
इंसानों को भी चपेट में ले सकता है सूअरों को बीमार करने वाला कोरोना वायरस- अध्ययन
क्या है खबर?
एक नए अध्ययन में सामने आया है कि सूअर के बच्चों में डायरिया का कारण बनने वाला कोरोना वायरस का स्ट्रेन इंसानों में भी फैल सकता है।
अध्ययन में कहा गया है कि यह वायरस वैश्विक अर्थव्यवस्था और इंसानी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया के लिए यह एक और परेशानी पैदा कर सकता है।
आइये, इस वायरस, इंसानों में इसके फैलने की आशंका और इसके इलाज के बारे मे जानते हैं।
SADS-CoV
क्या है स्वाइन कोरोना वायरस?
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना (UNC) के शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना वायरस के इस स्ट्रेन को स्वाइन एक्युट डायरिया सिंड्रोम कोरोना वायरस (SADS-CoV) के नाम से भी जाना जाता है।
यह चमगादड़ों से फैला है और सबसे पहले दिसंबर 2016 में इसका पता चला था, जब इसने चीन में कुछ सूअरों को संक्रमित किया था।
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह वायरस सूअर उद्योग पर आश्रित देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाल सकता है।
स्वाइन कोरोना वायरस
इंसानों के लिए संभावित खतरे के तौर पर उभर सकता है वायरस
यह शोध PNAS जर्नल में प्रकाशित हुआ है। जब वैज्ञानिक ने लैब टेस्ट के जरिये यह जांचा कि क्या यह वायरस इंसानों को किसी प्रकार का खतरा पैदा कर सकता है तो इसका जवाब सकारात्मक मिला। उन्होंने इंसानी गुर्दे, आंत की कोशिकाएं और श्वासमार्ग कोशिकाओं में इसकी मौजूदगी पाई।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस का यह नया स्ट्रेन इंसानों के लिए बड़े खतरे के तौर पर उभर सकता है, जो सेहत के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर असर डालेगा।
स्वाइन कोरोना वायरस
कोरोना वायरस परिवार का हिस्सा है नया वायरस
यह नया स्ट्रेन भी उसी कोरोना वायरस परिवार का हिस्सा है, जो इंसानों में सांस संबंधी परेशानी (COVID-19) पैदा करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि SADS-CoV एक अल्फाकोरोना वायरस है, जो सूअरों में पेट से जुड़ी बीमारियों को जन्म देता है।
इससे संक्रमित होने पर सूअरों को गंभीर किस्म का डायरिया होता है। सूअरों के बच्चों के लिए ज्यादा घातक है। हालांकि, यह इंसानों में कॉमन कॉल्ड का कारण HCoV-229E और HCoV-NL63 से अलग है।
खतरा
क्या यह इंसानों को संक्रमित कर सकता है?
अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, जब कोई इंसान SADS-CoV से संक्रमित हुआ है।
हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि जानवरों में पाया जाने वाला यह वायरस इंसानों को अपनी चपेट में ले सकता है। इंसान के गुर्दे और आंत में कई कोशिकाएं ऐसी हैं, जहां यह वायरस हमला कर सकता है।
उनका कहना है कि इंसानों में अभी तक इस वायरस के प्रति इम्युनिटी पैदा नहीं हुई है।
इलाज
क्या इसका कोई इलाज मौजूद है?
शोधकर्ताओं में शामिल कैटलीन एडवर्ड्स के अनुसार, अगर इंसान इसकी चपेट में आते हैं तो एंटीवायरल दवा रेमडेसिवीर को इसके संभावित इलाज के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह इस वायरस के प्रति मजूबत सुरक्षा देती है।
हालांकि, साथ ही उनका यह भी कहना है कि अभी इस दिशा में और शोध किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने ऐहतियात के तौर पर सूअरों और उनसे जुड़े कामों में लगे लोगों पर नजर रखने की जरूरत बताई है।