भारत और चीन के बीच मानसरोवर यात्रा और सीमा व्यापार दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी
भारत और चीन के संबंधों पर वर्ष 2020 के बाद जमी बर्फ पिघलने लगी है। दोनों देशों के बीच फिर सीमा व्यापार समेत कई चीजों को लेकर आम सहमति बनी है। चीन के दौरे पर पहुंचे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल की चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बीजिंग में हुई वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने इसकी घोषणा की। समझौते में कैलाश मानसरोवर यात्रा, सीमा पार नदी सहयोग और नाथुला सीमा व्यापार समेत 6 समझौते शामिल हैं।
बैठक में क्या-क्या हुए समझौते?
विदेश मंत्रालय ने बयान में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कज़ान में जो निर्णय लिए गए थे, उसी के अनुसार बीजिंग बैठक हुई। इस दौरान सीमा क्षेत्रों में शांति, स्थिरता के प्रबंधन की देखरेख और सीमा प्रश्न का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशने के लिए जल्द बैठक करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए सीमा पर शांति बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
मानसरोवर यात्रा और सीमा व्यापार पर लिया गया निर्णय
बैठक के दौरान दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने आपसी हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने सीमा पार सहयोग और आदान-प्रदान के लिए सकारात्मक दिशा-निर्देश दिए, जिसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना, सीमा पार नदियों और सीमा व्यापार पर डेटा साझा करना शामिल है। दोनों देश क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए स्थिर, पूर्वानुमानित और सौहार्दपूर्ण भारत-चीन संबंधों की प्रमुखता पर सहमत हुए हैं।
सीमा पर शांति बनाने के लिए होंगे प्रयास
बैठक के दौरान विशेष प्रतिनिधियों ने अक्टूबर 2024 के नवीनतम विघटन समझौते के कार्यान्वयन की सकारात्मक पुष्टि की, जिसमें संबंधित क्षेत्रों में गश्त और चराई की गई थी। 2020 की घटना से सीख लेते हुए सीमा पर शांति के लिए सीमा प्रबंधन को आगे बढ़ाने के उपाय पर भी चर्चा हुई। NSA डोभाल ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से भी मुलाकात की। उन्होंने विदेश मंत्री वांग यी को अगली विशेष प्रतिनिधि बैठक के लिए भारत आने का न्यौता दिया।
2019 के बाद नहीं हुई थी कोई बैठक
2020 में गलवान घाटी में हुई भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प से पहले दिसंबर 2019 में चीन और भारत के बीच बैठक हुई थी। उसके बाद यह सिलसिला विवाद के कारण रुक गया था। ऐसे में 2019 के बाद दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच पहली उच्च स्तरीय वार्ता है। 2019 के बाद डोभाल और वांग के बीच जो बैठकें हुई थीं, उसमें सीमा विवाद के समाधान के बजाय बहुपक्षीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।