राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रधानमंत्री आदि से संबंधित डाटा रखने वाले कंप्यूटरों की सुरक्षा में लगी सेंध
सितंबर की शुरूआत में राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे VVIP लोगों से संबंधित डाटा रखने वाली सरकारी कंप्यूटरों की सुरक्षा भंग की गई थी। जिन कंप्यूटरों में सेंधमारी की गई, उनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल, वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों और भारतीय नागरिकों से संबंधित डाटा भी मौजूद था। NDTV को दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि ये हमला बेंगलुरू की एक कंपनी से आए ईमेल के जरिए किया गया था।
कर्मचारियों के पास आए मेल के जरिए की गई सेंधमारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा, महत्वपूर्ण लोगों और भारतीय नागरिकों के डाटा की सुरक्षा करने वाले राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के कर्मचारियों के पास सितंबर की शुरूआत में बेंगलुरू की एक कंपनी से ईमेल आया था। जब कर्मचारियों ने मेल में प्रदान किए गए एक मेल पर क्लिक किया तो उनके कंप्यूटर की सुरक्षा भंग हो गई और डाटा में सेंध लगई गई। हमले में लगभग 100 कंप्यूटर प्रभावित हुए जिनमें से कुछ IT मंत्रालय के भी थे।
बेंगलुरू की अमेरिकी कंपनी से आया था मेल
इस घटना के बाद NIC ने दिल्ली पुलिस को एक शिकायत दी जिसके बाद स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलिजेंस सेल ने IT कानून के तहत मामला दर्ज किया है। सूत्रों ने NDTV को बताया कि IP एड्रेस की जांच करने पर सामने आया है कि ईमेल बेंगलुरू से चलने वाली एक अमेरिकी कंपनी से आया था। अभी तक ये सामने नहीं आया है कि जिस डाटा में सेंध लगाई गई, वह कितनी संवेदनशील थी।
चीनी कंपनी पर लग रहे हैं प्रधानमंत्री समेत तमाम बड़े लोगों की जासूसी के आरोप
बता दें कि ये घटना ऐसे समय पर हुई है जब चीन की एक कंपनी 'झेनहुआ डाटा इंफोर्मेशन' पर भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और सेना प्रमुख समेत तमाम बड़ी हस्तियों की निगरानी रखने और उनसे संबंधित डाटा इकट्ठा करने का आरोप लग रहा है। NDTV के सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई है। इस समिति को 30 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
चीनी सरकार ने कहा- हमारा कंपनी से कोई संबंध नहीं
जासूसी के आरोपों पर चीनी सरकार ने सफाई देते हुए कहा है कि झेनहुआ एक निजी कंपनी है और उसका सरकार से कोई संबंध नहीं है। वहीं झेनहुआ ने कहा है कि उसने ये डाटा सार्वजनिक रूप से मौजूद स्त्रोतों से इकट्ठा किया है और पश्चिमी देशों की कंपनियों द्वारा इकट्टे किए जाने वाले डाटा से अलग नहीं है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत में चीन के राजदूत सुन वेइडॉन्ग के सामने भी मामले को उठाया है।