बच्चों को बचपन में ही दे देनी चाहिए ये सीख, उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ेगें कदम
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जितने अच्छे से माता-पिता अपने बच्चों को कुछ सीखा या समझा सकते हैं वह कोई दूसरा नहीं कर पाता है। बचपन में कही गई बातों को बच्चे ताउम्र याद रखते हैं। इसलिए इस उम्र में ऐसे नियम और अनुशासनमें बांधा जाए जिससे वह बड़े होकर गलत संगत में न पड़ें और आत्मनिर्भर बनें। आज हम आपको कुछ ऐसे ही नियम बता रहे हैं जो बच्चों को बचपन ही सीखा देने चाहिए।
गुस्सा कंट्रोल करने की आदत
यह सबसे महत्वपूर्ण सीख है क्योंकि गुस्सा कई काम को खराब कर सकता है और बच्चों की सफलता का काटा भी बन सकता है। इसलिए अगर माता-पिता बचपन में ही बच्चों को गुस्सा कंट्रोल करना सिखा दें तो बड़े होकर उनका भविष्य बेहतर होगा क्योंकि ऐसा न किया गया तो बड़े होकर बच्चे चाहकर भी अपने गुस्से को कंट्रोल में नहीं रख पाते हैं। यह आदत न सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों को भी अपनानी चाहिए।
बुरे शब्दों से सौ कोस की दूरी
अक्सर बच्चे दूसरों की देखादेखी या टीवी में देखकर अपशब्दों का इस्तेमाल करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि इस तरह से वह सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। लेकिन उनकी इस बात को गलत बताकर माता-पिता को तभी बच्चों को टोकना चाहिए जब वह पहली बार उनके मुंह से कोई भी अपशब्द सुनें। इसके अतिरिक्त बच्चों को समझाएं ऐसा करना उनकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
गलत व्यवहार से बचाएं
जब बच्चों को डांट पड़ती है या उनको कोई चीज पसंद नहीं आती है तो वह खाना न खाना, चीजें तोड़ना, गुस्से से दरवाजा बंद करना या छत पर जाकर बैठने जैसी हरकतें करके घर के लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित हैं ताकि उनकी बात जैसे-तैसे कोई मान लें। ऐसे में बच्चों को यह बताएं कि ऐसा करना गलत है। इसके अतिरिक्त उन्हें समझाएं कि घर के किसी भी सदस्य से दिक्कत है तो उस पर खुलकर बात करें।
इन बातों का भी रखें ध्यान
यह सबसे अहम बात है जो बच्चों को जरूर सिखानी चाहिए कि उन्हें हमेशा अपने काम के लिए खुद पर निर्भर होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर बच्चों को खाने के बाद अपनी प्लेट धोने से लेकर अपनी बेडशीट साफ करने तक सब कुछ सिखाना चाहिए। आत्मनिर्भर की आदत के साथ मददगार स्वभाव रखना भी बच्चों के व्यक्तित्व का विकास करने में सहयोग प्रदान करता है। उन्हें बताएं कि कभी भी किसी की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।