बात कही है। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने इस हिंसा की निंदा की है और कहा है कि म्यांमार की सेना ने अपनी प्रतिष्ठा खो दी है।
सेना ने 1 फरवरी को किया था चुनी हुई सरकार का तख्तापलट
इस साल 1 फरवरी को म्यांमार की सेना ने चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया था और सर्वोच्च नेता आंग सान सू ची और राष्ट्रपति विन म्यिंट समेत कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में लेकर देश में एक साल के लिए आपातकाल लगा दिया था। तख्तापलट के बाद पूर्व जनरल म्यिंट स्वी को कार्यकारी राष्ट्रपति बना दिया गया था और सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग ने देश का शासन अपने हाथों में ले लिया था।
सैन्य शासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं म्यांमार के लोग
इस तख्तापलट के बाद से ही म्यांमार के कई शहरों और इलाकों में सैन्य शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। शनिवार को सेना दिवस के मौके पर भी देशभर में बड़े पैमाने पर तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन हुए और इन्हीं प्रदर्शनों के दौरान सेना की गोलीबारी में 100 से अधिक लोग मारे गए। विभिन्न रिपोर्ट्स में 107 से 114 लोगों के मरने की बात कही गई है जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं।
अब तक 400 से अधिक लोगों की मौत
ये विरोध प्रदर्शनों के दौरान अब तक एक दिन में हुई सबसे अधिक मौतें हैं और इससे पहले 14 मार्च को 74 से 90 लोगों की मौत हुई थी। प्रदर्शनों के दौरान अब तक कुल 400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
अमेरिका ने कहा- म्यांमार की सेना के खून-खराबे से हम स्तब्ध
शनिवार को हुई हिंसा पर अमेरिका ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने ट्वीट करते हुए कहा, 'बर्मा की सेना द्वारा किए गए खून-खराबे से हम लोग स्तब्ध हैं। ऐसा लगता है कि सेना जुनटा कुछ लोगों की सेवा करने के लिए आम लोगों की जिंदगी क़ुर्बान कर देगी। मैं पीड़ितों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं भेजता हूं। बर्मा की बहादुर जनता ने सेना के आतंक के युग को नकार दिया है।'
ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने भी की आलोचना
ब्रिटेन के राजदूत डेन चग ने एक बयान में कहा कि सेना ने निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाकर अपनी प्रतिष्ठा खो दी है। वहीं यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इस दिन को आतंक और अपमान के दिन के तौर पर याद रखा जाएगा।
म्यांमार में सैन्य शासन का पुराना इतिहास
गौरतलब है कि म्यांमार में सैन्य शासन और तख्तापलट का पुराना इतिहास है और 1948 में आजादी के बाद यहां पहली बार 1962 में सैन्य तख्तापलट हुआ था। इसके बाद यहां पांच दशक तक सैन्य तानाशाही बनी रही और इसी दौरान सू ची ने 1989 से 2010 तक लगभग दो दशक नजरबंदी में गुजारे। 2011 में सेना ने अचानक सैन्य शासन हटा दिया और इसके बाद 2015 और 2019 में हुए दो चुनावों में NLD ने बड़ी जीत दर्ज की।