
SCO के संयुक्त बयान पर भारत ने क्यों नहीं किए हस्ताक्षर? सामने आया पाकिस्तान-चीन का गठजोड़
क्या है खबर?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग ले रहे हैं। इस दौरान उन्होंने SCO द्वारा जारी संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है। इसे SCO के इतिहास में अहम क्षण माना जा रहा है, क्योंकि भारत की असहमति के बाद रक्षा मंत्रियों की बैठक संयुक्त बयान के बिना ही खत्म हो गई। अब भारत के इस कदम के पीछे की वजह सामने आई है।
वजह
भारत ने क्यों नहीं किए हस्ताक्षर?
दरअसल, संयुक्त बयान में पहलगाम में हुए आतंकी हमले को शामिल नहीं किया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। इसके उलट बलूचिस्तान में हुई एक आतंकी घटना का जिक्र था, जिसका आरोप भारत पर लगाया गया था। न्यूज18 ने सूत्रों के हवाले से कहा कि भारत की असहमति कोई प्रक्रियागत आपत्ति नहीं थी, बल्कि कूटनीतिक रूप से भारत को घेरने के लिए चीन और पाकिस्तान के रणनीतिक उद्देश्य में जानबूझकर व्यवधान पैदा करना था।
चीन
चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत आई सामने
फिलहाल चीन SCO की अध्यक्षता कर रहा है। जानकार कह रहे हैं कि पहलगाम आतंकी हमले का बयान में जिक्र न करना पाकिस्तान के इशारे पर किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, चीन और पाकिस्तान SCO का इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर को कमजोर करने के लिए एक मंच के रूप में करने की कोशिश कर रहे थे। दोनों चाह रहे थे कि बलूचिस्तान को शामिल कर आतंकवाद को प्रायोजित करने में पाकिस्तान की भूमिका से ध्यान हटाया जाए।
सबूत
भारत ने SCO देशों से साझा किए थे सबूत
पहलगाम हमले के बाद भारत ने SCO के सदस्य देशों के साथ पहले ही खुफिया जानकारी और सैटेलाइट इमेज साझा की थी। ये हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता के सबूत थे। इनमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों की जानकारी और लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों को पनाह देने में पाकिस्तान की मिलीभगत के सबूत भी थे। इसके बावजूद संयुक्त बयान में पहलगाम हमले का कोई जिक्र नहीं किया गया।
बयान
राजनाथ ने पाकिस्तानी रक्षा मंत्री से नहीं की मुलाकात
राजनाथ ने बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से मुलाकात नहीं की। उन्होंने कहा, "पहलगाम हमले का तरीका भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले हमलों जैसा था। कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति मानते हैं, आतंकियों को पनाह देते हैं, फिर इससे इनकार करते हैं। ऐसे दोहरे रुख के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्हें समझना होगा कि अब आतंकवाद के गढ़ सुरक्षित नहीं हैं। SCO को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।"
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
SCO एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जिसकी औपचारिक स्थापना 2001 में एक शिखर सम्मेलन के दौरान रूस, चीन, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान द्वारा की गई थी। 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसके स्थायी सदस्य बन गए। 2023 में ईरान भी इसका सदस्य बना SCO देशों में दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत आबादी रहती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इन देशों का योगदान 20 प्रतिशत के आसपास है।