क्या देश में छिपाई गईं कोरोना से हुई मौतें? नए आंकड़े कर रहे इस तरफ इशारा
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हुई मौतों की असल संख्या को लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं। सरकार जहां अपने आंकड़ों को सही बता रही है, वहीं कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि मौतों की असल संख्या को छिपाया गया है। 9 जुलाई को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के हेल्थ मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम (HMIS) पर अपडेट हुए आंकड़े इस तरफ इशारा करते हैं कि सरकार ने कोरोना से हुई मौतों की असली संख्या को कम करके बताया है।
HMIS पर दर्ज हुईं आठ लाख से अधिक मौतें
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, इस साल अप्रैल-मई में HMIS पर 8,27,597 मौतें दर्ज हुई हैं, जबकि 2020 में इस पर 3,50,333, 2019 में 3,91,593, और 2018 में 3,55,905 मौतें दर्ज की गई थी। वहीं सरकार की तरफ से बताया गया कि इस साल अप्रैल-मई यानी महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत में 1,68,927 लोगों की मौत हुई थी। यह भी बता देना जरूरी है कि HMIS पर केवल ग्रामीण इलाकों में मौजूद स्वास्थ्य सुविधाओं का डाटा होता है।
इस बार बढ़ी बुखार और सांस लेने में परेशानी से होने वाली मौतें
HMIS पर हर वजह से होने वाली मौतें दर्ज होती हैं, लेकिन पिछले सालों की तुलना में इस बार का बड़ा आंकड़ा और बुखार, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षणों से जान गंवाने वाली की बढ़ी संख्या बताती है कि ये मौतें कोरोना संक्रमण से हुई हो सकती हैं। बता दें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2008 में HMIS की शुरुआत की थी। दो लाख से अधिक स्वास्थ्य सुविधाएं इससे जुड़ी हुई हैं।
ये आंकड़े क्या बताते हैं?
भारत में 9 मई को कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पीक पर पहुंची थी। अगर मौतों के लिहाज से पीक को देखा जाए तो यह 23 मई को आई थी। इससे पहले अप्रैल में दैनिक मामलों और मौतों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई थी। HMIS के आंकड़े बताते हैं अप्रैल-मई में मौतों की संख्या 8.28 लाख थी, जो पिछले सालों की तुलना में दोगुना है। इसी दौरान महामारी भारत में तबाही मचा रही थी।
2020 में कम हुईं मौतों की संख्या
आमतौर पर हर साल मौतों की संख्या में मामूली बढ़ोतरी दर्ज होती है, लेकिन 2020 में इसमें गिरावट देखी गई। पिछले साल कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू किया गया लॉकडाउन इसका एक कारण हो सकता है।
इन मौतों का कोरोना से संबंध होने का क्या पता?
इस बात की संभावना बहुत अधिक है कि ये मौतें कोरोना के कारण ही हुई हैं। कोरोना वायरस बच्चों की तुलना में युवाओं को ज्यादा निशाना बनाता है। यह इन आंकड़ों में भी नजर आता है। 2020 की तुलना में इस साल अप्रैल-मई में देश में युवाओं की मौतों में 153 फीसदी बढ़ोतरी देखी गई। HMIS पर प्रसूति संबंधी मौतों को अलग से दर्ज किया जाता है। इस साल अप्रैल-मई में इन मौतों की संख्या भी बढ़ी है।
बुखार से होने वाली मौतें बढ़ी
इस साल अप्रैल-मई में मौतों का सबसे बड़ा कारण बुखार और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण रहे। ये दोनों ही कोरोना संक्रमण के लक्षण होते हैं। इस साल इन लक्षणों के कारण मरने वालों की संख्या पिछले साल की तुलना में 500% बढ़ी है।