कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में 10 लाख से अधिक बच्चों से छीने माता-पिता- अध्ययन
कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया में जमकर हाहाकार मचाया है। इसके चलते दुनियाभर में अब तक 41.05 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसी बीच सामने आया है कि महामारी ने दुनियाभर में अब तक 15 लाख बच्चों से उनके माता-पिता या प्राथमिक देखभाल करने वाले (दादा-दादी या रिश्तेदार) अभिभावकों को छीन लिया है। द लैंसेट में बुधवार को प्रकाशित किए गए एक वैश्विक अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
अध्ययन में 21 देशों को किया गया था शामिल
यह अध्ययन CDC कोरोना रिस्पांस टीम, इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य बड़े संस्थानों के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था। इसमें दुनियाभर के कुल 21 देशों को शामिल किया गया था। अध्ययन के दौरान 30 अप्रैल, 2021 तक कोरोना संक्रमण से हुई कुल 77 प्रतिशत मौतों को देखा गया था। शोधकर्ताओं ने मार्च 2020 से अप्रैल 2021 तक कोरोना मृत्यु दर के आंकड़ों और राष्ट्रीय प्रजनन आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान लगाया है।
10 लाख से अधिक बच्चों ने माता-पिता में एक या दोनों को खोया
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी दुनिया में 1 मार्च, 2020 से 30 अप्रैल, 2021 तक 15.62 लाख से अधिक बच्चों ने परिजनों को खोया है। इनमें से 10.42 लाख बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक या दोनों को खोया है। इसी तरह 11.34 लाख बच्चों ने अपने अपने माता-पिता और दादा-दादी में से किसी एक या देखभाल करने वाले किसी करीबी रिश्तेदार को खोया है।
मैक्सिको में सबसे ज्यादा 1.31 लाख बच्चे हुए प्रभावित
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में मैक्सिको में सबसे ज्यादा 1,31,325 बच्चों ने अपने माता-पिता या किसी एक को खोया है। इसी तरह ब्राजील में 1,13,150, अमेरिका में 1,04,884, पेरू में 92,702, दक्षिण अफ्रीका में 82,422, ईरान में 40,426, कोलंबिया में 29,851 और रूस में 22,293 बच्चों ने माता-पिता दोनों या किसी एक को खोया है। इसी तरह इन देशों में कुल 10.14 लाख बच्चों के सिर से अन्य करीबी देखभालकर्ता का साया उठा है।
मां की तुलना में पांच गुना अधिक हुई पिता की मौत
रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में पूरी दुनिया में अपनी मां को खोने वाले बच्चों की तुलना में पांच गुना अधिक बच्चों ने अपने पिता को खोया है। इससे जाहिर है कि पिता कोरोना संक्रमण की चपेट में सबसे ज्यादा आए होंगे।
भारत में यह रही है स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस अवधि में कुल 1,16,263 बच्चों के सिर से माता-पिता दोनों या फिर किसी एक का साया उठा है। इनमें से 25,500 बच्चों ने मां तो 90,751 ने पिता को खोया है। इसी तरह महज 12 बच्चों ने माता और पिता दोनों को खोया है। इसी तरह 1,19,170 बच्चों ने दादा-दादी या करीबी रिश्तेदार को खोया है। इनमें 1,132 बच्चों ने दादी, 1,766 ने दादा और नौ बच्चों ने दोनों को खोया है।
भारत में अप्रैल में सबसे अधिक बच्चों ने खोए माता-पिता
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मार्च 2021 में कुल 5,091 बच्चों के सिर से माता-पिता या दोनों का साया उठने की रिपोर्ट थी, लेकिन अप्रैल में यह आंकड़ा बढ़कर 43,139 पर पहुंच गया। इस हिसाब से देश में महज एक महीने में ही इस तरह के बच्चों की संख्या में 8.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई। अध्ययन के लेखकों का कहना है भारत में अप्रैल में इस तरह की बच्चों की संख्या में वृद्धि का कारण अधिक मृत्यु दर थी।
दुनिया में प्रत्येक दो मौतों में से एक में बच्चे हुए प्रभावित- हिलिस
अध्ययन के प्रमुख लेखकों में शामिल अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के डॉ सुसान हिलिस ने कहा, "दुनिया भर में कोरोना महामारी के कारण हुई प्रत्येक दो मौतों में से एक मौत ने किसी न किसी बच्चे को प्रभावित किया है।" उन्होंने आगे कहा, "30 अप्रैल, 2021 तक इन 15 लाख बच्चों दुनियाभर में हुई 30 लाख से अधिक मौतों का परिणाम थे। महामारी की दूसरी लहर ने बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।"
प्रभावित बच्चों के एक अभिभावकों को वैक्सीनेशन में दी जाए प्राथमिकता- क्लुवर
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और केप टाउन यूनिवर्सिटी के अध्ययन लेखकों में से एक लूसी क्लुवर ने कहा, "हमें बच्चों की देखभाल करने वालों विशेष रूप से देखभाल करने वाले दादा-दादी को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता देते हुए उन्हें जल्द से जल्द वैक्सीन लगानी चाहिए।" इसी तरह उन्होंने कहा, "हमें तेजी से प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है क्योंकि हर 12 सेकंड में एक बच्चा कोरोना महामारी से अपनी देखभाल करने वाला खो देता है।
प्रभावित बच्चों तक जल्द पहुंचाई जाए सहायता- फ्लैक्समैन
अध्ययन लेखकों में शामिल इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के डॉ सेठ फ्लैक्समैन ने कहा, "अनाथपन में की छिपी हुई महामारी एक वैश्विक आपातकाल है और हम बच्चों की मदद के लिए कल तक इंतजार करने का जोखिम नहीं उठा सकते है।" उन्होंने कहा, "हमें इन नंबरों के पीछे के बच्चों की पहचान करने और निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है। इससे प्रत्येक बच्चे को समय पर आवश्यक सहायता मिल सकेगी।