कोरोना वायरस महामारी के बाद बढ़ी वायरोलॉजिस्ट की मांग, जानें कैसे बनाएं इस क्षेत्र में करियर
कोरोना वायरस, पोलिया और इंफ्लूएंजा कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिनसे बचाव का बेहतर तरीका वैक्सीनेशन है। कोरोना वायरस महामारी के बाद जैसे-जैसे विश्व में वैक्सीन की मांग बढ़ी है, वैसे-वैसे वैक्सीन निर्माता और दवा कंपनियों में भी वायरोलॉजिस्ट की मांग बढ़ रही है। आइये जानते हैं कि वायरोलॉजिस्ट का मुख्य काम क्या होता है, इसके लिए योग्यता क्या होनी चाहिए और इस क्षेत्र में आपके लिए रोजगार की संभावनाएं कैसी हैं।
वायरोलॉजिस्ट का मुख्य काम क्या होता है?
वायरसों की बनावट, उनकी सक्रियता का तरीका और उनके संक्रमण से होने वाली बीमारियों की पढ़ाई विज्ञान की जिस शाखा के तहत की जाती है, उसे वायरोलॉजी या विषाणु विज्ञान कहते हैं और इसकी पढ़ाई करने वाले प्रोफेशनल को वायरोलॉजिस्ट कहा जाता है। वायरोलॉजिस्ट फार्मा कंपनियों के लिये वायरस पर रिसर्च का काम करते हैं। इसके साथ ही वायरस से लड़ने वाली वैक्सीन और दवाओं को विकसित करने की जिम्मेदारी भी उनके ही कंधों पर होती है।
वायरोलॉजिस्ट बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता क्या होनी चाहिए?
वायरोलॉजिस्ट बनने के लिए आपका विज्ञान (बायोलॉजी सहित) में अच्छे नंबरों के साथ कक्षा 12 पास होना जरूरी है। इसके बाद वायरोलॉजी, वायरल ऑकोलॉजी, मॉलिक्यूलर वायरोलॉजी और इम्यूनोलॉजी में स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद इस क्षेत्र में नौकरी करने के अच्छे अवसर उपलब्ध होते हैं। हालांकि यदि आप वायरोलॉजी में PhD की डिग्री हासिल कर लेते हैं तो ऊंचे पदों पर आपको इस क्षेत्र में नौकरी मिल सकती है।
इस क्षेत्र में नौकरी की संभावानाएं कैसी हैं?
वायरोलॉजिस्ट के लिए केवल विदेश ही नहीं बल्कि भारत में भी रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। खासकर एंटीवायरल ड्रग्स की खोज करने से जुड़े शोध में उनकी आवश्यकता लगातार बढ़ती ही जा रही है। भारत हमेशा से वैक्सीन के निर्माण में एक अग्रणी देश रहा है। यहां सीरम इंस्टीटयूट और भारत बायोटेक जैसी विशाल कंपनियां हैं जो भारत को वैक्सीन उत्पादक और आपूर्तिकर्ता देशों की सूची में टॉप पर बनाए रखती हैं।
देश-विदेश के इन संस्थानों से करें वायरोलॉजिस्ट की पढ़ाई
सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी, पुणे के सहयोग से), महाराष्ट्र मणिपाल यूनिवर्सिटी, कर्नाटक एमिटी यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी, आंध्र प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, वाराणसी आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, नोएडा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन यूनिवर्सिटी ऑफ पेनिसिल्वानिया, अमेरिका ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूनाइटेड किंगडम यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो, यूनाइटेड किंगडम इंपीरियल कॉलेज लंदन, यूनाइटेड किंगडम यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज, यूनाइटेड किंगडम यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो, कनाडा यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया
न्यूजबाइट्स प्लस
वैक्सीन के विकास और निर्माण में भारत की बड़ी भूमिका रही है। भारत में हेपेटाइटिस ए, इंफ्लूएंजा, पोलियो, रेबीज और इसके साथ-साथ कोविड-19 की वैक्सीन भारी संख्या में बनाई जाती हैं, जो अन्य देशों को भी निर्यात की जाती हैं। कोवैक्सिन कोविड-19 के खिलाफ बनी भारत की पहली देसी वैक्सीन है, जिसे भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ मिलकर बनाया है।