इजराइल का कोरोना की एंटी-बॉडी बनाने का दावा, शरीर में ही वायरस को करती है खत्म

इजराइल के रक्षा मंत्री नैफताली बेनेट ने सोमवार को दावा किया कि इजराइल के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की एंटी-बॉडी बना ली है। इसे एक बहुत बड़ी सफलता बताते हुए उन्होंने बताया कि देश के इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च (IIBR) ने ये एंटी-बॉडी विकसित की है। बेनेट ने कहा कि अब इस एंटी-बॉडी का पेटेंट लिया जाएगा और फिर दुनियाभर की कंपनियों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर इनका निर्माण शुरू किया जाएगा।
जब कोई वायरस किसी व्यक्ति पर हमला करता है तो उसका इम्युन सिस्टम इसके खिलाफ लड़ता है। इससे लड़ने के लिए शरीर एंटी-बॉडीज बनाता है जो वायरस के साथ लड़कर उसे खत्म करती हैं। ये एंटी-बॉडीज व्यक्ति के खून में मौजूद रहती हैं और आगे कभी संक्रमण होने पर भी उसे वायरस से बचाती हैं। मौजूदा COVID-19 बीमारी का SARS-CoV-2 भी इसी तरह काम करता है और ठीक होने वाले मरीजों में इसकी एंटी-बॉडीज रहती हैं।
1952 में स्थापित IIBR इजराइल की एक गुप्त संस्था है और इसमें होने वाली रिसर्च के बारे में दुनिया को बेहद कम जानकारी रहती है। ये संस्था सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत कार्य करती है और फरवरी में इजराइल में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आऩे के बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उसे वैक्सीन पर काम करने का आदेश दिया था। तभी से संस्थान में कोरोना वायरस के इलाज और वैक्सीन पर रिसर्च चल रही है।
इजराइल के रक्षा मंत्री नैफताली बेनेट सोमवार को नेस जियोना इलाके में स्थित IIBR की लैब का दौरा करने गए थे और इसके बाद उन्होंने एंटी-बॉडी बनाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि ये एंटी-बॉडी मोनोक्लोनल तरीके से कोरोना वायरस पर हमला करती है और संक्रमित शख्स के शरीर के अंदर ही इसे खत्म कर देती है। उन्होंने बताया कि संस्थान अब पेटेंट कराने की प्रक्रिया में है जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ इसे व्यावसायिक स्तर पर बनाया जाएगा।
बेनेट ने अपने बयान में कहा कि उन्हें संस्थान की इस बड़ी सफलता पर गर्व है और उनकी रचनात्मकता और यहूदी दिमाग के कारण ये शानदार सफलता मिली है। अपने बयान में उन्होंने इस एंटी-बॉडी के इंसानी ट्रायल पर कोई जानकारी नहीं दी।
मार्च में भी इजराइल के एक अखबार ने IIBR की लैब में काम कर रहे सूत्रों के हवाले से कहा था कि वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस के जैविक तंत्र और गुणों को समझने में अहम सफलता हासिल हुई है। तब रक्षा मंत्रालय ने इन रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए कहा था कि अगर ऐसा होता है तो इसकी जानकारी दी जाएगी। अभी ये साफ नहीं है कि बेनेट की घोषणा मार्च की इस रिपोर्ट से आगे की है या नहीं।
गौरतलब है कि 'नेचर कम्युनिकेशन्स' जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में नीदरलैंड की उट्रेच यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भी कोरोना वायरस की मोनोक्लोनल एंटी-बॉडी बनाने का दावा किया है। ये एंटी-बॉडी लैब में वायरस को मारने में कामयाब रही है और अब जानवरों और इंसानों पर इसका ट्रायल किया जाएगा। ये एंटी-बॉडी कोरोना वायरस को ताज जैसा आकार देनी वाली प्रोटीन पर हमला करती है। इसी प्रोटीन की मदद से कोरोना वायरस इंसान के शरीर में दाखिल होता है।
कोरोना वायरस के अभूतपूर्व खतरे को देखते हुए कोरोना वायरस की वैक्सीन पर बेहद तेजी से काम हो रहा है। अभी दुनियाभर में इसकी वैक्सीन के 100 से अधिक प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिनमें से लगभग एक दर्जन या तो इंसानी ट्रायल में दाखिल हो चुके हैं या दाखिल होने वाले हैं। इतनी तेजी के बावजूद विशेषज्ञों ने वैक्सीन आने में एक साल से 18 महीने लगने की बात कही है।