WHO विशेषज्ञ ने चेताया- हो सकता है कोरोना वायरस की कभी कोई वैक्सीन न बन पाए
कोरोना वायरस (COVID-19) की वैक्सीन की उम्मीद में बैठे लोगों को निराशा हाथ लग सकती है। जानकारों ने चेताया है कि ऐसा हो सकता है कि HIV और डेंगू की तरह ही इस महामारी की कोई वैक्सीन न बने। बता दें कि दुनियाभर में 2.5 लाख लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस की 100 से ज्यादा संभावित वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से कुछ प्री-क्लिनिकल और कुछ ह्यूमन ट्रायल तक पहुंच गई हैं।
वैक्सीन को लेकर साफ तौर पर कुछ नहीं कह सकते- नेबारो
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO) के कोरोना वायरस पर विशेष प्रतिनिधि डॉक्टर डेविट नेबारो ने कहा, "कई ऐसे वायरस हैं, जिनकी हमारे पास कोई वैक्सीन नहीं है। हम ऐसा साफ तौर पर नहीं मानकर चल सकते कि कोई वैक्सीन आएगी और अगर आ भी जाती है तो यह पता नहीं है कि वह कितनी सुरक्षित और कामयाब होगी।" उन्होंने कहा कि सबसे खराब हालात में ये हो सकता है कि इस महामारी की कोई वैक्सीन न बने।
दो दशकों की रिसर्च के बाद भी नहीं बन पाई है HIV की वैक्सीन
पूरी दुनिया में HIV से तीन करोड़ से ज्यादा मौतें हो गई हैं। इसकी वैक्सीन बनाने के लिए 20 सालों से रिसर्च जारी है, लेकिन आज तक वैज्ञानिकों को कामयाबी नहीं मिली है। इसी तरह लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले चुके डेंगू फीवर की भी कामयाब वैक्सीन नहीं बनी है। हालांकि, कुछ देशों में 9-45 साल के आयु वर्ग के लोगों के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, लेकिन इसकी भी अपनी सीमाएं हैं।
डेंगू की वैक्सीन के साथ यह परेशानी
डेंगू की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सनॉफी पेस्टर ने 2017 में ऐलान किया था कि ऐसे लोग, जिन्हें पहले कभी डेंगू नहीं हुआ है, उन्हें अगर वैक्सीन लगने के बाद संक्रमण हो जाता है तो यह एक गंभीर किस्म का डेंगू होगा।
ट्रंप ने किया साल के अंत तक वैक्सीन तैयार करने का दावा
नेबारो के इस बयान से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि इस साल के अंत तक अमेरिका के पास कोरोना वायरस की वैक्सीन होगी। उनका ये दावा अमेरिकी विशेषज्ञों के उस दावे के विपरीत है जिसमें उन्होंने वैक्सीन आने में एक साल से 18 महीने तक का समय लगने की बात कही है। ट्रंप ने कहा कि अगर कोई अन्य देश वैक्सीन बनाने में अमेरिका के शोधकर्ताओं को पीछे छोड़ देता है तो वह खुश होंगे।
ये वैक्सीन ट्रायल में सबसे आगे
इंसानी ट्रायल में पहुंची सात वैक्सीन में AD5-NCOV वैक्सीन सबसे आगे है और ट्रायल के दूसरे चरण में पहुंच चुकी है। चीन की बायोटेक कंपनी कैनसाइनो बायोलॉजिक्स और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीनी सेना) मिलकर ये वैक्सीन बना रही हैं। इस वैक्सीन के ट्रायल का दूसरा चरण पूरा होने में छह महीने लग सकते हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ ये प्रभावी है या नहीं, इसका सबूत अगले साल की शुरूआत तक मिल सकता है।
अक्टूबर तक बाजार में आ सकती है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा बनाई जा रही ChAdOx1 वैक्सीन पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। अभी ये पहले और दूसरे चरण के मिश्रित चरण में है। वैज्ञानिक इसकी सफलता को लेकर इतने आश्वस्त हैं कि उन्होंने भारत के सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर सितंबर तक इसकी 10 लाख डोज एडवांस में बनाने का फैसला लिया है। अगर ट्रायल फेल होते हैं तो ये डोज बर्बाद जाएंगी और अगर सफल रहते हैं तो अक्टूबर तक ये बाजार में होगी।
मृतकों की संख्या 2.5 लाख पहुंची
कोरोना वायरस (COVID-19) के कारण दुनियाभर में 2.5 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, अब तक 187 देशों/क्षेत्रों में कुल 35.8 लाख लोग इस खतरनाक वायरस से संक्रमित हुए हैं, जिनमें से 2.51 लाख लोगों की मौत हुई है। महामारी के कारण सबसे बुरी तरह प्रभावित अमेरिका में इसके सर्वाधिक 11.8 लाख मामले सामने आए हैं, जिनमें से लगभग 69,000 लोगों की मौत हुई है।